Friday, April 19, 2024

फिर बच्चों के लिये काल बना योगीराज; दर्जन भर जिलों में डेंगू, इंसेफिलाइटिस, निमोनिया का कहर

उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद जिले में अब तक 89 बच्चों और बड़ों की मौत बुखार से हो चुकी है। जबकि कल कुल 110 बाल मरीज स्वायत्त राज्य चिकित्सा कॉलेज फ़िरोज़ाबाद जिला में डेंगू और वॉयरल फीवर के संदेह में भर्ती कराये गये हैं। 58 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। अस्पताल की प्रिंसिपल डॉक्टर संगीता अनेजा ने ये जानकारी दी है।

वहीं उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया है कि एक केंद्रीय टीम ने पाया है कि फ़िरोज़ाबाद जिले में बच्चों में वायरल बुखार और मौत की मुख्य वजह डेंगू और कुछ मामलों में स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस हैं।    

फ़िरोज़ाबाद में रोज़-ब-रोज़ हो रही बच्चों की मौत का ऑडिट कराने के लिए जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने कमेटी गठित की है। स्वास्थ्य विभाग की चार सदस्यीय टीम मौत के कारण का पता लगाएगी। टीम को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए मात्र दो दिन का समय दिया गया है।

फ़िरोज़ाबाद सीएमओ डॉ. दिनेश प्रेमी ने जानकारी दी है कि बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग की चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस टीम में एसडीएम सदर, स्वास्थ्य विभाग के दो पदाधिकारी, एक मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक शामिल हैं। टीम का गठन करने के बाद डीएम चंद्र विजय सिंह ने टीम को दो दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। गौरतलब है कि फिरोजाबाद में अब तक 89 बच्चे और बड़ों की मौत बुखार से हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 30 अगस्त को फ़िरोज़ाबाद जिले का दौरा किया था।

वहीं मामला मीडिया में आने के बाद और अपनी नौकरी पर ख़तरा मँडराता जान जिलाधिकारी गांव गांव जाकर लोगों को साफ सफाई और मच्छरों से बरती जाने वाली सावधानियों पर जनजागरुकता कार्यक्रम चला रहे हैं। साथ ही जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने स्वास्थ्य एवं नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे घर-घर जाकर कूलरों, गमलों और अन्य बर्तनों में जमा पानी की निकासी करें।

वहीं दूसरी ओर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) दिनेश कुमार प्रेमी ने पीटीआई-भाषा को बताया है कि जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों के तालाबों में सामान्य रूप से गंबुसिया मछलियों को छोड़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में बदायूं से 50 पैकेट मछली बीज प्राप्त किए गए हैं।

सीएमओ दिनेश कुमार प्रेमी ने कहा कि बरेली और बदायूँ जिलों में इसकी सफलता को देखते हुए जिला प्रशासन इस प्रयोग के साथ आगे बढ़ रहा है। एक गंबूसिया मछली रोजाना करीब 100 लार्वा खाती है। यह उपाय मलेरिया के ख़िलाफ़ भी प्रभावी होगा।

प्रयागराज 120 बेडों वाले जिला अस्पताल में क़रीब 200 बच्चे भर्ती

वायरल फीवर और चमकी बुखार के कारण प्रयागराज जिला में अब तक क़रीब 200 बच्चों को एडमिट किया जा चुका है। रविवार को प्रयागराज के सीएमओ डॉ. नानक सरन ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू अस्पताल में 171 से अधिक बच्चों को क्रॉनिक बीमारियों, इंसेफेलाइटिस (चमकी बुखार) और निमोनिया जैसे वायरल बुखार के कारण भर्ती कराया गया है, जहां पर बच्चों के लिए काफी ज्यादा ऑक्सीजन की ज़रूरत है। उन्होंने मीडिया को बताया कि अस्पताल के चिल्ड्रेन अस्पताल में बेड की कमी के कारण 1 बेड पर 2 से 3 बच्चों को शिफ्ट किया जा रहा है। 

डॉ. नानक सरन का कहना है कि यहां पर डेंगू के मामले कम हैं। लेकिन क्रॉनिक बीमारी जैसे इंसेफेलाइटिस (चमकी बुखार) और निमोनिया के मामले काफी ज्यादा आ रहे हैं, जिसकी वजह से बच्चों को ऑक्सीजन की कमी हो रही है।

