उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के महोबकंठ थानान्तर्गत एक गांव है माधवगंज। 2000 की आबादी वाले इस गांव में आजादी के 74 सालों बाद भी आज तक किसी दलित दूल्हे की बारात घोड़ी पर सवार हो कर नहीं निकल सकी है। यहां ऊंची जाति के लोग दलितों को घोड़ी चढ़ने की इज़ाज़त नहीं देते।
लेकिन 22 वर्षीय अलखराम अहिरवार ने 74 साल की परंपरा को चुनौती देते हुये 18 जून को होने वाली शादी में घोड़ी चढ़ने का फैसला लिया है। लेकिन उन्हें गांव के सवर्णों का डर भी है।
इस डर को अपनी फेसबुक वॉल पर साझा करते हुये अलखराम ने लिखते हैं कि वह घोड़ी चढ़ना चाहते हैं, पर गांव के बाकी लोगों की तरह ही कहीं उनके भी अरमान अधूरे न रह जाएं। उन्होंने कहा है कि उनकी मदद की जाए।
प्रशासन ने दिया मदद का भरोसा
अलखराम की पोस्ट वॉयरल होने के बाद पुलिस प्रशासन की ओर से भी आश्वासन दिया गया है कि किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।
अलखराम की ओर से थाने में दिए पत्र के बाद पुलिस की ओर से भी मामले का संज्ञान लिया गया है। पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। महोबकंठ थाना पुलिस को शांति व्यवस्था कायम रखने के निर्देश दिए गए हैं।
थानाध्यक्ष महोबकंठ सुनील तिवारी ने बताया है कि अलखराम का प्रार्थना प्राप्त हुआ है, मौके के माहौल को देखते हुए सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
भीम आर्मी द्वारा अपने सदस्यों से 18 जून को अलखराम के गांव पहुंचने की अपील की गयी है।
अलखराम की पोस्ट को देखते हुए भीम आर्मी ने अपने दम पर अलखराम की बारात घोड़ी में चढ़वा कर निकलवाने की तैयारी शुरू कर दी है ।
अलखराम घोड़ी पर बैठेगा हैशटैग ट्विटर पर कर रहा ट्रेंड
#अलखराम_घोड़ी_पर_बैठेगा ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। लोग बाग अलखराम के सपोर्ट में सोशल मीडिया पर आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
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