हसदेव अरण्य: लाखों पेड़ों की कटाई के खिलाफ उठ खड़े हुए लोग

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विकास और जीवन के बीच संघर्ष की स्थिति बन गई है। एक ओर जहां सत्ता और कॉरपोरेट कोयला उत्खनन के लिये जंगल काटने की फिराक में हैं तो दूसरी ओर आम ग्रामीण संविधान में प्रदत्त शक्तियों का हवाला देते हुए अपनी मांग पर अड़े हुये हैं। ग्रामीण अपना जंगल और जमीन बचाना चाहते हैं। लेकिन इनकी कोई नहीं सुन रहा है। आलम यह है कि 2 मार्च से ग्रामीण अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हैं लेकिन 75 दिन से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी इनकी सुध लेने कोई नहीं आया है।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े उमेश्वर सिंह आर्मो ने बताया कि छत्तीसगढ़ के समृद्ध हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की परसा कोयला खनन परियोजना हेतु छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी वन स्वीकृति के अंतिम आदेश पूर्ण रूप से आदिवासी विरोधी हैं। यह आदेश पर्यावर्णीय चिंताओं एवं मानव हाथी द्वंद के संकट को नजरअंदाज कर आदिवासियों के विरोध को कुचलते हुए खनन की अनुमति दी गई है जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और इसके खिलाफ हम हसदेव के आदिवासियों के संघर्ष में साथ हैं।

आपको बता दें कि हसदेव के आदिवासी पिछले एक दशक से अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए ग्राम सभा में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर अपनी मांगें रखी हैं। बावजूद इसके राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही आदिवासियों के इस संवैधानिक विरोध को दरकिनार कर एक के बाद एक स्वीकृति दे दी गई। इस खदान हेतु पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम सभाओं के सभी अधिकारों को दरकिनार कर सारी स्वीकृति प्रदान की गई है। आज स्थिति यह है कि इतने विरोध के बावजूद प्रशासन द्वारा अब पुलिस फ़ोर्स लगाकर पेड़ों को काटने का कार्य शुरू कर दिया गया है।

6 हजार एकड़ का जंगल उजड़ेगा

पूरा मामला अरण्य क्षेत्र में लाखों पेड़ काटकर उसमें कोयला खदान खोलने का है। परसा कोल ब्लॉक आवंटन हो चुका है। अब खदान खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। जिसमें सबसे पहले 6 हजार एकड़ में फैला जंगल काट दिया जाएगा। लाखों पेड़ काटकर जंगल को कोयले की भट्ठी बना दिया जायेगा। जिससे सरगुजा और कोरबा की तपिश बढ़ जाएगी।

9 लाख पेड़ कटने का अनुमान

सरकारी गिनती के अनुसार 4 लाख 50 हजार पेड़ कटेंगे। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी गिनती में सिर्फ बड़े पेड़ों को ही गिना जाता है। जबकि छोटे और मीडियम साइज के पेड़ों की गिनती नहीं की जाती। ग्रामीणों का अनुमान है की यहां 9 लाख से भी ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। इतने पेड़ अगर काट दिये गये तो प्रकृति का विनाश तय है। जिसका शिकार सरगुजा और कोरबावासियों को होना पड़ेगा।

छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले का वो जंगल है जो मध्यप्रदेश के कान्हा के जंगलों से झारखंड के पलामू के जंगलों को जोड़ता है। यह मध्य भारत का सबसे समृद्ध वन है। हसदेव नदी भी खदान के कैचमेंट एरिया में है। हसदेव नदी पर बना मिनी माता बांगो बांध जिससे बिलासपुर, जांजगीर-चाम्पा और कोरबा के खेतों और लोगों को पानी मिलता है। इस जंगल में हाथी समेत 25 वन्य प्राणियों का रहवास और उनके आवागमन का क्षेत्र है।

क्यों है खनन से आपत्ति

वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2010 में हसदेव अरण्य में खनन प्रतिबंधित रखते हुये इसे नो-गो एरिया घोषित किया था। लेकिन बाद में इसी मंत्रालय के वन सलाहकार समिति ने अपने ही नियम के खिलाफ जाकर यहां परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला परियोजना को वन स्वीकृति दे दी थी। समिति की स्वीकृति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने निरस्त भी कर दिया था।

300 किमी पैदल यात्रा

मांगों को लेकर ग्रामीणों ने हसदेव से रायपुर तक पैदल 300 किलोमीटर की यात्रा की थी। ये ग्रामीण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल से मिले थे। अपनी मांग रखी थी। जिस पर फर्जी ग्राम सभा के मामले में जांच की बात कही गई थी। आज तक उस जांच का पता नहीं है। जबकि खनन के लिये पेड़ काटे जा रहे हैं।

