Friday, April 19, 2024

लखीमपुर हिंसा: फोरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट में फायरिंग की हुई पुष्टि

लखीमपुर हिंसा मामले में फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) की रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है। FSL की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे और हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा एवं उनके साथी अंकित दास के लाइसेंसी असलहा की बैलेस्टिक रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है।

गौरतलब है कि किसान बिल्कुल शुरुआत से ही फायरिंग करने का आरोप लगाते आ रहे हैं। 7 अक्टूबर को घटनास्थल की जांच के लिये गए जांच दल ने खाली कारतूस बरामद की थी। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दावा किया गया थ कि किसी भी किसान की गोली लगने से मौत नहीं हुई है। जिसके बाद किसानों ने मृतक किसानों का अंतिम संस्कार करने से मना करते हुये धरने पर बैठ गये थे। दबाव में प्रशासन ने बहराइच के मोहर्निया गांव निवासी मृतक किसान गुरविंदर के शव का दोबारा पोस्टमार्टम किया गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि गुरविंदर ने किसानों को कुचलने वाले आशीष मिश्रा को पकड़ लिया था जिसके बाद उसने गुरविंदर को गोली मार दी थी। और भाग गया था।

इस तरह तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया क्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे किसानों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा के दौरान लाइसेंसी असलहा से फायरिंग करने की बात सामने आई। जांच के दौरान लखीमपुर पुलिस ने अंकित दास की रिपीटर गन, पिस्टल और आशीष मिश्रा की राइफल और रिवॉल्वर को ज़ब्त किया था। इन्हीं चारों असलहों की एफएसएल रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

केस सीबीआई को नहीं

इससे पहले केस की सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी तिकुनिया जनसंहार की सुनवाई के दौरान कहा था कि हर समस्या का समाधान सीबीआई नहीं है। हम स्वतंत्र जज को यह जिम्मा देना चाहते हैं, जो चार्जशीट दाखिल होने तक रोज-रोज अपडेट देखेंगे।

कल उत्तर प्रदेश सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि पिछली बार कुछ नए लोगों ने केस में दखल दिया और एसआईटी को अपने मामले में कार्रवाई न होने की बात कही। वहीं जब हमने उनको बयान के लिए बुलाया तो आरोपियों के पक्ष में सबूत देने लगे। इसलिए उन्हें रिकॉर्ड नहीं किया गया है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के रि. जज रंजीत कुमार सिंह या रि. जज राकेश कुमार को जांच का जिम्मा देना चाहते हैं। अब अगली सुनवाई शुक्रवार को है। यूपी सरकार को इस दौरान कोर्ट को जांच के लिए नाम बताना होगा।

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