जिले में बच्चों में बढ़ते बुखार के मामलों को मद्देनज़र प्रयागराज का मंडलीय स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) की पीएमएसएसवाई बिल्डिंग में 100 बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (PICU) वार्ड बनाया गया है। इस वार्ड में अब मौसमी बीमारी से ग्रसित गंभीर हालत वाले बच्चे भर्ती किए जाएंगे। हालांकि इसमें उन्हीं बच्चों को भर्ती किया जाएगा, जिन्हें आकस्मिक स्थिति में इलाज के लिए चिल्ड्रेन अस्पताल में बेड नहीं मिल पाता। मंगलवार को इस नए अस्पताल का उद्घाटन किया गया। बच्‍चे भी भर्ती हुए।
सरोजनी नायडू बाल रोग चिकित्सालय (चिल्ड्रेन अस्पताल) में अक्सर बच्चों को भर्ती करने के लिए बेड की कमी बनी रहती है। गंभीर हालत में लाए जाने वाले बच्चों को उनकी जान पर आई आफत को देखते हुए एक बेड पर दो से तीन बच्चों को भी भर्ती करने की मजबूरी रहती है। इसके पीछे मंशा यही होती है कि बच्चों को बिना इलाज लौटाया न जाए। इसके बाद भी बेड की कमी पड़ जाती है। आजकल मौसमी बीमारियों से बच्चों पर आफत आ रही है, चिल्ड्रेन अस्पताल में मरीजों की भीड़ लग रही है।

चिल्ड्रेन अस्पताल के विभागाध्यक्ष डा. मुकेशवीर सिंह ने मीडिया को जानकारी दी है कि चिल्ड्रेन अस्पताल में इन दिनों बच्चों के इमरजेंसी केस काफी आ रहे हैं, बेड कम पड़ जाते हैं। कई बच्चों की जान बचाने के लिए वेंटिलेटर की ज़रूरत भी पड़ती है। पीएमएसएसवाई बिल्डिंग के PICU वार्ड में वेंटिलेटर पर्याप्त हैं। इसलिए PICU को फौरी तौर पर चिल्ड्रेन अस्पताल के इमरजेंसी सेवा के तौर पर इस्तेमाल किए जाने पर सहमति बनी है। बाल रोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रीशियन) मेडिकल कालेज और सीएमओ की तरफ से उपलब्ध कराए जाएंगे।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र से शुरू हुआ वायरल फीवर और डेंगू का कहर प्रदेश के लगभग हर जिले को अपनी चपेट में ले चुका है।  फ़िरोज़ाबाद, मथुरा, मैनपुरी, एटा, जालौन प्रयागराज, कानपुर, सीतापुर गोरखपुर में भी बढ़ा है। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में भी रविवार को डेंगू के 27 मरीज भर्ती हुए हैं।

अब तक इंसेफेलाइटिस का कहर गोरखपुर तक सीमित बताया जाता था, लेकिन अब पूर्वी उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों में यह बीमारी अपने पांव पसार चुकी है। प्रयागराज और आसपास के इलाकों में जहां कुछ दिन पहले बाढ़ का कहर देखने को मिला, अब बीमारी से लोगों का बुरा हाल है।

कानपुर में बुखार और डेंगू जमकर कहर बरपा रहा है। इसकी चपेट में आकर पांच लोगों की मौत हो गई, इनमें तीन युवक हैलट इमरजेंसी में भर्ती थे। इन्हें सांस की ऊपरी नलियों में संक्रमण के साथ जबर्दस्त निमोनिया था। डॉक्टरों ने एक की मौत की वजह एक्यूट रेस्पाइरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) बताई है, जो आमतौर पर कोरोना संक्रमितों में देखने को मिल रही थी। दूसरी तरफ बच्चों पर बुखार का कहर टूट पड़ा है। शहर के 375 पंजीकृत अस्पतालों और नर्सिंग होमों में बुखार से पीड़ित करीब 1200 बच्चे भर्ती हैं। 

कानपुर सिटी सीएमओ नेपाल सिंह ने कहा है कि वॉयरल बुखार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रोजाना 400-500 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। लेकिन उनमें से बहुत कम को असपताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ रही है। डेंगू से कोई मौत नहीं हुयी। वयॉरल बुखार से 2 मौतें हुयी हैं। 

