Saturday, March 25, 2023

कैप्टन को उनके गढ़ में घेर रही है कांग्रेस

अमरीक
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कांग्रेस को अलविदा कहकर अपनी नई पार्टी के गठन की घोषणा कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस उनके गढ़ (पटियाला) में पूरी तैयारी के साथ घेर रही है। कैप्टन के लिए यह बड़ी चुनौती का सबब है। ताजा सियासी समीकरण साफ इशारा करते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें अपनी परंपरागत सीट बचाने के लिए भी  काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। रविवार को पंजाब कांग्रेस के नए प्रभारी हरीश चौधरी विशेष रुप से कैप्टन के पुश्तैनी शहर पटियाला आए और इस लोकसभा हलके के विधायकों, ब्लॉक समिति सदस्यों, जिले के वरिष्ठ नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के साथ लंबी बैठक की। इस बैठक में कभी कैप्टन के बेहद करीबी रहे लोगों ने भी शिरकत की। अलबत्ता कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी और पटियाला से सांसद परनीत कौर औपचारिक निमंत्रण के बावजूद बैठक में शामिल नहीं हुईं। बता दें कि कैप्टन ने कांग्रेस छोड़ दी है लेकिन उनकी पत्नी अभी पार्टी में बनी हुईं हैं।                   

गौरतलब है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू हाल-फिलहाल तक सिर्फ अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी तक सीमित हैं। माना जा रहा है कि उनकी निष्क्रियता का संज्ञान लेते हुए हरीश चौधरी अपने तौर पर सक्रिय हुए हैं। पटियाला का उनका दौरा, राज्य का प्रभार लेने के बाद किसी जिले अथवा लोकसभा हलके का पहला दौरा है और कांग्रेसी नेता इसे विधानसभा चुनाव अभियान का आगाज भी मान रहे हैं।

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पटियाला बैठक में कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी

पटियाला में हरीश चौधरी ने कहा कि वह पार्टी आलाकमान की हिदायत पर आए हैं। हर जिले में ऐसी बैठकें की जाएंगी और आज शुरुआत पटियाला से हो रही है। यह जिला किसी विशेष नेता की जागीर नहीं है बल्कि लोगों का है। जाहिर है कि उनका इशारा कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ था।

इस बैठक में कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, मंत्री और विधायक शामिल हुए तथा कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ तल्ख तेवर दिखाए। नवजोत सिंह सिद्धू को भी बैठक में आने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने दूरी बनाए रखी। जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनकी कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य इसी दिन चंडीगढ़ में मंत्रिमंडल की बैठक की वजह से नहीं आ सके। कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में मंत्री राजकुमार वेरका, विधायक मदनलाल जलालपुर, निर्मल सिंह शतुराणा, कुलजीत सिंह नागरा, पूर्व मंत्री और कैप्टन के बेहद करीबी रहे साधु सिंह धर्मसोत, काका राजेंद्र सिंह और पंजाब मंडी बोर्ड के अध्यक्ष लाल सिंह आदि ने शिरकत की। बैठक में ज्यादातर स्वर उठे कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को उनके गढ़ में तगड़ी शिकस्त दी जाए। यहां तक कहा गया कि ऐसी रणनीति बनाई जाए कि 2022 के विधानसभा चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री के लिए ‘स्थाई राजनीतिक वनवास’ बन जाएं।

हरीश चौधरी ने कहा कि कैप्टन का पहले से ही भाजपा तथा बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल के साथ गुप्त समझौता था। उन्होंने कांग्रेस तथा पंजाब के लोगों को धोखा दिया। कोई व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं होता। उनका वहम जल्दी दूर हो जाएगा।

टकसाली कांग्रेसी नेता, पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राज्य मंडी बोर्ड के चेयरमैन लाल सिंह ने कैप्टन की तुलना अमरबेल के साथ की और कहा कि अमरबेल की तरह पूर्व मुख्यमंत्री की जड़ें भी जमीन में नहीं हैं। लाल सिंह बोले कि पिछली बार जब कैप्टन ने अपनी पार्टी बनाई थी तो तीन सीटें मिली थीं लेकिन इस बार वह अपनी भी नहीं बचा पाएंगे। राजपुरा से विधायक हरदयाल कंबोज ने कैप्टन को गद्दार बताते हुए कहा कि पटियाला लोकसभा हलके की आठों विधानसभा सीटें कांग्रेस जीतेगी। चन्नी सरकार में मंत्री राजकुमार वेरका ने कहा कि जब तक कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस के साथ थे, तो सभी वर्कर उनके साथ थे। पार्टी छोड़ने के बाद अब वर्करों ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। कुल मिलाकर, तमाम वरिष्ठ नेताओं ने अमरिंदर पर खुलकर हमला बोला। कैप्टन अमरिंदर सिंह की कोई प्रतिक्रिया, इन पंक्तियों को लिखने तक, पटियाला में कांग्रेस की हुई इस बैठक पर नहीं आई है। तय है कि यह बैठक उनकी परेशानियों में इजाफा करेगी। उनकी पुरानी पार्टी ने पूरी तरह से उनके खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया है। कांग्रेस की पटियाला बैठक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के लिए भी सबक है। यह बैठक जहां कैप्टन के खिलाफ और उनके किले में सेंधमारी के लिए विशेष रुप से की गई थी, वहीं ‘शाश्वत नाराज’ सिद्धू के लिए भी संदेश थी कि पार्टी अब उनके बगैर भी चल सकती है। सिद्धू भी फिलवक्त इस बैठक पर सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोले हैं।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट)

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