हरियाणा से संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य व फायर ब्रांड किसान नेता सुरेश कोथ ने हरियाणा की किसान जत्थेबंदियों को 12 सितंबर को फिर से हरियाणा के मुख्यमंत्री आवास को घेरने का आह्वान किया है।
बार बार हरियाणा सरकार किसान विरोधी नीतियों को प्रदेश में लागू करने का प्रयास कर रही है जिसके चलते किसानों का रोष निरंतर जारी है।
दरअसल सरकार के एक आदेश के खिलाफ पिछले कुछ समय से किसान अपनी मांग उठा रहे हैँ। इस आदेश के मुताबिक जो किसान लंबे समय से देह शामलात, जुमला मालकान मुश्तरका मालकान बूटीदार, बटाईदार आबादकार भूमि पर कृषि करते रहे हैं उनको मालिकाना हक से वंचित किया जायेगा। इससे किसानों का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होगा। ये किसान लगभग सभी जातियों के हैं जो अन्य क्षेत्रों से विस्थापित हो कर आये थे और अब इन जमीनों पर कृषि से जीवन यापन कर रहे हैं।
अन्य मांग इस बार धान की फसल से सम्बंधित है क्योँकि धान की फसल अबकी बार किन्हीं कारणों से बौनी रह गयी है जिसके कारण फसल खराब हो गयी है। किसानों की मांग है कि सरकार तुरंत इसका आकलन करके उनको उचित मुआवजा प्रदान करे। साथ ही विगत साल में प्रदेश में जो फसलें खराब हुयी थीं और उनका जो मुआवजा सरकार ने मंजूर किया था उसका भुगतान अभी लंबित है उसको तुरंत जारी करवाने के लिये सरकार प्रक्रिया तेज करे।
केन्द्राय सरकार ने एक आदेश द्वारा तुरंत ही खाद्यानों के निर्यात पर रोक लगा देना ज़िसमें विशेष रूप से मोटी धान व धान टुकड़ी पर किसानों को बड़ा नुकसान होने के आसार हो गये हैं।
किसानों के पशुओं में आयी लुम्पी बीमारी के तुरंत टीकाकरण को व्यापक स्तर पर करने की किसान जत्थेबंदियों की मांग है।
विकास का नारा लगा कर सत्ता में आयी प्रदेश की भाजपा सरकार पिछले 8 वर्षों से कोई उचित पद्धति या प्रणाली प्रदेश के किसानों की समस्याओं के समाधान की विकसित नहीं कर पाई। ये भी एक बड़ा कारण बार-बार किसानों को सरकार को घेरने को बाध्य करता है।
2022 में किसानों की आय दुगनी करने के संकल्प के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूरा नहीं कर पाये। विपक्षी राजनीतिक दल वो भले ही कांग्रेस हो या ईनेलो भी किसानों की मांगों के लिए प्रदेश में सशक्त संघर्ष की कोई भूमिका निभाने में असफल ही रहे हैं।
हाल ही में कांग्रेस के अहीरवाल क्षेत्र से बड़े नेता रहे कै अजय यादव ने भी स्वीकार किया कि किसान आंदोलन में इस क्षेत्र के किसानों का योगदान नहीं रहा।
बीते 9 सितम्बर को रोहतक में एक कार्यक्रम में मेघालय के राज्यपाल महामहिम सत्यपाल मलिक ने किसानों को साफ संदेश दिया कि उनको एक बड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा क्योँकि वर्तमान भाजपा की केन्द्रीय सरकार की नीतियां किसानों के प्रति ठीक नहीं हैं। राज्यपाल ने सभी जातियों के किसानों को आह्वान किया कि उनको एक जुट हो कर देश के बड़े पूंजीपतियों के शोषण के विरोध में एक लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
किसानों के हक़ों के लिए अपनी सशक्त आवाज़ को वो उठाते रहेंगे और अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद किसानों के लिए संघर्ष में पूरी तरह से सम्पर्पित होंगे। देश में उर्वरक के उत्पादन व एक ही ब्रांड भारत वन बनाये जाने पर किसानों की आपत्तियों को सरकार द्वारा अनदेखा करने के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि ‘सरकार ये गलत कर रही है‘। किसानों के उत्थान के लिए अपनी चिंता जताते हुए राज्यपाल ने साफ कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बनाया जाना आवश्यक है जिससे किसानों को अपनी उपज का सही दाम मिलना सुनिश्चित हो।
(हरियाणा से पत्रकार जगदीप सिंह सिंधू की रिपोर्ट।)