Friday, March 24, 2023

एमपी में भी शुरू हो गयी किसानों की गोलबंदी, गुना में लगी बड़ी पंचायत

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इंदौर। पिछले 100 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मध्यप्रदेश में भी किसान महापंचायतों की शुरुआत हो चुकी है। पहली किसान महापंचायत गुना जिले में आयोजित की गयी जिसे प्रदेश के कई किसान नेताओं सहित ग्वालियर चंबल संभाग के किसानों ने भागीदारी कर सफल बनाया और संकल्प लिया कि वे यहां से जाकर इस आंदोलन को मध्यप्रदेश के गांव-गांव में फैलाने का प्रयास करेगी।

कृषि क्षेत्र में व्यापारियों का मुनाफा सुनिश्चित करने के लिए कृषि विरोधी तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में व पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के बढ़ते दामों के खिलाफ आज गुना जिले की आरोन तहसील के नारायण कॉलोनी मैदान में ऑल इंडिया किसान-खेत मजदूर संगठन ने किसान-नागरिक महापंचायत आयोजित की जिसमें आरोन व आसपास के कई गाँव से सैकड़ों की संख्या में किसान व आम नागरिक शमिल हुए।

महापंचायत को एआईकेकेएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने संबोधित करते हुए उपस्थित किसानों और नागरिकों से कहा कि दिल्ली की सीमा पर चल रहा किसान आंदोलन देश के किसान और मेहनतकशों के मान सम्मान और स्वाभिमान बचाने का आंदोलन है और देश बचाने के इस आंदोलन में हर मेहनतकश की भागीदारी जरूरी है,  इसलिए इस महापंचायत के बाद आप प्रदेश के कोने-कोने में जाकर किसान आंदोलन को मजबूत करने का अभियान छेड़ें।

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महापंचायत में मंच का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर रखा गया। महापंचायत की शुरुआत में दिल्ली में बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धाजंलि व्यक्त करते हुए ट्रेड युनियन नेता नरेन्द्र भदोरिया ने एक शोक प्रस्ताव रखा। उसके बाद शहीद किसानों को 1 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी।

महापंचायत में AIKKMS के राज्य सचिव मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि अनुबंध खेती के दुष्परिणाम आने लगे हैं मध्य प्रदेश में विभिन्न जिलों में कम्पनियां किसानों से सीधा खरीद का वायदा करके फरार हो चुकी हैं वहीं प्राइवेट मंडी के तहत किसानों से बड़े पैमाने पर मंडियों के बाहर खरीद करके व्यापारी भाग चुके हैं। ऐसे केस हमारे गुना में भी हुये हैं। किसान आंदोलन को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है समाज का हर तबका छात्र, युवा, महिलाएं, वकील, डॉक्टर सभी इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं।

AIKS के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कहा कि ने ये कानून घोर कृषि व कृषक विरोधी होने के साथ-साथ जन विरोधी भी हैं।  किसान सिर्फ खेती बचाने की ही नहीं देश बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में जाति, धर्म की सीमा नहीं है वे उससे ऊपर हो चुके हैं। उनकी सिर्फ एक जाति है-किसान। उन्होंने कहा कि जब-जब किसानों ने एकजुट होकर आंदोलन किया है तो जीते हैं। जब ये मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आई थी तब भी किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया व आंदोलन में जीते। हमें इतिहास से सीख लेकर इन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आन्दोलन को और मजबूत करना होगा।

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किसान-नागरिक महापंचायत को सम्बोधित करते हुए मूलताई के पूर्व विधायक  तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग ग्रुप के सदस्य डॉ. सुनीलम ने कहा कि ये एक एतिहासिक किसान आंदोलन है जो भी व्यक्ति उत्पादन करता है वही उसकी कीमत का निर्धारण करता है। परन्तु किसान अपनी उपज का दाम तय नहीं करता है। किसान लम्बे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं दे रही है। पूरे देश का पेट भरने वाला किसान आत्महत्या करने को मजबूर है हर साल 12000 किसान आत्महत्या करते हैं।

महापंचायत को सम्बोधित करते हुए हरियाणा से आये AIKKMS (ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान ने कहा कि जब देश महामारी से जूझ रहा था तब सरकार ने आपदा में अवसर तलाशते हुए पूंजीपतियों को कृषि क्षेत्र में निवेश कर मुनाफ़ा कमाने की खुली छूट देने के लिए किसानों व किसान संगठनों से राय-मशविरा किए बिना कृषि व कृषक विरोधी तीन काले कानूनों को लागू किये। व्यापार वाणिज्य सुविधा व संवर्धन कानून के तहत सरकार किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ कर व किसानों को लूटने के लिये पूंजीपतियों को छूट दी है।

आवश्यक वस्तु संशोधन कानून से पूंजीपतियों की जमाखोरी को वैध बनाया गया है जिसके परिणामस्वरूप पूंजीपति किसानों से कम दाम में फसल खरीदकर अपने वातानुकूलित गोदामों में आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेंगे व आम जनता को महंगे दामों में विक्रय करेंगे। इसी प्रकार संविदा कृषि से किसान अपने ही खेत में कंपनियों का गुलाम हो जायेगा। वहीं दूसरी ओर सरकार पूंजीपतियों के हित में लगातार पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दामों मे बेहताशा वृद्धि कर रही है आज महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। महापंचायत को राकेश मिश्रा,  सुरेन्द्र रघुवंशी,  एडवोकेट आराधना भार्गव,  रामस्वरुप मंत्री ,

अभिषेक रघुवंशी,  लोकेश शर्मा,  मोहन सिंह यादव,  गुरविंदरसिंह सहित किसान संगठनों के कई नेताओं ने संबोधित किया। महापंचायत का संचालन प्रदीप आरबी ने किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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