ग्राउंड रिपोर्टः बनारस में दलित युवती की मौत के मामले में जैतपुरा थाना पुलिस के दावे और अनसुलझे सवाल ?

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बनारस। उत्तर प्रदेश के बनारस शहर का एक मुहल्ला है ढेलवरिया। शहर का बेहद पिछड़ा इलाका, जहां गरीब तबके के लोग सर्पीली गलियों में बसे हुए हैं। इसी मुहल्ले की 35 वर्षीया युवती रेनू 15 जुलाई, 2024 अपराह्न करीब 3.30 बजे को संजय नगर स्थित वीडीए अपार्टमेंट के फ्लैट में साड़ी कारोबारी आदित्य मल्होत्रा के यहां खाना बनाने गई। कुछ ही देर बाद रेनू के परिजनों को सूचना दी गई कि छत से गिरने की वजह से उसकी मौत हो गई। रेनू दलित समुदाय की महिला थी। उसकी मौत की खबर से लोग स्तब्ध रह गए और परिवार में कोहराम मच गया।

अचरज की बात यह है कि दलित युवती की मौत के मामले में जैतपुरा थाना पुलिस तत्काल जज बन गई और आनन-फानन में मीडिया में बयान दे दिया कि रेनू चोरी करने की नीयत से चौथी मंजिल पर गई और गिरने उसकी मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि घटना के समय परिवार के सदस्य बरेली गए थे। घटना के समय घर में कोई था ही नहीं। दूसरी ओर, महिला के परिजनों का कहना है कि घटना के समय साड़ी कारोबारी आदित्य मल्होत्रा के बेटी-दामाद घर में ही मौजूद थे। उन्होंने फोन करके रेनू को खाना बनाने के लिए बुलाया था। परिजनों का यह भी आरोप है कि युवती के साथ रेप किया गया और जब उसने विरोध करने की कोशिश की तो गला घोंटकर मार डाला गया। रेनू के बाहों पर खरोंच के निशान थे और गला कटा हुआ था।

जज बन गई जैतपुरा पुलिस

ढेलवरिया निवासी सच्चे लाल गोंड़ की पत्नी रेनू पिछले करीब छह साल से साड़ी कारोबारी आदित्य मल्होत्रा के घर साफ-सफाई के अलावा खाना बनाने का काम कर रही थी। अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे रेनू चार मंजिल पर रहने वाले आदित्य मल्होत्रा के घर पहुंची थी। शाम करीब सवा चार बजे साड़ी कारोबारी आदित्य मेहरोत्रा की नौकरानी रेनू का शव बिल्डिंग के पीछे पड़ा मिला। फ्लैट में रहने वालों ने उसे मृत हालत में देखा तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

रेनू के परिजनों का आरोप है कि जैतपुरा थानाध्यक्ष बृजेश मिश्र तत्काल जज बन गए और मीडिया को बयान दे दिया, “नौकरानी रेनू की चौथे मंजिल से नीचे गिरकर उस समय मौत हो गई, जब वह सामान चुराकर भागने की कोशिश कर रही थी। वह फ्लैट में पीछे के रास्ते चोरी करने के इरादे से लिए चढ़ रही थी। इस दौरान वह गिर गई और उसकी मौत हो गई। फ्लैट के छत से महिला का पर्स, चप्पल और एक साड़ी का गट्ठर मिला है, जिसे कब्जे में ले लिया गया है। रेनू की मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।”

जैतपुरा थाना पुलिस ने भले ही इस घटना में जांच-पड़ताल का रुख गलत दिशा में मोड़ दिया हो, लेकिन रेनू की मौत ने कई गंभीर सवालों को जन्म दिया है। पहला सवाल यह है कि युवती चौथे मंजिल से गिरी तो सिर क्यों नहीं फटा? उसके शरीर का एक बूंद खून जमीन पर क्यों नहीं गिरा? जिस स्थान पर रेनू की लाश पाई गई, वहां कई गमले भी रखे थे और वो अपनी जगह व सही सलामत कैसे रह गए। कोई भी गमला टूटा हुआ क्यों नहीं पाया गया? फ्लैट में रहने वाले कई लोगों ने कपड़ा फैलाने के लिए रस्सी का डारा बना रखा था। अगर रेनू चौथी मंजिल से गिरी तो किसी भी डारे की रस्सी क्यों नहीं टूटी?

