प्रयागराज। आज शाम चार बजे के क़रीब प्रयागराज के कटरा की गोबर गली में देशी बम फेंका गया। इससे लोगों में डर कायम हो गया है। कर्नलगंज पुलिस मामले की जांच में जुटी है। हालांकि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। वहीं अतीक-अशऱफ हत्याकांड के बाद पूरे दो दिन बाद सोमवार की सुबह इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई।
वहीं पूरे शहर में दुकानों, शॉपिंग मॉलों आदि का शटर गिरा रहा। नाके-नाके, चप्पे-चप्पे अर्द्ध सैन्यबलों व यूपी पुलिस के सिपाही तैनात रहे। वीकएंड होने और धारा 144 लागू होने के चलते रविवार को तो लोग-बाग अपने अपने घरों में क़ैद रहे। लेकिन सोमवार सप्ताह का पहला कामकाजी दिन होने से लोगों की समस्याएं बढ़ चलीं। ज़िन्दग़ी का अहम हिस्सा बन चुके इंटरनेट के बिना पूरे दो दिन लोगों की ज़िन्दग़ी ठहर सी गई।
लोग बार बार मोबाइल उठाते, उलटते, पलटते और गरियाते, झल्लाते, गुस्साते हुए फोन रख देते। ऐसा लगता मानों लोगों का कुछ बहुत कीमती खो गया हो। या छीन लिया गया हो। इंटरनेट बंद रहने के दौरान लोगों का आपसी सम्बंध भी प्रभावित होते दिखा। लोग बेवजह बच्चों पर छोटों पर या अपने आश्रितों पर अपनी झुंझलाहट, अपना गुस्सा निकालते दिखे। हमने कुछ घरों में झांककर देखा।
इलाहाबाद शहर के तेलियरगंज निवासी एक ब्राह्मण परिवार मनोरंजन के लिए पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर है। परिवार ने घर पर ब्रॉडबैंड लगवा रखा है। उससे सिर्फ़ मोबाइल लैपटॉप कम्प्यूटर ही नहीं घर का टीवी भी चलता है। लेकिन इंटरनेट सेवा बंद होने के बाद सब कुछ ठप्प हो गया। लगा दुनिया वीरान बेनूर और बेरंग हो गयी। हालांकि वो यह भी कहते हैं कि माहौल भी कश्मीर जैसा हो गया था तो उस माहौल पर ये सूट कर रहा था।
कुछ लोग जिनके पास दिल्ली या दूसरी जगहों के सिम थे उनके नेटवर्क पर इंटरनेट सेवा चालू था। इत्तेफाक से उन लोगों के सिम एयरटेल या वोडाफोन के थे। तो लोगों को लगा कि सिर्फ़ जियो सर्विस पर इंटरनेट बंद है अतः लोगों ने धड़ाधड़ अपना नंबर पोर्ट कराना शुरू कर दिया। कुछ लोग शहर के अंदर की गलियों और गांव-कस्बों की दुकानों पर वोडाफोन और एयरटेल के सिम लेने पहुंचने लगे। जिन लोगों के पास पहले से ही एयरटेल या वोडाफोन के सिम बंद पड़े रखे हुए थे वो लोग दूसरे शहरों या प्रदेशों में रह रहे अपने रिश्तेदारों को फोन करके रिचार्ज करवाने लगे।
दिल्ली की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के लिए काम करने वाले दुर्गेश, रवीन्द्र और राजेश कोरोना के बाद से वर्क फ्रॉम होम करते आ रहे हैं। इन लोगों का काम पूरी तरह से इंटरनेट पर आश्रित है। केवल ऑफिशियल काम के लिए ही इन लोगों ने अपने घर पर ब्रॉडबैंड कनेक्शन भी ले रखा है। राजेश नाइट शिफ्ट में ड्युटी करते हैं। 15 अप्रैल शनिवार की रात में ही इंटरनेट सेवा बंद हो जाने के चलते शनिवार और सोमवार दो दिन उनका काम प्रभावित रहा।
शुक्रवार 22 अप्रैल को ईद होने के चलते आशंका बन रही कि शायद पूरे सप्ताह के लिए ही इंटरनेट सेवा बाधित रहे। इसके चलते अब उन पर वापस दिल्ली ऑफिस जाने का दबाव बढ़ रहा था। हालांकि मंगलवार की सुबह इंटरनेट सेवा बहाल होने के बाद उन्होंने चैन की सांस ली है।
