Saturday, April 20, 2024

यूएन में गूंजी किसानों की आवाज़, दर्शन पाल ने कहा- हमारी सरकार से घोषणापत्र का सम्मान करने को कहे यूएन

नई दिल्ली। किसान आंदोलन की आवाज यूएन तक पहुंच गयी है। और यह काम किसी और ने नहीं बल्कि किसानों ने खुद किया है। इसके लिए किसान नेता डॉ. दर्शनपाल को बुलाया गया था।

इस मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को भारत सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि क़ानूनों के प्रति किसानों की चिंता, अहित और असुरक्षाबोध से संयुक्त राष्ट्र को परिचित कराया है।

 डॉ. दर्शनपाल ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधाकिर परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि “मेरा नाम डॉ. दर्शन पाल है और मैं भारत का एक किसान हूँ। मैं आभारी हूँ कि संयुक्त राष्ट्र हमको सुन रहा है। हम भारतीय किसान अपने देश से प्रेम करते हैं। और हमको उस पर गर्व है। हम संयुक्त राष्ट्र पर भी गर्व का अनुभव करते हैं। जिसने किसानों के अधिकारों का घोषणा पत्र जारी किया, कि दुनिया भर के छोटे किसानों के हितों की रक्षा हो।”

उन्होंन अपने वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र का हवाला देते हुए कहा कि “मेरे देश ने भी इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और कई सालों तक, इसमें किसानों के हित सुरक्षित रहे। इसमें किसानों की फसल के उचित मूल्य़ांकन के द्वारा उनकी गरिमापूर्ण आजीविका सुनिश्चित करना भी हिस्सा था। जिसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कहते हैं। हमारे पास एक अच्छा बाज़ार तंत्र था जिसका प्रयोग ग्रामीण आधारभूत ढांचे के विकास में होता था। और साथ ही हम अदालत में भी जा सकते थे। नये कृषि क़ानूनों में ये सब हमसे छीना जा रहा है। ये क़ानून हमारी आय दोगुनी नहीं करने वाले हैं। जिन कुछ राज्यों में पहले ऐसी ही नीति लागू की गई है उन्होंने किसानों को गरीबी के चपेट में आते देखा है। वे अपनी ज़मीनें गँवाकर मजदूरी करने को मजबूर हैं। हमको सुधार तो चाहिए, पर ऐसे सुधार नहीं चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि “यूएन का घोषणापत्र देशों को बाध्य करता है कि नई योजना-नीति लागू करने से पहले, किसानों से सलाह लें। हम संयुक्त राष्ट्र से विनम्र निवेदन करना चाहते हैं कि हमारी सरकार से घोषणापत्र का सम्मान करने को कहें। कि सरकार क़ानून वापस ले। और किसानों से बात करे। और फिर किसान के हित में नीतियां बनाकर लागू करे। साथ ही ऐसी नीतियां जो कि पर्यावरण के भी हित में हों। जैसा कि किसानों के लिए घोषणापत्र में उल्लिखित है।”

https://www.facebook.com/kisanektamorcha/videos/267290418229685

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।