नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले असम में सीएए विरोधी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा और क्षेत्रवाद के समर्थक रहे एएएसयू के पूर्व अध्यक्ष दीपांक कुमार नाथ रविवार, 28 जनवरी को भाजपा में शामिल हो गए।
दीपांक नाथ 2015 से 2022 तक प्रभावशाली छात्र संगठन (AASU) के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे पूर्व कांग्रेस विधायक और मंत्री बिस्मिता गोगोई और पूर्व राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष अंगकिता दत्ता, राज्य इकाई के अध्यक्ष बी कलिता और कई पार्टी विधायकों की मौजूगदी में राज्य भाजपा मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। वहीं एएसएसयू के पूर्व उपाध्यक्ष और सलाहकार प्रकाश दास भी भाजपा में शामिल हुए।
दीपांक ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले शासन के दौरान उठाए गए कई कदम जैसे कि हाल ही में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन इस तरह से किया गया है जिससे स्वदेशी समुदायों के हित सुरक्षित रहेंगे। सतरा भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराना और एक लाख नौकरियां देने जैसे कार्यों ने उन्हें भाजपा की ओर आकर्षित किया है। ये ऐसे मुद्दे थे जिन पर एएएसयू वर्षों से विचार कर रहा था।
हालांकि वर्तमान और पूर्व एएएसयू नेताओं ने नाथ पर छात्र संगठन के साथ-साथ असम के लोगों को भी निराश करने का आरोप लगाया है जिन्होंने उनके और एएएसयू के पूर्व महासचिव और वर्तमान में क्षेत्रीय दल असम जातीय परिषद के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई के नेतृत्व में सीएए विरोधी आंदोलन में भाग लिया था।
एएएसयू के एक नेता ने कहा कि “नाथ ने सीएए विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया। वह 30 वर्षों तक क्षेत्रवाद के समर्थक रहे और अब वह सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए हैं जिसने सीएए पारित किया है, जो असम के लिए हानिकारक कानून है। उन्होंने एएएसयू और असम की जनता दोनों को धोखा दिया है।”
ऊपरी असम के खुमताई निर्वाचन क्षेत्र से एक बार विधायक-मंत्री रहीं बिस्मिता गोगोई पिछले दो चुनाव हार गई थीं। खुमताई निर्वाचन क्षेत्र के एक निवासी ने कहा कि मौजूदा खुमताई विधायक मृणाल सैकिया की अच्छी पकड़ थी और उनका राजनीतिक करियर कुछ खास नहीं चल रहा था, इसलिए उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
उन्होंने कहा “वह पिछले कुछ समय से शायद ही कांग्रेस की गतिविधियों में शामिल थीं और ऐसी अटकलें थीं कि वह 2022 में भाजपा में शामिल होंगी।”
वहीं बिस्मिता ने कांग्रेस पर रास्ता भटक जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि “वह भाजपा में शामिल हो गईं क्योंकि कांग्रेस अपना रास्ता भटक गई थी और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा दोनों के विकास के दबाव से आकर्षित हुईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।“
पूर्व राज्य अध्यक्ष अंजन दत्ता की बेटी अंगकिता दत्ता लगातार विधानसभा चुनाव हार रही थीं और उनका निर्वाचन क्षेत्र अमगुरी पिछले साल के परिसीमन के दौरान अपने पुराने स्वरूप को खो दिया। पिछले साल युवा कांग्रेस अध्यक्ष बी. वी. श्रीनिवास पर उन्होंने परेशान करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)
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