Thursday, March 28, 2024

बिहार शरीफ सांप्रदायिक हिंसा की जांच करेगा माले, 11-14 अप्रैल तक सद्भावना एकजुटता जनसंवाद

बिहार,जमुई। भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने जमुई में आयोजित पार्टी राज्य कमेटी की बैठक के दूसरे दिन संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की स्थिति चिंतित करने वाली है। यहां के गरीबों के सामने वास-आवास, शिक्षा, रोजगार आदि के सवाल मुंह बाये खड़े हैं, लेकिन पूरे राज्य में रामनवमी का इस्तेमाल सांप्रदायिक हिंसा और उन्माद फैलाने के लिए किया गया। उस पर अमित शाह के वक्तव्य ने आग में घी डालने का काम किया। धर्म का बेहद गलत राजनीतिक इस्तेमाल किया गया। मदरसा-मस्जिद को टार्गेट किया गया। धार्मिक आस्था को उन्माद से अलग करना होगा।

माले महासचिव ने कहा कि यह महज साम्प्रदायिक उन्माद नहीं है, बल्कि 100 साल पुराने ऐतिहासिक मदरसे को तोड़कर शिक्षा के केंद्र पर हमला किया गया है, जहां बड़ी संख्या में लड़कियां पढ़ती हैं। मोदी सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती है, नीतीश सरकार भी लड़कियों की शिक्षा पर बहुत जोर देने का दावा करती है, लेकिन आज शिक्षा के ही केंद्र पर हमला किया जा रहा है। यह बहुत चिन्ताजनक है।

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाकपा-माले ने 11 से 14 अप्रैल तक पूरे बिहार में शिक्षा के इस ऐतिहासिक केंद्र पर सुनियोजित हमले के खिलाफ सद्भावना एकजुटता जनसंवाद चलाने का निर्णय किया है। विदित है कि 11 अप्रैल महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले का जन्म दिन है, वहीं 14 अप्रैल डॉ अम्बेडकर का। 14 अप्रैल को बिहार शरीफ मे एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होगा। पार्टी की महिला नेता वहां का दौरा करेंगीं और घटना की विस्तृत जांच रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। भाकपा-माले मदरसे के पुनर्निर्माण की मांग को पुरजोर तरीके से उठाएगी।

माले राज्य कमेटी की बैठक

माले महासचिव ने कहा कि जन संवाद को राज्य के विभिन्न टोले-मुहल्लों को चिन्हित कर चलाया जाएगा जिसमें पार्टी के सभी विधायक और राज्य कमेटी के सदस्य भाग लेंगे। 14 अप्रैल को प्रखंड स्तर पर मार्च, गोष्ठियां और कन्वेंशन आयोजित किए जाएंगे।

बिहार शरीफ में सिटी पैलेस, एशिया होटल सहित सैकड़ों दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। उलटे मुस्लिम समुदाय के गरीब नौजवानों को गिरफ्तार किया जा रहा है, यह कहीं से उचित नहीं है।

माले महासचिव ने आगे कहा कि बिहार में घटित साम्प्रदायिक उन्माद की घटनाओं पर नीतीश सरकार को गम्भीरता दिखलाना चाहिए। भड़काऊ वक्तव्य देने वालों पर कड़ी कार्रवाई के जरिए देश को एक बेहतर संदेश देना चाहिए। अमित शाह ने जिस प्रकार का वक्तव्य दिया वह बिहार को अस्थिर करने वाला वक्तव्य है। जरूरत इस बात की है कि सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर उन्माद-उत्पात की घटनाओं और ऐसे विनाशकारी विचारों को पीछे धकेलने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाए।

उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार संविधान का उल्लंघन कर रही है। डॉ अम्बेदकर ने चेतावनी दी थी कि यदि भविष्य में यह देश धर्म के नाम पर हिन्दू राष्ट्र की बात करेगा तो यह सबसे बड़ी विपत्ति होगी। यह समाज के दबे-कुचले लोगों के लिए खतरनाक होगी। आज वही आशंका सच साबित हो रही है।

राज्य कमेटी की बैठक

दीपंकर ने कहा कि उन्मादी घटनाओं के पीछे भाजपा की गहरी साजिश है। 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने बिहार में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू कर दी है। दरअसल, बिहार की सत्ता से बेदखली के बाद भाजपा बौखलाई हुई है और वह उन्माद-उत्पात फैलाने में लगी हुई है। बिहार सरकार को जिस स्तर व जिस गति से इन उन्मादी-उत्पाती ताकतों पर लगाम लगाना चाहिए, उसमें कमी दिख रही है। नफरत व विभाजन की राजनीति को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

संवाददाता सम्मेलन में माले राज्य सचिव कुनाल, महबूब आलम, धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, सत्यदेव राम, गोपाल रविदास, मीना तिवारी, शशि यादव उपस्थित थे।

27 अप्रैल को फ़र्जी बिल, आवास, जमीन से बेदखली के खिलाफ खेत मजदूरों और गरीबों का प्रदर्शन होगा। भाकपा-माले सभी रिक्त पदों पर अविलम्ब बहाली की मांग का भी समर्थन करती है।

(विज्ञप्ति पर आधारित)

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