जम्मू-कश्मीर के बाद अब लद्दाख से भी पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठ गई है। गौरतलब है कि 05 अगस्त 2018 को केंद्र की मोदी सरकार ने पूरे जम्मू कश्मीर को बंदूक की नोक पर रखकर राज्य को तीन केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
लद्दाख में लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के प्रतिनिधियों ने कई बैठकों के बाद चार मांगों के लिए संयुक्त संघर्ष पर सहमति बनाया है। इसमें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के अलावा एक माह के भीतर रिक्त पदों पर भर्ती शुरू करने, संविधान की छठी अनुसूची अथवा अनुच्छेद 371 के तहत संपत्ति व नौकरी पर विशेषाधिकार और कारगिल व लेह के लिए लोकसभा और राज्यसभा की दो-दो सीटें देने की मांग की गई।
कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के अध्यक्ष क़मर अली आखून और लेह एपेक्स बॉडी के प्रतिनिधियों ने बैठक के बाद कहा है कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद कई मुश्किलें सामने आई हैं। इसे लेकर केंद्र से भी बातचीत की गई। हालांकि कारगिल और लेह के प्रतिनिधियों में मांगों को लेकर भिन्नता थी। इस पर कई बैठकें करने के बाद चार मांगों के लिए संघर्ष करने की सहमति बन गई है।
एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के प्रतिनिधियों ने कहा है कि एलजी प्रशासन ने यदि एक माह में खाली पड़े सभी पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लद्दाख को जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर डोमिसाइल का प्रावधान कतई मंजूर नहीं है।