सीतापुर जिला अस्पताल के आपातकालीन चिकित्साधिकारी डॉ गौरव मिश्रा ने बताया है कि “हम बुखार से पीड़ित बच्चों सहित बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हमारे पास कभी-कभी बिस्तरों की कमी हो जाती है। ये मामले मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र के हैं। बुखार सामान्य लक्षण है लेकिन कारण अलग हो सकता है।”

गौरतलब है कि सीतापुर जिला में भी रविवार को 50 से अधिक लोग सरकारी अस्पताल में भर्ती हुये थे। जिला अस्पताल के सीएमएस एके अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष सीतापुर में डेंगू की तुलना में मलेरिया के अधिक मामले हैं। हमारा मेडिकल वार्ड लगभग भर चुका है। हम हर दिन सीएमओ को अपडेट कर रहे हैं और उचित कार्रवाई की जा रही है।

 मथुरा में अब तक 13 लोगों की मौत डेंगू और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों से हो चुकी है। मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने कहा है कि –“ डेंगू, मलेरिया, व अन्य वेक्टर जनित बीमारियों से फराह, गोवर्धन, सहित कुछ गांव प्रभावित हैं।”

आगरा के सीएमओ अरुण कुमार ने जानकारी दी है कि जिले में अब तक डेंगू के 5 मामलों की पुष्टि हुयी है। जिले में साफ सफाई और सैनिटाइजेशन का काम कराया जा रहा है।

वहीं योगी आदित्यनाथ का कर्मक्षेत्र रहा गोरखपुर मंडल के चार जिलों में वर्ष हाई ग्रेड फीवर के केस तीन गुना से अधिक बढ़ गए हैं। जनवरी से जुलाई महीने तक इन चार जिलों में हाई ग्रेड फीवर के 3987 केस रिपोर्ट हुए थे जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में सिर्फ 1189 हाई ग्रेड फीवर के केस आए थे। हाई ग्रेड फीवर के साथ-साथ इस वर्ष इंसेफेलाइटिस केस में भी तेजी आयी है। गोरखपुर मंडल के चारों जिलों में जनवरी से अगस्त के आखिरी सप्ताह तक एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस)के 428 और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के 19 केस रिपोर्ट हुए हैं। एईस से 17 बच्चों की मौत भी हुई है।

बता दें कि हाई ग्रेड फीवर 102 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक शरीर के तापमान होने पर माना जाता है। यह स्थिति गंभीर संक्रमण का संकेत है और मरीज की विशेष देखभाल की मांग करता है।

मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष हाई ग्रेड फीवर के रोगियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखी जा रही है। गोरखपुर मंडल के चार जिलों-गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया और कुशीनगर में जनवरी से जुलाई तक हाई ग्रेड फीवर के 3987 केस रिपोर्ट हुए हैं। यह संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले तीन गुना से भी अधिक है। पिछले वर्ष इसी अवधि में हाई ग्रेड फीवर के 1189 मरीज मिले थे।

सबसे अधिक हाई ग्रेड फीवर केस महराजगंज जिले से रिपोर्ट हुए हैं। महराजगंज जिले में इस वर्ष के सात महीनों में तेज बुखार के 1427 केस आए हैं। कुशीनगर जिले में 980, देवरिया में 902 और गोरखपुर में 678 केस रिपोर्ट हुए हैं।

सरकार के इंसेफेलाइटिस खत्म हो जाने के दावों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए इस वर्ष एईएस केस में खासी तेजी देखी जा रही है। इस वर्ष जनवरी से अगस्त के अखिरी सप्ताह तक गोरखपुर मंडल में एईएस के 428 और जेई के 19 केस रिपोर्ट हुए हैं। एईएस से 17 बच्चों की मौत भी हुई है।

पिछले वर्ष एईएस के 913 केस रिपोर्ट हुए थे जिसमें 52 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2020 में जेई के 52 केस रिपोर्ट हुए थे। इसमें छह लोगों की मौत हो गई थी।

सबसे अधिक 134 एईएस केस कुशीनगर में रिपोर्ट हुए हैं। इसके बाद गोरखपुर में 108, महराजगंज में 100 और देवरिया में 86 केस आए हैं। एईएस से गोरखपुर में सात, कुशीनगर में छह और महराजगंज व देवरिया में दो-दो बच्चों की एईएस से मौत हुई है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार गोरखपुर मंडल में जेई के अब तक 19 केस रिपोर्ट हुए हैं। जेई से किसी की मृत्यु नहीं हुई है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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