इन सवालों का जवाब कौन देगा

पुलिस की कहानी में बताया जा रहा है कि चार मंजिला फ्लैट के छत से रेनू का पर्स, साड़ी का एक गट्ठर और चप्पल बरामद हुआ है। अचरज की बात यह है कि यदि रेनू फ्लैट में पीछे के रास्ते से चढ़ रही थी तो उसका पर्स, चप्पल और साड़ी का गट्ठर छत पर कैसे पहुंचा? पुलिस ने रेनू के मोबाइल का काल डिटेल और गूगल मैप का रूट चार्ट क्यों नहीं निकाला और इस मामले में मीडिया को आनन-फानन में संदिग्ध बयान क्यों दिया? जैतपुरा थाना पुलिस की नजर में यह घटना भले ही छोटी हो, लेकिन दलित महिला रेनू की कई सवालों को छोड़ गई है जिसका कोई भी जवाब पुलिस के पास नहीं है।

ढेलवरिया की रेनू गोंड, दलित समुदाय की युवती थी। उसकी मौत से समूचे इलाके में तनाव की स्थिति है। युवती के शव का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें सिर्फ उसकी पसली टूटे होने की बात सामने आई है। रेनू के पति सच्चेलाल गोंड (40 साल) ने कहा, “हमारी पत्नी पिछले कई सालों से साड़ी कारोबारी आदित्य मल्होत्रा के यहां खाना बनाने के अलावा झाड़ू-पोछा का काम कर रही थी। आदित्य की बनारसी साड़ियों की गद्दी है। वो मूलतः बरेली के रहने वाले हैं।

अगर आदित्य मल्होत्रा का पूरा परिवार बाहर गया था तो किसने फोन करके मेरी पत्नी को खाना बनाने के लिए बुलाया? अगर घर बंद था तो रेनू का पर्स, चप्पल वगैरह कैसे चौथी मंजिल पर पहुंच गया? मृत हालत में रेनू के गले पर चोट और बांहों पर खरोंच के निशान थे, लेकिन शरीर के किसी हिस्से पर चोट के निशान नहीं थे। पुलिस की बातों पर भला कौन भरोसा करेगा? क्या चार मंजिली इमारत के गिरने के बाद शरीर का कोई अंग छत-विछत नहीं होता है? जैतपुरा थानाध्यक्ष बृजेश मिश्र मनमानी और लीपापोती कर रहे हैं। हमें उनपर हमें भरोसा नहीं है।”

जैतपुरा पुलिस की कहानी को झूठ बताते रेनू के परिजन

दलित युवती रेनू की मौत के बाद भी परिजनों के आंसू अब तक नहीं सूखे हैं। मुहल्ले के लोग, ख़ासकर दलित समुदाय सदमे में हैं। रेनू की दो बेटियां डिंपल (18 साल) और कुमकुम (15 साल) हैं। डिंपल राजकीय गर्ल्स इंटर कालेज मलदहिया में पढ़ती है। उसकी किताबों के लिए वह घर से पर्स में पांच हजार रुपये लेकर गई थी। रेनू की जेठानी शीला ने जनचौक को बताया, “रेनू को खाना बनाने के लिए तीन बजे बुलाया गया और सवा चार बजे हमें उसकी मौत की सूचना मिली। पुलिस ने साड़ी कारोबारी को बचाने के लिए कहानी गढ़ दी। जैतपुरा थाने की पुलिस ने यह कैसे जान लिया कि वो चोरी के इरादे से गई थी। रेनू छह साल से आदित्य मल्होत्रा के घर खाना बना रही थी। आज तक कभी कोई शिकायत नहीं आई। रेनू की मौत के तत्काल बाद पुलिस जज बन गई और उनके सिर पर चोरी का आरोप मढ़ दिया। रेनू की जान भी गई और ईमान भी गया।”

सच्चेलाल गोंड की भाभी रेखा ने जैतपुरा थाना पुलिस पर मामले की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा, “रेनू के साथ पहले रेप किया गया और विरोध करने पर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी गई। गले को दुपट्टे से कसा गया। मौत के बाद शव नीचे लाकर जमीन पर लेटा दिया गया। पुलिस ने मीडिया में झूठा बयान देकर हत्या को मौत में बदलने की कोशिश की। घटना के बाद मैं तत्काल मौके पर पहुंची थी। उस समय उसके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे। कंधा और बाह पर खरोंच दिखी। चौथी मंजिल से गिरने के बाद भी उसकी एक भी चूड़ियां आखिर कैसे नहीं टूटीं? रेनू के उसके पर्स में पांच हजार रुपये और बैंक का पासबुक भी था, जो हमें अभी तक नहीं मिला है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या है, यह हमें नहीं मालूम, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि रेनू पाइप के सहारे फ्लैट में घुसने की कोशिश कर रही थी तो उसका पर्स और चप्पल छत पर कैसे चला गया? “