राहुल गांधी का वादा याद दिला रहे ग्रामीण

जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बाहर थी। तब जून 2015 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी हसदेव अरण्य के गावं मदनपुर आये थे। राहुल गांधी ने ग्रामीणों से जंगल बचाने का वादा किया था। लेकिन अब उनके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि प्रदेश को तय करना होगा की उन्हें बिजली चाहिये या नहीं। अब ग्रामीण राहुल गांधी का वो वादा याद दिला रहे हैं।

क्या कहते हैं बुद्धिजीवी

आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष शुभाष परते ने कहा की हसदेव के समृद्ध जंगल को बचाने के लिए आदिवासी एक दशक से आन्दोलनरत हैं परन्तु केंद्र और राज्य सरकार दोनों की आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को दरकिनार कर अडानी के लिए कोयले की लूट हेतु एक के बाद एक स्वीकृति दिए जा रहे हैं। जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और इस आंदोलन को समर्थन देने हम 20 मई 2022 को एक बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से हमारे कार्यकर्ता हरिहरपुर पहुचेंगे और रेल रोकेंगे। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग से बिलासपुर ज़िलाध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित ज़िला महासचिव और प्रदेश संयुक्त सचिव भी उपस्थित थे।       

झारखंड से नेतरहाट फ़ील्ड फ़ायरिंग रेज विरोधी केंद्रीय जनसंघर्ष समिति लातेहार (गुमला) से आए जेरोम कुजुर ने कहा कि शासन और प्रशासन अडानी के दबाव में काम कर रहा है यही वजह है कि लगभग 300 पेड़ों को रातों रात काट दिया गया यह एक गंभीर मामला है l हसदेव के आदिवासी 2 मार्च से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हैं। परन्तु राज्य सरकार द्वारा आज तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया जिससे यह स्पस्ट होता है कि यह सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है l हमारा संगठन आपकी इस लड़ाई में में आपके साथ है।

गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन की ओर से प्रदेश अध्यक्ष राजेश पोया ने कहा कि यह दुःखद है कि आपकी माँगों को सरकार ने सिरे से ख़ारिज कर परसा कोयला खदान को स्वीकृति जारी कर दी पर हम आदिवासी युवा आपकी लड़ाई में कंधे से कंधा मिला कर लड़ने के लिए तैयार हैं। आगामी 20 मई को हम पूरी ताक़त के साथ इस धरने में शामिल हो कर इस आंदोलन को और व्यापक करेंगे। गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के कोरिया, सूरजपुर, रामानुजनगर, उदयपुर ज़िले के ज़िलाध्यक्ष सहित समस्त कार्यकारिणी मौजूद रही ।

ग्रीन आर्मी रायपुर से अमिताभ दुबे ने कहा है कि जब हमने सुना कि हसदेव में साढ़े चार लाख पेड़ काटे जाने हैं तो हमने हरिहरपुर जाने का फ़ैसला किया और आज आपके समर्थन में हमारी टीम से 50 पर्यावरण प्रेमी आपके बीच उपस्थित हैं। कोयला खदान के लिए इस क्षेत्र को बर्बाद करने की सरकार की मंशा का हमारी पूरी टीम विरोध करती है और सरकार से माँग करती है कि इस निर्णय को वापस लिया जाए। आपके समर्थन में हम रायपुर में भी विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह कमरो ने कहा कि आपके आंदोलन को समर्थन देने हमारी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। छत्तीसगढ़ पेसा और वनाधिकर मान्यता क़ानून का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है हमारी पार्टी केंद्र और राज्य सरकार की दोहरी नीति का विरोध करती है। हम हसदेव में एक भी पेड़ नहीं कटने देंग । ज़रूरत पड़ी तो हम विधायक का घेराव भी करेंगे।

क्या है हसदेव अरण्य संघर्ष समिति की मांग

परसा कोयला खदान को दी गई वन स्वीकृति के अंतिम आर्डर को निरस्त किया जाए ।

परसा कोयला खदान हेतु प्रभावित ग्राम साल्हि, हरिहरपुर और फरहपुर में कराई गई फर्जी ग्रामसभा की निष्पक्ष जाँच कर दोषी अधिकारियों पर करवाई की जाए ।

परसा कोयला खदान हेतु शुरू की गई पेड़ों की कटाई पर तत्काल रोक लगाई जाए ।

परसा कोयला खदान को जारी की गई समस्त स्वीकृति निरस्त की जाए।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

तामेश्वर सिन्हा
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तामेश्वर सिन्हा