कल 28 जनवरी 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट में माननीय जस्टिस संजीव सचदेवा की कोर्ट ने 1 फरवरी, 2022 तक सांसी कैंप को प्रोटेक्शन देकर राहत प्रदान की। रेलवे प्रशासन ने दिल्ली हाईकोर्ट में सांसी कैंप के हरियाणा में स्थित होने का मुद्दा उठाया किंतु कोर्ट में हुई बहस में रेलवे ने स्वीकार किया कि यह दिल्ली में स्थित है साथ ही कोर्ट ने दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट पोर्ट गोपी जवाब फाइल करने के लिए आदेश दिया गया इस मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी, 2022 को होगी।

मजदूर आवाज संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक निर्मल गोराना ने जनचौक को बताया कि सांसी कैंप बस्ती में आफत तब आ पड़ी। जब दिनांक 14 जनवरी, 2022 को रेलवे प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया जिसमें लिखा हुआ था कि सांसी कैंप वासियों को सूचित किया जाता है कि वह अपने अस्थाई टेंट क्लिपर फेंसिंग बाउंड्री के आगे ना लगाएं यह रेल के सुरक्षा एवं आप सभी की सुरक्षा के लिए ख़तरा है। अतः आप अपने अस्थाई टेंट दिनांक 24 जनवरी, 2022 से पहले हटा लें नहीं तो 25 जनवरी 2022 दिन मंगलवार को प्रातः 11:00 बजे रेलवे प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी।
तत्काल ही सांसी आवास समिति एवं मजदूर आवास संघर्ष समिति ने सांसी कैंप के प्रत्येक परिवार से आवश्यक दस्तावेज़ एकत्रित करके एक मामला दिल्ली हाईकोर्ट में मामला संख्या 1568/2022 सांसी आवास समिति बनाम इंडियन नॉर्दर्न रेलवेज फाइल किया गया।

बता दें कि दिल्ली के तुग़लक़ाबाद रेलवे स्टेशन के पास में 30 वर्ष पुरानी बस्ती सांसी कैंप है जहां सांसी समुदाय के लगभग 90 से अधिक परिवार रहते हैं और यह समुदाय बूट पॉलिश, रिक्शा चलाना, निर्माण अधिकारियों में संलग्न है।
सांसी समुदाय वर्षों से दिल्ली में है किंतु बदरपुर बॉर्डर के पास में दिल्ली के अंतिम छोर पर स्थित होने के कारण आज तक दिल्ली सरकार ने कभी भी सांसी कैंप केस शासित समुदाय को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्राथमिकता नहीं दी जिसकी वजह से आज भी सांसी समुदाय के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं और अधिकतम परिवार राज्य सरकार की सरकारी योजनाओं एवं केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। और यही कारण है कि वर्षों से अपने प्लास्टिक के टेंट के आशियाने में अपने परिवार को लेकर गुज़र-बसर कर रहे हैं। (जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)