गमजदा हैं रेनू की बेटियां

रेनू के पति सच्चेलाल अपने छह भाइयों में सबसे छोटे हैं। ढेलवरिया में इनका एक छोटा सा मकान है। सभी भाइयों का परिवार अलग-अलग रहता है। सच्चेलाल मजदूरी करते हैं और बच्चों को पढ़ाने के लिए उनकी पत्नी रेनू दो-तीन जगहों पर चौका बर्तन का काम करती थी। आदित्य मेहरोत्रा के घर वो खाना भी बनाती थी। रेनू की मौत के बाद उसकी दोनों बेटियों का हाल बुरा है। रो-रोककर उनकी आंखें पथरा गई हैं। वो ठीक से खाना तक नहीं खा पा रही हैं। रेनू की बेटी कुमकुम ने जनचौक से कहा, “हम दोनों बहनों के फीस और कपड़ों का इंतजाम हमारी मां ही किया करती थी। अब तो हमारी पढ़ाई भी छूट जाएगी।”

रेनू का पति सच्चेलाल गोंड

पुलिस के मुताबिक, संजयनगर कॉलोनी कॉटन मिल के पास वीडीए अपार्टमेंट में आदित्य मेहरोत्रा ने रेनू को साफ-सफाई के लिए रखा था। साड़ी व्यापारी आदित्य मल्होत्रा ने अपने पोते के मुंडन की तैयारी बरेली स्थित अपने पैतृक गांव में कराना तय किया। वो 13 जुलाई 2024 को बरेली चले गए। रेनू 15 जुलाई को कॉलोनी में आई और फिर कुछ देर बाद उसका शव बिल्डिंग के पीछे मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर के पीछे चोट बताई गई। महिला के पति का आरोप है कि पुलिस ने साड़ी कारोबारी को बचाने के लिए झूठी कहानी गढ़ी है।

साड़ी व्यापारी आदित्य मल्होत्रा अपने पोते का मुंडन कराने अपने पैत्रक गांव बरेली गए थे और उनके फ्लैट में ताला लगा था, जिसकी चाभी रेनू के पास थी। घटना को लेकर संजय नगर अपार्टमेंट में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। जैतपुरा थाना पुलिस रेनू की मौत के मामले की जांच में जुटी है। जैतपुरा थाने के कुछ दरोगा और सिपाही 24 जुलाई 2024 को सच्चेलाल गोंड के घर पहुंची और तहकीकात की। लौटते समय पुलिस वालों ने आरोप जड़ा कि महिला के परिवार के पास पक्का घर क्यों है? आमतौर पर झाड़ू-पोछा करने वाली महिलाएं तो झुग्गी-झोपड़ी में रहा करती हैं।

पुलिस पर मनमानी का आरोप

रेनू के परिजनों का पुलिस पर आरोप है कि थाने में उनकी तहरीर अपने मनमुताबिक खुद लिखवाई। रेनू के पति सच्चेलाल कहते हैं, “हम आदित्य मेहरोत्रा के बेटी-दामाद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने मेरे साथ जोर-जबरदस्ती की। हमारी बात सुनी ही नहीं गई। हमारे परिवार के लोगों के पहुंचने से पहले ही पुलिस रेनू की लाश को चीरघर लेकर चली गई। पोस्टमार्टम के बाद हमें शव सौंपा गया।”

पोस्टमार्टम के बाद 16 जुलाई 2024 की शाम चार बजे रेनू का शव सड़क पर रखकर स्वजन ने हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए चक्का जाम कर दिया। इससे वाहनों की कतार लगा दी। पुलिस ने उनको समझाने का प्रयास किया तो भिड़ गए। वारदात से नाराज़ पीड़ित परिवार ने दोषियों की गिरफ़्तारी की मांग उठाई। जाम लगाने वाले लोग पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे थे। काफी जद्दोजहद के बाद कड़ी सुरक्षा में मणिकर्णिका घाट पर शव का अंतिम संस्कार हुआ।

रेनू की मौत पर फोरेंसिक एक्सपर्ट का कहना है कि ऊंचाई से गिरने पर रेनू की बाएं तरफ की पसली टूटी है। संभावना है कि बिल्डिंग से गिरने के दौरान रेनू के सिर से पहले शरीर के बाएं तरफ का हिस्सा जमीन पर गिरा होगा, जिससे पसली टूट गई होगी। सिर बाद में टकराने पर सिर में अंदरूनी चोट लगी होगी। मौके पर मौजूद गमलों के सही सलामत होने, मौके पर मौजूद डारा और चूड़ियों के नहीं टूटने की वजहों पर पुलिस की खामोशी यह बता रही है कि वह इस मामले को हजम करने की तैयारी में है।

