Friday, April 19, 2024

कांस्टेबल, शराब तस्करी, भ्रष्टाचार, जेल, निलंबन और अब गुजरात बीजेपी का अध्यक्ष पद! लंबा है सी आर पाटिल का सफर

वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के समय गुजरात समेत कई राज्यों में चुनाव व्यवस्था और संगठन से लेकर व्यूह रचना तैयार करने में चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल ने अमित शाह का असिस्टेंट बनकर काम किया। सी आर पाटिल न सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोर टीम में शामिल रहे बल्कि वाराणसी में नरेंद्र मोदी के चुनाव की जिम्मेदारी भी उठा चुके हैं। इसका परसों यानि मंगलवार 21 जुलाई को उन्हें ईनाम दिया गया गुजरात प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाकर। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जीतू वाघाणी का टर्म पूरा होने के बाद सी आर पाटिल को इस पद की जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें स्वामिभक्ति के लिए पुरस्कृत किया गया है। 

1989 में भाजपा का सदस्य बनकर सक्रिय राजनीति में जुड़े

पुलिस विभाग से इस्तीफा देन के बाद सी आर पाटिल ने भाजपा के जरिए गुजरात की राजनीति में अपना राजनीतिक सफ़र शुरु किया। सी आर पाटिल 25 दिसम्बर 1989 को भाजपा का सदस्य बनकर सक्रिय राजनीति में जुड़े थे। कालांतर में सूरत शहर भाजपा के कोषाध्यक्ष बने और समय व्यतीत होने पर शहर के उपप्रमुख भी बने।

इसके बाद भाजपा की गुजरात सरकार ने उन्हें पहले जीआईडीसी (गुजरात इण्डस्ट्रियल डेवलमेंट कॉरपोरेशन) और उसके बाद जीएसीएल (गुजरात अल्कालिज एण्ड केमिकल लिमिटेड) के अध्यक्ष के तौर पर जवाबदारी सौंपी थी। सी आर पाटिल ने लोकसभा, विधानसभा, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन व पंचायत के सभी चुनावों में पार्टी को अधिक सीटें और लंबी लीड से जिताने के लिए विविध स्तर पर व्यूहरचनाकार के तौर पर अहम भूमिका भी निभाई थी। नवसारी संसदीय सीट से दो बार सांसद निर्वाचित हुए पाटिल की छवि भाजपा में पीएम नरेंद्र मोदी के ट्रबुलशूटर के तौर पर रही है। 

दागी पुलिस अफसर के तौर पर गिरफ्तार और निलंबित हुए 

21 मार्च 2009 को इंडियन एक्सप्रेस के लिए कमाल सैय्यद की एक रिपोर्ट के मुताबिक सी आर पाटिल साल 1975 में एक कॉन्स्टेबल के रूप में सूरत पुलिस में नौकरी की शुरुआत की थी। साल 1978 में पलसाना तालुका में एक शराब तस्कर के घर से शराब की खेप बरामद हुई। इस तस्करी में शामिल लोगों में सी आर पाटिल का भी नाम आया। इस तरह पुलिस रिकॉर्ड में उनका नाम आपराधिक तौर पर जुड़ गया।

उसी साल उनके खिलाफ सोनगढ़ पुलिस स्टेशन में एक दूसरा निषेधाज्ञा का मामला दर्ज किया गया। इसके बाद सी आर पाटिल को सूरत पुलिस टास्क फोर्स ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें आखिरकार छह साल के लिए नौकरी से निलंबित कर दिया गया था।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक अवैध शराब के कारोबार में पाटिल की संलिप्तता लगातार बनी रही। बावजूद इसके पाटिल ने 1984 में उन्हें पुलिस की नौकरी पर फिर से बहाल कर दिया गया लेकिन जल्द ही पुलिस यूनियन बनाने की कोशिश के चलते फिर से निलंबित भी कर दिया गया। 

कोऑपरेटिव बैंक में घोटाला और गिरफ्तारी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बाद में पाटिल टेक्सटाइल मिल मालिकों के मार्फत ऑक्ट्रोई इवैसन रैकेट के संपर्क में आये। साल 1995 में सूरत म्युनिसिपिल कार्पोरेशन ने उनके खिलाफ़ ऑक्ट्रोई इवैसन का केस दर्ज करवाया। साल 2002 में, क्राइम ब्रांच ने सी आर पाटिल को डायमंड जुबली कॉपरेटिव बैंक घोटाले में मुख्य डिफॉल्टर के तौर पर गिरफ्तार किया। पाटिल ने सहकारी बैंक से 54 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लिया था और बैंक को वो पैसा वापस नहीं लौटाया जिसके चलते 2002 में क्लीयरिंग हाउस से बैंक को निलंबित कर दिया गया। बैंक की पांच शाखाओं के लाखों खाताधारकों जिनमें से अधिकांश मध्यम और निम्न वर्ग से थे, और कई को अभी तक अपना पैसा वापस नहीं मिला है। बावजूद इसके पाटिल को जल्द ही गुजरात राज्य सरकार के अधीनस्थ गुजरात अल्कलीज एंड केमिकल्स लिमिटेड का अध्यक्ष बना दिया गया।

https://indianexpress.com/article/cities/ahmedabad/c-r-patil-tainted-cop-bank-defaulter-and-now-mp-2/

कपड़ा मजदूरों के लिए 65,000 फ्लैट बनाने के लिए सचिन सूरत में 48 एकड़ जमीन लिया और उन्होंने 90 साल के लिए लीज पर जीआईडीसी की जमीन पर कब्जा करने के लिए 6 करोड़ रुपये का डाउन पेमेंट इस शर्त पर किया कि बाकी रकम का भुगतान जल्द किया जाएगा। लेकिन बाकी भुगतान न करने की स्थिति में अदालत ने उस जमीन को सील करने का आदेश दिया। इसके बाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने 2002 में पाटिल और उनके साथियों को गिरफ्तार किया और उन्हें 15 महीने तक जेल में रहना पड़ा, गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें इस शर्त पर जमानत दी कि वह बकाया चुका देंगे। लेकिन हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे के मुताबिक पाटिल ने ऐसा नहीं किया और उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। फिर पाटिल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जहां उन्हें 88 करोड़ रुपए उगलना पड़ा, सहकारी बैंक ऋण और जीआईडीसी जमीन के पट्टे की रकम के तौर पर वो भी ब्याज सहित।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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