Thursday, March 28, 2024

पलामू में डीलर कर रहा है राशन की कालाबाज़ारी, ज़रूरतमंद भीख मांगने को मजबूर

पलामू। पलामू जिले के सतबरवा प्रखण्ड अंतर्गत पोंची भुइयां समुदाय का गांव है। यह आरजेडी के पूर्व विधायक और पूर्व सांसद मनोज भुइयां का पैतृक गांव भी है। वर्तमान में वे और उनकी पत्नी दोनों भाजपा में हैं और उनकी पत्नी पुष्पा देवी जिले के पाटन-छतरपुर से विधायक हैं। इस गांव के राशन डीलर अजय कुमार की मनमानी के कारण लगभग 100 भुइयां परिवार भूखों मरने की स्थिति में हैं। इन सारे परिवारों के पास खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन कार्ड भी है, लेकिन डीलर उन्हें विगत 3 महीनों से राशन न देकर पीडीएस में आवंटित सामग्रियों की काला बाजारी कर रहा है। 

एक ओर पूरी दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है, भारत भी इससे अछूता नहीं है। पूरे देश में 21 दिन का लॉक डाउन है। देश के लाखों गरीब मजदूर रोजगार और खाना को लेकर भयभीत हैं। सरकार किसी को भूख से नहीं मरने देगी, की घोषणा पर घोषणा कर रही है। वहीं अजय कुमार जैसे लोग भी हैं जो अपनी तिजोरी भरने के लिए भूखों के निवाले पर कुण्डली लगाये बैठे हैं। इस गांव की 80 वर्षीय मुल्का देवी और उनके पति दोनों काफी बुजुर्ग हैं और विकलांग भी हैं, जिनकी कार्ड संख्या 202002703136 है। उन्होंने बताया है कि वे कई महीनों से लगातार 8-10 दिनों तक डीलर के पास जाते हैं, लेकिन डीलर उन्हें राशन नहीं देता है। इस बाबत झारखण्ड नरेगा वाच के समन्वयक जेम्स हेरेंज बताते हैं कि आनलाइन रिकॉर्ड में भी

जनवरी से मार्च तक इन्होंने राशन का उठाव नहीं किया है। वे बताते हैं कि इन्हीं की भाँति 64 अन्य लाभार्थियों ने इसकी शिकायत पत्र लिखकर यह बताया है कि हर महीने डीलर अजय कुमार पाश मशीन में सिर्फ अंगूठा लगवाकर कार्ड में वितरित सामग्री की फर्जी मात्रा दर्ज कर देता है। राशन देने के बारे में पूछने पर कहता है कि अभी आवंटित मात्रा नहीं आयी है। 5-6 दिन बाद राशन आयेगा तो आप लोगों को सामग्री मिल जाएगी। लेकिन इसके बाद भी लाभार्थियों को कभी नियमित राशन नहीं दी जा रही है। इस संबंध में उन लोगों ने 6 मार्च को ही एक शिकायत पत्र लिखकर उपायुक्त, पलामू को सौंपा है, लेकिन अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, सतबरवा और अन्य स्थानीय अधिकारियों को भी ग्रामीणों द्वारा इस मामले को लेकर लगातार अवगत कराया जाता रहा है।

आनलाइन रिकॉर्ड के सत्यापन से स्पष्ट है कि डीलर अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रहा है। बता दें कि डीलर के अधीन कुल 216 राशन कार्ड धारी हैं। जिनमें 203 पीएच और 13 अन्त्योदय कार्ड धारक हैं। इनमें से जनवरी में यहां सिर्फ 136 कार्डधारकों को सामग्री देने की सूचना दर्ज है। इसी तरह फरवरी में 130 तथा मार्च में अब तक 147 लाभुकों को भी राशन एव अन्य सामग्री वितरण की सूचना है। इससे यह साबित होता है कि प्रत्येक माह औसतन 137 लाभार्थियों को ही पीडीएस दुकान से सामग्री वितरित की जा रही है और लगभग 80 कोटा धारकों को राशन एवं अन्य सामग्रियों से वंचित होना पड़ रहा है। ये 80 परिवार अधिकांशतः भुइयाँ समुदाय से हैं। डीलर को हर महीने मिलने वाला कुल आवंटन 52.65 क्विंटल खाद्यान्न और 327 लीटर किरासन तेल है।

इस मामले में जब झारखण्ड नरेगा वाच के समन्वयक जेम्स हेरेंज द्वारा जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से बात की गई तब जाकर राशन डीलर अजय कुमार को 31 मार्च को निलंबित कर डीलर बैजनाथ प्रसाद को अजय कुमार के तमाम कार्ड धारकों को स्थानान्तरित कर दिया गया।

वहीं गढ़वा जिले के खरौंधी प्रखंड अंतर्गत बैतरी मोड़ में रहने वाले मुसहर जाति के लगभग 6 परिवारों के दो दर्जन लोग भूखे पेट सोने के लिए विवश हैं। यहां मुसहर जाति के ये लोग लगभग 15 वर्षों से बैतरी मोड़ के पास जंगल में रह रहे हैं और भीख मांग कर गुजर-बसर करते रहे हैं। लेकिन 21 दिनों के इस लॉक डाउन के कारण लोगों को कोई भीख भी देने के लिए तैयार नहीं है। 

