Saturday, April 20, 2024

छत्तीसगढ़ में आ गयी है हिरासत में मौतों की बाढ़!

रायपुर। आखिर छत्तीसगढ़ में पुलिस हिरासत में क्यों मौत के मुंह में समा रहे हैं लोग? बीते दिनों एक घटना की बात करें तो अवैध शराब के कारोबार में लिप्त होने के आरोप के बाद मंगलवार को गिरफ्तार किए गए हरिचंद (26) का शव बुधवार को सुबह आबकारी विभाग के कंट्रोल रूम में पंखे से लटका हुआ मिला था। फिर उसी शाम पांच बजे शव का पीएम किया गया। शुरुआती पोस्टमार्टम की शार्ट रिपोर्ट में आत्महत्या की पुष्टि हुई है। इसी मामल को लेकर उस दिन जिले के बोड़ला, चिल्फी व कवर्धा में प्रदर्शन हुआ था।

छत्तीसगढ़ में पुलिस हिरासत के दौरान हो रही मौतों पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सवाल उठाते हुए कहा कि सारे मामलों की उच्च स्तरीय जांच हो। साथ ही सरकार को इन मसलों की जांच के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आबकारी नियंत्रण कक्ष कवर्धा में हुई युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत कई सवालों को जन्म देती है। कवर्धा के चिल्फी थाना अंतर्गत युवक हरिचंद मरावी की मौत जिन परिस्थितियों में हुई है, उस पर प्रशासन पर्दा डालने में लगा हुआ है।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार के सात महीनों के कार्यकाल में अब-तक सात लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें पुलिस व आबकारी हिरासत में हुई हैं। गृहमंत्री का मौन कई प्रश्नों को जन्म देता है। कौशिक ने अब तक हुई मौत का हवाला देते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बलरामपुर जिले के कृष्णा सारथी की मौत 26 जून को चंदोरा थाने में हुई थी। जिसे पुलिस आत्महत्या बताकर पर्दा डालने में लगी है। बिलासपुर के मारवाही थाने में चंद्रिका प्रसाद तिवारी की आठ अप्रैल को मौत जिन परिस्थितियों में हुई है, आज भी उस पर एक सवाल बना हुआ है। चंद्रिका तिवारी को बेरहमी से प्रताड़ित किया गया और मौत के बाद पुलिस ने हार्ट अटैक बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया।

22 जुलाई को सूरजपुर के सलका अधिना ग्राम निवासी पंकज बैक की मृत्यु पुलिस हिरासत में हुई, लेकिन पुलिस ने इसे भी आत्महत्या बताया। चंगोरा भाठा निवासी सुनील श्रीवास की मौत सात मई को पांडुका थाने के पुलिस लाकअप में प्रताड़ना के द्वारा हुई है। इसे भी आत्महत्या का मामला बताकर दबाने की कोशिश की गयी है।

लगातार हो रही हिरासत में मौतों के लिए कांग्रेस सरकार ने अभी तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है और मौतों का सिलसिला लगता बढ़ता जा रहा है।

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