पीड़ित सच्चेलाल का परिवार और उनके रिश्तेदार जैतपुरा थाना पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस शुरुआत से ही मामले में लीपापोती कर रही है और ढीलाई बरत रही है। इस घटना को लेकर ढेलवरिया मुहल्ले के लोग सकते में हैं। सच्चेलाल के पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने कहा, “इस घटना से हमारे मुहल्ले पर कलंक लग गया। पूरे इलाक़े में पुलिस के झूठी कहानी के गढ़े जाने की चर्चा है।”

जैतपुरा थाना पुलिस ने बताया कि जमीन पर कपड़े में बंधा सामान और ज्वेलरी बिखरा था। नौकरानी ने चोरी तो कर ली थी, मगर भागने की जल्दबाजी में फिसलकर गिर पड़ी। मृतका की पहचान ढेलवरिया निवासी रेनू देवी के रूप में हुई। रेनू के पति सच्चेलाल गोंड ने पुलिस के आरोपों को नकारते हुए हत्या की आशंका जताई और शव लेकर जाम लगा दिया। बाद में पुलिस ने समझा बुझाकर शव का अंतिम संस्कार कराया। इस मामले की गहन जांच-पड़ताल की जा रही है। अब तक जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया है। अगर कोई दोषी पाया जाएगा तो हत्या का मामला जरूर दर्ज किया जाएगा।

रेनू के परिजन मीडिया से खफा

मेन स्टीम की मीडिया ने रेनू की मौत के मामले में पुलिस की ओर से जो बयान आया है उसे लेकर ढेलवरिया मुहल्ले के लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है। जनचौक की टीम मौके पर पहुंची तो परिजनों के अलावा रेनू के पड़ोसियों ने नाराजगी जताई और कहा कि अखबार वाले झूठी खबरें छाप रहे हैं। आप लोग भी यहां से चला जाओ, क्योंकि तुम्हारा सुर भी पुलिस का राग ही अलापेगा। रेनू से कभी किसी की शिकायत नहीं रही। उसकी जान भी और इज्जत भी। रेनू को चोरनी बताकर जैतपुरा थाना पुलिस ने समूचे मुहल्ले को बदनाम कर दिया। जब झूठी खबरें ही छापनी है तो हमारे मुहल्ले से चले जाओ।

संजय नगर कॉलोनी कॉलोनी में नौकरानी रेनू गोंड की मौत की हकीकत जांचने समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल मृतका के घर पहुंचा और पति समेत परिजनों से मुलाकात की। युवती के पति सच्चेलाल गोंड ने सपा नेताओं से मदद की गुहार लगाई और बताया, “मेरी पत्नी की मौत असामान्य थी। हमें भरोसा है कि उसके साथ दुष्कर्म के बाद हत्या की गई है। हत्यारोपी ऊंची पहुंच वाले हैं और पुलिस से मिलकर मामले को नया मोड़ दे दिया है। पुलिस मामले को चोरी के दौरान गिरने की बात कह रही है, जो सच नहीं है। रेनू की मौत की सीबीआई जांच होनी चाहिए? पुलिस यह क्यों नहीं बता रही कि मेरी पत्नी बिल्डिंग के पीछे कैसे पहुंची? उसको वहां किसने बुलाया था? उसकी हत्या किसने की? “

सपा के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया और कहा कि इस मामले को विधानसभा में उठाया जाएगा। जैतपुरा थाना पुलिस के अफसरों की डीजीपी से शिकायत की जाएगी। सपा का प्रतिनिधिमंडल में व्यास जी गोंड, रीबू श्रीवास्तव, सुजीत यादव, दिलीप डे, अशफाक अहमद, शनि कुमार सोनकर आदि शामिल थे। सपा नेताओं का आरोप कि पुलिस रेनू हत्याकांड में लीपापोती कर रही है। युवती अगर गरीब और दलित परिवार की नहीं होती तो पुलिस की जांच का तरीका कुछ और होता। तब शायद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की नीति व नीयत भी कुछ और होती। जैतपुरा थाना पुलिस रेनू को न्याय करने के मूड में नहीं है, क्योंकि वो बड़े बाप की बेटी नहीं है।

(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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