ईकार्ट एक्सप्रेस में प्रति पार्सल कमीशन पर काम करने वाले डिलिवरी मैन सोनू यादव बताते हैं कि इंटरनेट बंद होने के चलते पूरे दो दिन उनका काम बहुत बुरी तरह प्रभावित रहा। वो बताते हैं कि गांवों में अधिकांश पार्सल की कैश ऑन डिलिवरी की जाती है। और लोग पार्सल आने के बाद पेमेंट ऑनलाइन करते हैं। सोनू बताते हैं कि फोन-पे, पेटीएम और गूगल-पे का चलन बढ़ने के बाद अब लोग कैश से नहीं बल्कि ऑनलाइन पेमेंट करते हैं। लेकिन इंटरनेट सेवा बंद होने के चलते लोगों ने पार्सल लौटा दिया।

वहीं जिन लोगों ने प्री-पेमेंट कर रखा था वो भी पार्सल नहीं रिसीव कर पाये क्योंकि इंटरनेट सेवा बंद होने के चलते ओटीपी जेनरेट नहीं हुई। सोनू बताते हैं कि वो पूरे दो दिन लू और धूप में बेकार ही दौड़े, पेट्रोल भी जलाया लेकिन पार्सल की डिलिवरी न होने के कारण उन्हें एक पैसे की कमाई नहीं हुई।
गृहिणी का काम करने वाली एक महिला बताती हैं कि उनका घर से बाहर निकलना बहुत कम होता है। ऐसे में इंटरनेट के जरिए ही वो लोगों से, दुनिया से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करती आयी हैं। लेकिन पूरे दो दिन इंटरनेट बंद होने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उन्हें दुनिया जहान से काटकर कैदी बनाकर दो-तीन कमरे के घर में छोड़ दिया हो।
जब हमने उनसे कहा कि सोचिए कि इंटरनेट के इस दौर में भी कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों को कई कई बार लगातार कई महीने, यहां तक की पूरे पूरे साल बिना इंटरनेट के जीना पड़ता है। वो कैसा महसूस करते होंगे। इस पर वो गृहिणी कहती हैं अगर उन्हें बिना इंटरनेट के जीना पड़े तो वो नहीं जी सकेंगी।
दो दिन की इंटरनेटबंदी से प्रयागराज के कारोबारियों को लगभग 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। क्योंकि इंटरनेट न चलने से ऑनलाइन बुकिंग, बिलिंग, लेनदेन सहित कई सेवाएं बाधित रहीं। पूरी तरह से ऑनलाइन सेवा पर निर्भर ओला, ओबर (उबर), रैपिडो, जोमैटो, स्विगी, डोमिनो, पिजा-हट जैसी कंपनियों का कारोबार पूरी तरह से ठप रहा। बता दें कि प्रयागराज में ओला उबर की करीब 1000 कारें शहर में चलती हैं।
पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर बैंकिंग और आरटीओ का काम भी ठप्प रहा। चूंकि अब आरटीओ विभाग में भी सारा काम इंटरनेट से होता है, अतः गाड़ियों की फिटनेस, लर्निंग, ड्राइविंग लाइसेंस, परमानेंट लाइसेंस, स्क्रूटनी, रजिस्ट्रेशन, वाहन ट्रांसफर आदि काम नहीं हो सके।
जिले के कंप्यूटर कारोबारी शिव शंकर सिंह ने मुख्यमंत्री को टैग करते हुए इंटरनेट की समस्या को लेकर ट्वीटर पर लिखा कि इंटरनेट सेवा बंद होने से व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है। अगर कोई सोशल मीडिया पर ग़लत टिप्पणी करता है तो उस पर कार्रवाई की जाए। पूरी नेट सेवा को बंद नहीं करना चाहिए।
(प्रयागराज से स्वतंत्र पत्रकार सुशील मानव की रिपोर्ट)
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