इन लोगों का कहना है कि वे हर रोज मांग कर लाते हैं और खाते हैं। लेकिन, अब स्थिति अलग हो गई है। जहां भी भीख मांगने जाते हैं, वहां से लोग डांटकर भगा देते हैं। इस बुरे वक्त में भी कुछ दयालु लोग हैं, जो कभी-कभार चावल आदि दे देते हैं। जिस दिन कुछ मिल गया, उस दिन भोजन मिल जाता है, वरना भूखे पेट सोना पड़ता है।

यहां रह रहे सुकुंती कुंवर, तेजू मुसहर, उदय मुसहर, जय कुमार मुसहर, गुड्डू मुसहर, धर्मेंद्र मुसहर वगैरह बताते हैं कि वे 15 वर्षों से बैतरी मोड़ पर स्थित जंगल में रह रहे हैं। पिछले वर्ष खरौंधी के बीडीओ एजाज आलम ने प्रखंड कार्यालय में बुलाया था। आधार कार्ड बनाने के लिए फोटो भी लिया गया, लेकिन आधार कार्ड आज तक नहीं मिला है। बता दें कि इन 6 परिवारों के करीब दो दर्जन लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों सहित पेड़ के नीचे सोने के लिए मजबूर हैं। इसकी खबर स्थानीय अखबारों में और कई न्यूज पोर्टल में भी आई थी। मगर इनकी कितनी सुध ली गई है अभी तक कोई खबर नहीं मिल पाई है।

जेम्स हेरेंज कहते हैं कि विश्वव्यापी संकट की इस घड़ी में हम सब लोग इन बातों के लिए प्रयास कर रहे हैं कि किसी को खाद्यान्न एवं अन्य जरुरी चीजों की कमी न हो, वहीं कुछ राशन डीलर, आदतन लाभुकों के राशन में कटौती करके वितरण कर रहे हैं और मई महीने का राशन दिए वगैर ही लाभुकों के कार्ड में एंट्री कर दे रहे हैं। इससे साफ पता चलता है कि डीलरों को कानून का कोई खौफ नहीं है। अभी सख्त जरुरत है कि सरकारी मशीनरी और सामाजिक कार्यकर्ता ऐसे अमानवीय लोगों पर कड़ी निगरानी रखें।

वे बताते हैं कि लातेहार जिले के जुगरू गांव के टोले चहल का डीलर राजेश कुमार पिता स्व. भूवनेश्वर साव है। जो लाभुकों के राशन में कटौती तो कर ही रहा है, सरकारी आदेश की भी अवहेलना कर रहा है।

बताते चलें कि कोरोना संकट को देखते हुए सरकारी आदेश है कि अप्रैल और मई दोनों माह का राशन एक ही बार में देना है। लेकिन डीलर राजेश कुमार द्वारा अप्रैल माह का ही राशन दिया गया है और रजिस्टर में मई माह का भी दर्ज कर लिया गया है। इसके अलावा प्रत्येक यूनिट के हिसाब से पांच किलो अनाज देना है, लेकिन डीलर द्वारा चार किलो के हिसाब से अनाज दिया जा रहा है। यानी 9 यूनिट वाले को जहां 45 किलो देना है, वहां 35 किलो ही दिया जा रहा है।

जैसे राम बालक सिंह का यूनिट 9 है, जिसे 45 किलोग्राम अनाज देना है, मगर डीलर द्वारा दिया 35 किलोग्राम। अशोक सिंह यूनिट 2, होता है 10 किलोग्राम, मगर डीलर ने दिया 8 किलोग्राम। कृष्णा सिंह यूनिट 7, होता है 35 किलोग्राम, मगर डीलर ने दिया 28 किलोग्राम। बैजनाथ सिंह यूनिट 8, होता है 40 किलोग्राम, मगर डीलर ने दिया 32 किलोग्राम। सुरेश मुण्डा यूनिट 10, होता है 50 किलोग्राम, मगर डीलर ने दिया 40 किलोग्राम। राम सहाय उरांव यूनिट 3, होता है 15 किलोग्राम, मगर डीलर ने दिया 11 किलोग्राम। सुखदेव सिंह यूनिट 3, होता है 15 किलोग्राम, मगर डीलर ने दिया 11 किलोग्राम। इस बाबत एक शिकायत पत्र लातेहार डीएम के नाम ग्रामीणों ने 1 अप्रैल को ग्राम प्रधान की अनुशंसा से भेजा है, जिसमें लिखा गया है कि डीलर द्वारा दिए गए अनाज का जब वजन कराया गया तो इतना अंतर पाया गया। रिपोर्ट लिखे जाने तक किसी कार्रवाई की सूचना नहीं है।

देखना होगा कि इस मानवीय संकट की घड़ी में डीलर राजेश कुमार पर प्रशासनिक कार्यवाही होती है कि लीपापोती?

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल बोकारो में रहते हैं।)

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