Friday, April 19, 2024

एमपी और ओडिशा में पत्रकारों पर पुलिसिया दमन के ख़िलाफ़ एडिटर्स गिल्ड ने लिखा गृहमंत्रालय को पत्र

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश में स्थानीय पत्रकारों के साथ पुलिस थाने में हुये अमानवीय बर्बर व्यवहार पर आक्रोश जताया है और गृह मंत्रालय से दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि मध्य प्रदेश के सीधी जिले के एक स्थानीय पत्रकार को गिरफ्तार करके उसे थाने में निर्वस्त्र कर अपमानित किया गया उससे एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया स्तब्ध और आक्रोशित है। पत्र में घटना की डिटेल्स देते हुये एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बताया है कि 2 अप्रैल, 2022 को रंगकर्मी नीरज कुंदेर की गिरफ़्तारी का कुछ नागरिक समाज के लोग जिसमें नाट्यकर्मी, आरटीआई एक्टिविस्ट शामिल थे, विरोध कर रहे थे।

दो स्थानीय पत्रकार (कनिष्क तिवारी व कैमरामैन) संबंधित ख़बर की कवरेज के लिये गये थे। सीधी कोतवाली में पुलिस ने इन सभी को गिरफ्तार किया और अर्द्धनग्न कर परेड करवाया। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्र में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुये कहा है कि पुलिस ने इस जघन्य मामले की जांच के आदेश दिए, लेकिन यह पुलिस की बढ़ती दमन प्रवृत्ति पुलिस और स्थानीय प्रशासन की ओर से पत्रकारों पर खुलेआम हमला करने और डराने-धमकाने का काम है। जो कि बेहद परेशान करने वाली और जांच की मांग करती है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्र में 7 अप्रैल को ओडिशा बालासोर जिले में पुलिस द्वारा पत्रकार को जंजीरों में जकड़ने की घटना का जिक्र किया है। जहां गिरफ्तार करके अस्पताल के बिस्तर पर पत्रकार का पैर बांधा गया। पीड़ित पत्रकार लोकनाथी डेलाई ने दावा किया है कि भ्रष्टाचार की उनकी रिपोर्टिंग के जवाब में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पुलिस द्वारा जिस अमानवीय तरीके से पत्रकार, स्ट्रिंगर और जिला पत्रकार को निशाना बनाया जाता है उसकी कड़ी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि किसी भी स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाने के प्रयास में पुलिस द्वारा दबाने का मामला है। जोकि गंभीर चिंता का विषय है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हुये कहा है कि पत्रकारों और नागरिक समाज के सदस्यों के ख़िलाफ़ पुलिस की ज्यादतियों का संज्ञान ले, और इस मुद्दे पर लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सभी स्तरों को सख्त निर्देश दे कि वो प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करें। साथ ही इनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की ज़रूरत है। जो राज्य की शक्ति का दुरूपयोग करते हैं।

पीड़ित पत्रकार कनिष्क तिवारी द्वारा बीबीसी को दिये गये बयान के मुताबिक़ – स्थानीय पुलिस ने नाट्यकर्मी नीरज कुंदेर को फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। नाट्यकर्मी पुलिस के इस कदम का विरोध कर रहे थे। जबकि कनिष्क तिवारी कैमरामैन के साथ विरोध-प्रदर्शन को कवर करने पहुंचे थे। पीड़ित पत्रकार के मुताबिक जब नाट्यकर्मी सीधी कोतवाली के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे ठीक उसी समय पुलिस ने सबको हिरासत में ले लिया। कनिष्क तिवारी और कैमरामैन को भी हिरासत में ले लिया गया। और सबको अर्द्धनग्न करवाकर केवल अंडरवियर में थाने में जुलूस निकाला गया। फिर थानाध्यक्ष के कमरे में ले जाकर उन सब की अर्द्धनग्न फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दिया गया।

पीड़ित पत्रकार कनिष्क तिवारी आरोप लगाते हैं कि स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के इशारे पर उन्हें और उनके कैमरामैन और साथ में नाट्यकर्मियों को निशाना बनाया गया। क्योंकि वो विधायक के ख़िलाफ़ रिपोर्ट तैयार करते हैं। वहीं सीधी के पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार ने प्रेस कांन्फ्रेंस में मीडिया बाइट देते हुये कहा है कि ये (अर्द्धनग्न तस्वीर) मानवीय गरिमा के ख़िलाफ़ है। यह तस्वीर मेरे संज्ञान में है। हालांकि सीधी पुलिस अभी जांच कर रही है कि किन नियमों के तहत ऐसा हुआ है, और यदि ये नियम विरुद्ध हुआ तो हम थाना प्रभारी समेत बाक़ी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करेंगे। 

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