Friday, March 29, 2024

सांसदों, विधायकों पर शिकंजा, हाईकोर्ट की इजाज़त बिना आपराधिक मामले वापस नहीं होंगे

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार 10 अगस्त 2021 को बड़ा फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट की इजाजत के बिना सासंदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले वापस नहीं लिए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें संबंधित हाईकोर्ट की इजाजत के बिना केस वापस नहीं ले सकेंगी। हाईकोर्ट हाल ही में केरल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर भी फैसला देंगे।यह केरल विधानसभा में हंगामें से सबंधित है जिसमें उपद्रवी विधायकों पर दर्ज केस वापस लेने की इजाजत शीर्ष कोर्ट ने नहीं दी।

उच्चतम न्यायालय ने ये भी कहा कि सभी हाई कोर्ट के रजिस्टार जरनल अपने चीफ जस्टिस को सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित, निपटारे की जानकारी दें। सीबीआई कोर्ट और अन्य कोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें। सासंदों/ विधायकों के खिलाफ आपराधिक ट्रायल के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय स्पेशल बेंच का गठन करेगा।

उच्चतम न्यायालय ने ये बड़ा कदम एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया की रिपोर्ट पर उठाया। इसके मुताबिक, यूपी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी विधायकों के खिलाफ 76 मामले वापस लेना चाहती है। कर्नाटक सरकार विधायकों के खिलाफ 61 मामलों को वापस लेना चाहती है। उतराखंड और महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह केस वापस लेना चाहती हैं।

जनप्रतिनिधियों अर्थात सासंदों, विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल न करने पर केंद्र सरकार से उच्चतम न्यायालय ने नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि हमने शुरू में ही केंद्र से आग्रह किया था कि वो सांसदों, विधायकों से संबंधित लंबित मामलों में गंभीर हो, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कुछ नहीं हुआ। कोई प्रगति नहीं हुई। उन्होंने ईडी की स्टेट्स रिपोर्ट पेपर में छपने पर नाराज़गी जताई और कहा कि आज हमने पेपर में रिपोर्ट पढ़ी। सब मीडिया को पहले मिल जाता है। एजेंसी अदालत को कुछ नहीं देती। ईडी के हलफनामा भी फॉर्मेट में नहीं है और इसमें सिर्फ आरोपियों की सूची है।

सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने इस मामले में अभी स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। तुषार मेहता ने कोर्ट से फॉर्मेट के हिसाब से स्टेट्स रिपोर्ट दाख़िल करने के लिए समय मांगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि एक स्पेशल बेंच का गठन करना होगा, जो इन मामलों की निगरानी करेगी। तुषार मेहता ने कहा कि वो भरोसा दिलाते हैं कि केंद्र सरकार इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जल्द ही सही तरीके से स्टेटस रिपोर्ट जारी की जाएगी।

वकील कामिनी जयसवाल ने कहा कि अकेले गुजरात में 7000 अपील लंबित हैं। अदालती आदेश सिर्फ ट्रायल को लेकर है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण के लिए स्पेशल बेंच का गठन करेंगे। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया। कोर्ट ने दो हफ्ते के समय के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

केरल के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि विधानसभा में हंगामे के लिए प्रमुख माकपा नेताओं के खिलाफ मामले वापस नहीं होंगे और उनके खिलाफ ट्रायल चलेगा। उच्चतम न्यायालय ने तल्‍ख टिप्‍प‍णियां भी कीं और कहा कि इन उपद्रवी विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना जनहित और लोक न्याय के खिलाफ होगा। फैसले में कहा गया है कि चुने हुए लोग कानून से ऊपर नहीं हो सकते और उन्हे उनके अपराध के लिए छूट नहीं हो सकती।उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि इसमें कोई मेरिट नहीं है। विधायकों के लिए छूट आपराधिक कानूनों के खिलाफ इम्यूनिटी तक नहीं बढ़ाई जा सकती है। सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने का एक कथित कार्य सदन के सदस्यों के रूप में कार्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक नहीं है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles