Tuesday, April 16, 2024

उफनते नदी नालों को पार कर आदिवासियों के साथ सीपीआई कर रही है पदयात्रा

कांकेर। सीपीआई की सिलगेर से सुकमा तक प्रस्तावित पदयात्रा शुरु हो गई है। यह पदयात्रा राज्य सरकार की वादाखिलाफी, आदिवासियों को न्याय दिलाने व पेसा कानून लागू किये जाने की मांग को लेकर निकाली जा रही है। मंगलवार को सिलगेर से सुकमा तक 100 किमी की पदयात्रा सीपीआई के पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम की अगुवाई में शुरू हुई।

पदयात्रा में सैकड़ों आदिवासी हुए शामिल 

पदयात्रा में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी शामिल हुए हैं। पदयात्रा में सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव एनी राजा भी शामिल हुईं। सिलगेर से निकले पदयात्रियों के यात्रा का पहला पड़ाव चिंतागुफा होगा। यहां रात रुकने के बाद पदयात्रा बुधवार की सुबह आगे बढ़ी। 100 किलोमीटर से ज्यादा यह पदयात्रा दर्जनभर गांवों से होकर गुजरेगी और छठें दिन सुकमा पहुंचेगी। पदयात्री अपने साथ राशन बर्तन लेकर निकले हैं।

सैकड़ों सीपीआई समर्थक पदयात्रा में शामिल 

अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सीपीआई ने मंगलवार से सिलगेर से पदयात्रा शुरू कर दी है। सीपीआई नेता मनीष कुंजाम के साथ राष्ट्रीय सचिव एनी राजा, बीजापुर के जिला सचिव कमलेश झाड़ी सहित सैकड़ों सीपीआई समर्थक इस पदयात्रा में शामिल हैं। सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम का कहना है कि “सरकार की वादाखिलाफी, आदिवासियों को न्याय व पेसा कानून को लागू किये जाने को लेकर यह पदयात्रा निकाली जा रही है।” उनका कहना है कि “आदिवासियों को न्याय नहीं मिल रहा है, क्षेत्र के बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल रही है। स्थानीय युवकों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। अन्य विभागों तथा शिक्षकों की भर्ती में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।”

जल जंगल जमीन आदिवासियों का है

सीपीआई नेता का कहना है कि जल जंगल जमीन आदिवासियों का है। क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य हो, तो ग्रामीणों से सहमति लिया जाना चाहिए। कांग्रेस की सरकार ने अपने वादे अब तक पूरे नहीं किए हैं। जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को लेकर शासन गंभीर नहीं है। जेल से रिहाई के वादे भी अधूरे हैं। आदिवासी क्षेत्रों के लिए बनाये गये पेशा कानून भी लागू नहीं हो पाया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर हमारी पदयात्रा शुरू हुई है। 

प्रशासन की अनुमति के बिना निकली पदयात्रा 

मनीष कुंजाम ने बताया कि पदयात्रा की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी है। बावजूद इसके पदयात्रा की जा रही है। सीपीआई नेता कुंजाम का कहना है कि “आदिवासियों के साथ कई घटनाएं हुईं, पर सरकार मौन है। यह मानवाधिकार का उल्लंघन है”। सीपीआई नेता मनीष कुंजाम और साथी बिना सुरक्षा के अपनी पदयात्रा पर निकल पड़े हैं। मई माह में सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने सुकमा प्रशासन से पदयात्रा को लेकर अनुमति मांगी थी, लेकिन अनुमति नहीं मिली।

आप भी जानिए, इन मांगों को लेकर महासभा कर रही पदयात्रा 

 पेसा कानूनों में आदिवासियों के हित में ज़रुरी सुधार व संशोधित वन नियम 2022 को वापस लेने के अलावा बस्तर के जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा किए जाने ,

ग्राम सभा के बिना अनुमति पुलिस व फोर्स के कैंप स्थापित नहीं किए जाने , सिलगेर समेत विभिन्न गांवों में मांगों को लेकर लंबे समय से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन की मांगें पूरी किए जाने ,

 ग्राम सभा की बिना अनुमति के दिए गए सभी तरह के गौण खनिज के लीज को तत्काल निरस्त किए जाने , सारकेगुड़ा व एड्समेटा जांच कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने जैसी मांग शामिल है ।

(कांकेर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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