हाथरस केस: 4 में से एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास सभी गैंगरेप के आरोप से बरी

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हाथरस। हाथरस में 19 साल की दलित लड़की के गैंगरेप और मर्डर केस में एससी एसटी कोर्ट ने चार में से एक दोषी ठहराए गए आरोपी संदीप सिसोदिया को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है । हालांकि गैंगरेप के आरोप से चारों को बरी कर दिया गया है। इससे पहले ढाई साल बाद इस केस में कोर्ट ने फैसला सुनाया।

जिसमें कोर्ट ने 4 आरोपियों में से सिर्फ एक संदीप सिसोदिया को दोषी माना है। जबकि 3 आरोपियों लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को बरी कर दिया। अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या (धारा-304) और SC/ST एक्ट में दोषी माना है।

अब पीड़ित पक्ष के वकील का कहना है कि वो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। दरअसल ये मामला हाथरस के चंदपा इलाके का है,  यहां 14 सितंबर 2020 को अनुसूचित जाति की युवती के साथ गैंगरेप और दरिंदगी का मामला खासा सुर्खियों में आया था।

पीड़िता की भाभी।

गैंगरेप का आरोप गांव के ही चार लड़कों पर लगा था। पीड़िता की साथ बेहद बेरहमी की गई थी। तब युवती के भाई ने गांव के ही संदीप सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

बाद में पीड़िता के बयान के आधार पर 26 सितंबर को तीन और लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह शामिल थे। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

उधर युवती को गंभीर हालत में बागला जिला संयुक्त चिकित्सालय लाया गया था। इसके बाद उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जबकि बाद में उसे 28 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया।

लेकिन वारदात के 15 दिनों बाद उसने दम तोड़ दिया था। जब शव हाथरस लाया गया, तो पुलिस ने बिना परिजन की अनुमति के उसी रात शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

उस वक्त इस घटना से लोगों में खासा आक्रोश पैदा हो गया था और विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले थे। इसके बाद यूपी सरकार ने एसपी और सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था। 11 अक्टूबर को मामले की जांच CBI को सौंप दी गई थी।

प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद CBI ने केस लिया और जांच एजेंसी ने इस मामले में 104 लोगों को गवाह बनाया। इनमें से 35 लोगों की गवाही हुई थी।

67 दिन की जांच के बाद CBI ने 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने चारों अभियुक्तों संदीप, रवि, रामू व लवकुश के खिलाफ आरोप पत्र विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) के न्यायालय में दाखिल किया था।

सीबीआई ने धारा 302, 376 ए, 376 डी, व एससी-एसीटी एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। फैसले से पहले पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाह ने कहा, “लगभग ढाई साल से पीड़िता का परिवार न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है। यहां तक कि परिवार ने अपनी बेटी की अस्थियां अभी तक संभालकर रखी हुई हैं। वे कहते हैं कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा। वे अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे। जिस दिन न्याय मिलेगा, उसी दिन बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।

(हाथरस से धर्मेंद्र सिंह की रिपोर्ट।)

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