Sunday, May 28, 2023

ढह गया गांधीवाद का सबसे मजबूत स्तंभ, नहीं रहे सुब्बाराव


प्रख्यात गांधीवादी विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता एसएन सुब्बाराव का आज निधन हो गया। वे उन बिरले गांधीवादियों में से थे, जो आजीवन युवाओं के सम्पर्क में आते रहे, उनसे दोस्तियां करते रहे, उनसे प्रेरणा लेते रहे और उन्हें प्रेरित करते रहे। यही कारण था कि अस्सी-नब्बे की उम्र में सुब्बाराव युवा बने रहे, उत्साह और प्रेरणा से लबरेज़। सुब्बाराव द्वारा आयोजित किए जाने वाले ‘राष्ट्रीय एकता शिविर’में देश भर के युवाओं का समागम होता, जिसमें युवाओं से उनकी गहरी आत्मीयता की झलक मिलती।

वर्ष 1929 में बेंगलुरु में पैदा हुए एसएन सुब्बाराव भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महज़ 13 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो उठे। अपने छात्र दिनों में वे स्टूडेंट कांग्रेस और राष्ट्र सेवा दल से भी जुड़े रहे। डॉक्टर एनएस हार्डिकर से वे गहरे प्रभावित रहे। आगे चलकर उन्होंने चंबल घाटी में महात्मा गांधी सेवा आश्रम की स्थापना की। उनके इसी आश्रम में जयप्रकाश जी की प्रेरणा से अप्रैल 1972 में मोहर सिंह, माधो सिंह और चंबल के दूसरे डाकुओं ने समर्पण किया था। सुब्बाराव जी ने चंबल घाटी में सामाजिक कार्य भी बखूबी किए।

अब से दो दशक पहले सुब्बाराव को देखने-सुनने का अवसर मिला था। जब वे अक्टूबर 2002 में जयप्रकाश जी के शताब्दी समारोह में भाग लेने के लिए बलिया आए थे। उसी समय बलिया के टाउन हाल में राष्ट्रीय एकता शिविर का भी आयोजन हुआ था। वहीं पहली बार उनको देखा और सुना। बाद में, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में भी राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सुब्बाराव जी के विचारों को सुनने का अवसर मिला। उन्हें सुनना उम्मीदों से, प्रेरणा और स्फूर्ति से भर जाना था। इस चिरयुवा गांधीवादी विचारक को सादर नमन!

(शुभनीत कौशिक की फेसबुक वाल से साभार।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

डीयू ने बीए पॉलिटिकल साइंस से मोहम्मद इकबाल का चैप्टर हटाया, अकादमिक कौंसिल ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने कई विषयों के पाठ्यक्रमों से साहित्यकारों, कवियों, दार्शनिक चिंतकों...