Friday, March 29, 2024

कोविड बैटलग्राउंड: कोरोनो की चपेट में मानवता, अब तक 2 लाख लोगों की मौत

(दोस्तों, पूरी दुनिया आज कोविड-19 महामारी के महासंकट से जूझ रही है। धरती का शायद ही कोई हिस्सा बचा हो जो इसकी चपेट में न हो। पूरी मानवता संकट में है। हर दिन, हर पल इससे संबंधित घटनाएँ घट रही हैं। संचार का लंबा-चौड़ा तंत्र होने के बावजूद बहुत सारी सूचनाएँ लोगों तक नहीं पहुँच पा रही हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए जनचौक ने आज से ‘कोविड बैटलग्राउंड’ नाम से एक नया स्तंभ शुरू करने का फ़ैसला लिया है। इसमें देश और दुनिया में कोरोना से संबंधित घटने वाली किसी भी घटना के साथ ही इस फ़ील्ड में होने वाले हर तरह के अपडेट को कवर करने की कोशिश की जाएगी। इसको केंद्रीय रूप से देखने की ज़िम्मेदारी जनचौक के सलाहकार संपादक डॉ. सिद्धार्थ ने ली है। पेश है इसकी पहली किश्त-संपादक)

नई दिल्ली। अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध शोध-संस्थान जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 से अब तक 2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में 55,415 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। अमेरिका के बाद सबसे अधिक मौतें इटली एवं स्पेन में हुई हैं। इटली में 26,644 और स्पेन में 23,000 लोगों की मौत हुई। फ्रांस ने 22,614 लोगों के मौत का आंकड़ा जारी किया है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से 20,000 मौतों की पुष्टि की है। ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने कहा है कि यह देश के लिए त्रासद एवं भयानक स्थिति है।

पूरा देश शोक की स्थिति में है। इस तरह 2 लाख मौतों में 1 लाख 41 हजार 614 मौत अमेरिका एवं पश्चिमी यूरोप में हुई है, सिर्फ पांच देशों में। ये दुनिया के सबसे विकसित देश हैं और इसमें चार जी-7 के सदस्य हैं और तीन सुरक्षा परिषद के भी सदस्य हैं। कमोवेश यही देश दुनिया की अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को नियंत्रित भी करते हैं। ये पूंजीवादी विकास के मॉडल देश हैं। सच तो यह है कि इनके ही नक्शे-कदम पर दुनिया चलती रही है और चल रही है। ये विकास एवं सभ्यता के भी आदर्श देश कहे जाते हैं।

कोरोना से पहली मौत चीन में 11 जनवरी को हुई थी। सबसे डरावना एवं त्रासद यह तथ्य है कि कोरोना से होने वाली मौतों की दर में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। 10 अप्रैल तक 1 लाख लोगों की मौत हुई थी, 26 अप्रैल को यह आंकड़ा 2 लाख तक पहुंच गया। यानि करीब 15 दिन में दो गुनी मौतें हुईं। वास्तविक मौतें उपलब्ध आंकड़ों से काफी अधिक होने की संभावना है, क्योंकि कोविड-19 टेस्ट बहुत सीमित स्तर पर हो रहे हैं। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के न्यूयार्क शहर में ही कितने लोग बिना कोविड-19 जांच के ही मरे गए। यही स्थिति पूरी दुनिया के पैमाने पर है।

अधिकांश देशों और राष्ट्रीय  एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने यह स्वीकार किया है कि ओल्ड ऐज होम, नर्सिंग होमों और घरों में कितने लोग इससे मर रहे हैं, इसके आंकड़े भी उपलब्ध नहीं हैं। ज्यादातर देश कोविड-19 का इलाज कर रहे अस्पतालों में होने वाली मौतों के अलावा अन्य जगहों पर होने वाली मौतों के बारे में आधिकारिक बयान या आंकड़ा देने की स्थिति में नहीं हैं।

कम से कम 177 देश कोविड-19 की गिरफ्त में आ चुके हैं। 28 लाख कोरोना मरीजों की पुष्टि जांच में हो चुकी है। इसके शिकार लोगों की संख्या इससे बहुत अधिक होने की आशंका है, क्योंकि दक्षिण कोरिया जैसे कुछ चंद देशों को छोड़कर जांच की दर बहुत धीमी है और जिसके चलते कोई देश या अंतर्राष्ट्रीय संस्था यह कहने की स्थिति में नहीं है कि वास्तव में कितने लोग इसके शिकार हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जहां पश्चिमी यूरोप में कोविड-19 के शिकार लोगों की संख्या स्थिर होती दिख रही है, वहीं इसका अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, केंद्रीय अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में तेज़ी से प्रसार के लक्षण दिख रहे हैं। इनमें से अधिकांश देश कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष के लिए बहुत कम तैयार हैं। सिंगापुर एवं चीन, जो कोविड-19 से मुक्त होते दिख रहे थे, वहां भी नए मामले सामने आए हैं।

ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब तक 61,888 मामलों और 4205 मौतों की पुष्टि की है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक स्थिति इससे 15 गुना बदतर होने की आशंका है, क्योंकि जांच की दर बहुत धीमी है। सामूहिक कब्रें तैयार करने तक की सूचनाएं आ रही हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह चेतावनी दी है कि वैक्सीन के निर्माण से पहले कोरोना-19 का खतरा हमेशा बरकरार है। संगठन ने यह भी बताया है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो गए हैं, उनके भी इससे संक्रमित होने की पूरी आशंका है। संस्था का यह भी कहना है कि हमें कोविड-19 के दूसरे चरण के लिए तैयार रहना चाहिए।

मानव जाति अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर में जाती हुई दिख रही है। विकास एवं सभ्यता के तथाकथित मॉडल देश अमेरिका एवं पश्चिमी यूरोप भी इसका सामना करने में नाकामयाब साबित हुए हैं, आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।

(लेखक डॉ. सिद्धार्थ जनचौक के सलाहकार संपादक हैं।) 

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles