पटना। 22 सालों से जेल में बंद टाडा बंदियों के परिजन शुक्रवार को पटना पहुंचे और वीरचंद पटेल मार्ग पर स्थित विधायक आवास के परिसर में भाकपा-माले द्वारा आयोजित एक दिवसीय धरने में शामिल हुए। पीड़ित परिजनों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि आखिर उनके साथ अन्याय क्यों किया गया? 14 साल सजा की अवधि काट चुके लोगों को तो छोड़ दिया गया लेकिन 22 साल से जेल में बंद टाडाबंदियों को रिहा नहीं किया जाना हमारे साथ अन्याय है।
धरने में भाकपा-माले के विधायकों के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। टाडा बंदियों के परिजनों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि उनके साथ न्याय किया जाए।
14 टाडा बंदियों में अब तक 6 की मौत जेल में ही हो चुकी है। एक टाडा बंदी त्रिभुवन शर्मा को 2020 में पटना उच्च न्यायालय के आदेश से रिहा भी किया जा चुका है, लेकिन शेष 6 टाडा बंदी- जगदीश यादव, चुरामन भगत, अरविंद चौधरी, अजित साव, श्याम साव और लक्ष्मण साव अब भी जेल में ही हैं। इन सभी के परिजन आज के धरना कार्यक्रम में शरीक हुए।
टाडा बंदी जगदीश यादव की पत्नी पुष्पा देवी ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि “उनके पति को गलत तरीके से टाडा में फंसाया गया था। वे पटना में डाॅक्टरी का काम करते थे। उनके जेल जाने के बाद हमारा पूरा परिवार बिखर गया। जगदीश जी की उम्र 70 साल की हो चुकी है। हम उम्मीद कर रहे थे कि उनका आखिरी जीवन हमारे साथ गुजरेगा लेकिन सरकार ने हमें निराश किया है।”
अन्य टाडा बंदी सोहराई चौधरी के पुत्र टेमी चौधरी, महंगू चौधरी की बहू कोसमी देवी, बालेश्वर चौधरी की पत्नी रामरति देवी और अरविंद चौधरी की पत्नी फूलना देवी भी धरना में शामिल हुईं। दिवंगत टाडा बंदी शाह चांद की पत्नी जमीला खातून व पुत्र शाह चांद, दिवंगत माधव चौधरी की पत्नी शिवसति देवी और एक मात्र रिहा किए गए टाडा बंदी त्रिभुवन शर्मा भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
धरना में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, विधायक अरूण सिंह, अरवल विधायक महानंद सिंह, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, संदीप सौरभ, मनोज मंजिल, रामबलि सिंह यादव, सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता के अलावा ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव, वरिष्ठ के पार्टी नेता केडी यादव भी शामिल हुए तथा धरने को संबोधित किया।
इस मौके पर माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि “बिहार सरकार ने हाल ही में 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया है, लेकिन यह रिहाई चुनिंदा लोगों की हुई है। 14 साल वाले को रिहा किया जा रहा है लेकिन 22 साल वालों को नहीं, यह कहीं से न्यायोचित नहीं है। सभी टाडा बंदी दलित-अति पिछड़े समुदाय के गरीब-गुरबे हैं। सरकार उनकी रिहाई की गारंटी करे।”
अरवल विधायक महानंद सिह ने कहा कि “हमारी पार्टी ने भदासी कांड के टाडा बंदियों की रिहाई के सवाल पर विगत दिनों मुख्यमंत्री से दो-दो बार मुलाकात की थी। विदित हो कि 1988 की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 14 निर्दोष लोगों को फंसा दिया गया था और उनके ऊपर जनविरोधी टाडा ऐक्ट उस वक्त लगाया गया जब वह पूरे देश में निरस्त हो चुका था। फिर 2003 में सभी को आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई।”
माले नेताओं ने कहा कि “इन टाडा बंदियों ने 22 साल से अधिक की सजा काट ली है। सबके सब बूढ़े व बीमार हैं और इसकी प्रबल संभावना है कि उसमें से कुछ और की मौत हो जाए। 6 में तीन फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं। हम आज के धरना के कार्यक्रम के माध्यम से 22 साल से जेल में बंद टाडा बंदियों की रिहाई पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और उनकी रिहाई की मांग करते हैं।”
(विज्ञप्ति पर आधारित)