दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर हुई हाथापाई के मामले में प्रदर्शनकारी पहलवानों और अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 149, 186, 188, 332, 353, पीडीपीपी अधिनियम की धारा 3 के तहत दर्ज की गई है। प्रदर्शनकारी पहलवानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने उपरोक्त धाराओं में एफआईआर दर्ज किए हैं जिनमें बजरंग, साक्षी, विनेश के नाम भी शामिल किए गए हैं।
इन धाराओं के तहत, दोषी पाए जाने पर एक महीने से लेकर पांच साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। पहलवान लगभग महीने भर से बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे थे। पुलिस ने जिन पहलवानों के खिलाफ केस दर्ज किया है, उनमें बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक शामिल हैं।
पहलवानों ने रविवार को नए संसद भवन के सामने महिलाओं की महापंचायत का ऐलान किया था। पहलवान जब नई संसद की तरफ कूच कर रहे थे, तभी रास्ते में दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान पुलिस और जवानों के बीच झड़प भी हुई।
पुलिस ने बताया कि राजधानी से 700 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। जबकि, जंतर-मंतर पर धरना दे रहे 109 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें ये तीन पहलवान भी शामिल थे। हालांकि, शाम को महिला प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया गया।
पहलवान 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे थे। पहलवानों ने बृजभूषण पर नाबालिग समेत कई महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। इस मामले में बृजभूषण पर भी दो एफआईआर दर्ज की गई है।
पहलवानों पर किन धाराओं में केस दर्ज, क्या हो सकती है सजा?
(i) धारा 188 – सरकारी आदेश का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
(ii) धारा 186 – अगर किसी सरकारी अफसर या कर्मचारी के काम में जानबूझकर बाधा डालता है तो तीन महीने की जेल या 500 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
(iii) धारा 147 – अगर कोई व्यक्ति बलवा करने का दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है ।
(iv) धारा 149 – बलवे के दौरान उसमें जो लोग शामिल होंगे, वो सभी समान अपराध के दोषी होंगे। इसे ऐसे समझिए कि बलवा करते समय जो भी अपराध होगा, उसका दोष उसमें शामिल सभी लोगों पर लगेगा, फिर चाहे वो उन्होंने किया हो या नहीं।
(v) धारा 332 – अगर कोई व्यक्ति सरकारी सेवक को काम करने से डराने या धमकाने का दोषी पाया जाता है तो तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
(vi) धारा 353 – किसी सरकारी सेवक को डराने-धमकाने के मकसद से जानबूझकर हमला करने का दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
दिल्ली पुलिस ने पहलवानों और प्रदर्शनकारियों पर ‘प्रिवेन्शन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट’ की धारा 3 के तहत भी केस दर्ज किया है। इस धारा के तहत अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की जेल और जुर्माने की सजा होगी।
पहलवानों पर दिल्ली पुलिस के एक्शन पर सियासत भी तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सहिष्णुता में निहित है, लेकिन निरंकुश ताकतें असहिष्णुता और असंतोष को दबाने पर पनपती हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि बीजेपी सरकार का अहंकार इतना बढ़ गया है कि वो निर्दयता से हमारी महिला खिलाड़ियों की आवाज अपने जूते के नीचे दबा रही है। ये पूरी तरह से गलत है ।
वहीं, विनेश फोगाट ने ट्विटर पर लिखा कि बृजभूषण शरण सिंह पर एफआईआर दर्ज करने में पुलिस को सात दिन का वक्त लग गया लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर केस दर्ज करने पर सात घंटे भी नहीं लगाए।
(जे पी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)