Friday, April 19, 2024

कश्मीर में तीन दशक की हिंसा में 40 हज़ार से ज़्यादा मौतें: गृह मंत्रालय

कश्मीर में साल 1990 से लेकर 9 अप्रैल 2017 तक की अवधि में मौत के शिकार हुए लोगों में स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं.कश्मीर में हिंसा को लेकर एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय की ओर से जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन दशक में 40 हज़ार से ज़्यादा जानें जा चुकी हैं । साल 1990 से लेकर 9 अप्रैल, 2017 तक की अवधि में मौत के शिकार हुए इन लोगों में स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं । जबकि पानीपत के एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरटीआई के तहत डीएसपी( हैड क्वार्टर ) कश्मीर से गत 27 नवम्बर 21को प्राप्त सूचना से चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया है कि वर्ष 1990 से कश्मीर में आंतकवाद शुरू होने के समय से पिछले 31 वर्षों में आंतकवादियों के हाथों कुल 1724 व्यक्ति मारे गए हैं । इनमे से कुल 5% यानी कुल 89 कश्मीरी पंडित मारे गए । जबकि आंतकवादियों के हाथों कुल मरने वालों में से 95% यानि 1635 व्यक्ति अन्य धर्म के मारे गए ।

पीपी कपूर ने बतया कि इसी तरह पलायन करने वाले कुल 1,54,161लोगों मे से सर्वाधिक कुल 1,35,426 यानी 88 परसेंट कश्मीरी पंडितों ने पलायन किया । वहीं पलायन करने वालों में अन्य की संख्या मात्र 12 परसेंट है,जिनमें मुख्यतः मुस्लिम लोग शामिल हैं ।कपूर ने बताया कि पलायन के बाद घर वापसी करने वाले कश्मीरी पंडितों व अन्य की संख्या की सूचना डिविज़नल कमिश्नर कश्मीर ने नहीं दी ।पीपी कपूर ने कहा कि इस चौंकाने वाले खुलासे से स्पष्ट है कि कश्मीरी पंडितों का इस्तेमाल आरएसएस,बीजेपी ने सिर्फ देश में नफरत फैला कर वोट बटोरने के लिए ही किया । इनके लिए हकीकत में कुछ नहीं किया ।

कपूर ने रिलीफ एंड रिहेबिलिटेशन कमिश्नर जम्मू कार्यालय से आरटीआई में प्राप्त सूचना के आधार पर बताया कि पिछले 31 वर्षों में कुल पलायन शुदा 1,54,161 व्यक्तियों में से 1,35,426 हिंदुओं,18735 मुस्लिमों ने पलायन किया ।इनमें से 53978 हिंदुओं ,11212 मुस्लिमों,5013 सिखों व 15 अन्य को सरकारी सहायता मिल रही है । जबकि 81448 हिंदू,949 मुस्लिम,1542 सिक्ख व 4 अन्य सहित कुल 83,943 व्यक्ति सरकारी सहायता से वंचित हैं ।हर रजिस्टर्ड कश्मीरी प्रवासी को सरकार की ओर से हर महीने 3250 रुपये,9 किलो चावल,2 किलो आटा व एक किलो चीनी की सहायता मिलती है।

कपूर के अनुसार भारत सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों में (वर्ष 2010-2011 से 2020-2021 तक)सभी पलायन शुदा कश्मीरियों पर कुल करीब 5476.58करोड रुपये खर्च किये गए हैं।इनमें से 1887.43 करोड़ रु नगद सहायता,2100 करोड़ रु खाद्यान्न,20.25 करोड़ रु इंफ्रास्ट्रक्चर,82.39 करोड़ रु नागरिक गतिविधियां कार्यक्रम,106.42करोड़ रु सहायता एवं पुनर्वास,1156.22 करोड़ रु पीएम सैलरी पैकेज,123.87 करोड़ रुपये का दस प्रतिशत सरकारी एनपीएस का हिस्सा शामिल है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में जारी अलगाववादी हिंसा के दौरान पिछले 27 सालों में अब तक राज्य में आतंकवादी गतिविधियों और आतंकवाद विरोधी अभियानों में 40,961 लोग मारे गए हैं। जबकि 1990 से लेकर 31 मार्च, 2017 तक की अवधि में घायल हुए सुरक्षाबल के जवानों की संख्या 13 हजार से अधिक हो गई है।मंत्रालय की उपसचिव और मुख्य सूचना अधिकारी सुलेखा द्वारा आरटीआई के जवाब में स्थानीय नागरिकों, आतंकवादियों और सुरक्षा बल के जवानों की मौत का 1990 से अब तक का हर साल का आंकड़ा जारी किया है।

आंकड़ों के मुताबिक राज्य में बीते तीन दशक की हिंसा के दौरान मारे गए लोगों में 5,055 सुरक्षा बल के जवानों की शहादत भी शामिल हैं, जबकि 13,502 सैनिक घायल हुए.राज्य में जारी इस आतंकी हिंसा के दौरान स्थानीय नागरिकों की मौत का आंकड़ा 13,941 तक पहुंच गया है। आंकड़ों के मुताबिक आतंकी हिंसा के शिकार हुए लोगों में सबसे ज़्यादा 21,965 मौतें आतंकवादियों की हुई है।

आरटीआई में मंत्रालय ने कश्मीर की आतंकवादी हिंसा में संपत्ति को हुए नुकसान की जानकारी देने से इंकार कर दिया। मंत्रालय ने इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं होने के कारण जम्मू निवासी आरटीआई आवेदक रमन शर्मा से जम्मू कश्मीर सरकार से यह जानकारी मांगने को कहा है।

आंकड़ों के विश्लेषण में स्पष्ट होता है कि तीन दशक के हिंसक दौर में मौत के लिहाज़ से साल 2001 सर्वाधिक हिंसक वर्ष रहा। इस साल हुई 3,552 मौत की घटनाओं में 996 स्थानीय लोग और 2020 आतंकवादी मारे गये. जबकि सुरक्षा बल के 536 जवान शहीद हुए।. हालांकि स्थानीय नागरिकों की सबसे ज़्यादा 1341 मौतें साल 1996 में हुई.आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 में आतंकवादी हिंसा से जान-माल को सर्वाधिक नुकसान होने के बाद साल 2003 से इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई है।

साल 2003 में 795 स्थानीय नागरिकों और 1494 आतंकवादियों की मौत के अलावा 341 सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए। साल 2008 से स्थानीय नागरिकों और सुरक्षा बल के जवानों की मौत का आंकड़ा दो अंकों में सिमट गया है.साल 2010 से साल 2016 तक स्थानीय नागरिकों की मौत का आंकड़ा 47 से गिरकर 15 तक आ गया है।

इसके उलट इस अवधि में शहीद हुए सुरक्षा बल के जवानों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई इस दौरान शहीद हुए सुरक्षा बल के जवानों की संख्या 69 से बढ़कर साल 2016 में 82 तक पहुंच गई।हालांकि साल 2017 में 9 अप्रैल तक 5 स्थानीय नागरिक और 35 आतंकवादी मारे गए, जबकि सुरक्षा बल के 12 जवान शहीद हुए हैं।वहीं इस साल 31 मार्च तक सुरक्षा बल के 219 जवान घायल हो चुके हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।