Tuesday, April 16, 2024

गांधी का हत्यारा चरमपंथी हिंदूवादी विचारों का चितपावन ब्राह्मण था, इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया            

एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम “महात्मा गांधी और राष्ट्रवादी आंदोलन” शीर्षक वाले अध्याय में पढ़ाया जाता था कि “30 जनवरी की शाम को उनकी दैनिक प्रार्थना सभा में गांधीजी को एक युवक ने गोली मार दी थी। बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया। यह हत्यारा पुणे का एक ब्राह्मण था। जिसका नाम नाथूराम गोडसे था। जो एक चरमपंथी हिंदू समाचार पत्र का संपादक था। जो गांधीजी को ‘मुसलमानों का तुष्टिकरण करने वाला’ कहता था।”

यह वाक्यांश 12 वीं के एनसीईआरटी के पाठक्रम का हिस्सा था। अब इसे इस रूप में पढ़ाया जाएगा। “30 जनवरी की शाम को उनकी दैनिक प्रार्थना सभा में गांधीजी को एक युवक ने गोली मार दी थी। जिसने बाद में आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वाला हत्यारा नाथूराम गोडसे था।” 

“वे लोग उन्हें (गांधी) को नापसंद करते थे, जो चाहते थे कि हिंदू मुसलमानों से बदला  लें या जो लोग चाहते थे कि भारत हिंदुओं का देश बने, जैसे पाकिस्तान मुसलमानों का देश बना था..” 

“हिंदू-मुस्लिम एकता की गांधी की दृढ़ कोशिश के चलते हिंदू चरमपंथी इतने आक्रोशित हो गए कि उन्होंने गांधी की हत्या के कई प्रयास किए…”                              

गांधी जी की हत्या का देश की साम्प्रदायिक स्थिति पर करीब जादुई प्रभाव पड़ा…भारत सरकार ने साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कस दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए बैन लगा दिया गया।….

ये कुछ वे वाक्यांश हैं, जो 12 वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के पाठक्रम में पिछले 15 वर्षों से पढ़ाए जाते थे। अब इन्हें एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।

गांधी की इस विचार को भी हटा दिया गया है कि “वे लोग गुमराह लोग हैं, जो यह सोचते हैं कि हिंदुओं को मुसलमानों से बदला लेना चाहिए या जो यह सोचते हैं कि भारत केवल हिंदुओं का देश है।” उनकी इस बात को भी हटा दिया गया है कि “ भारत को हिंदुओं का देश बनाने की कोशिश देश को नष्ट कर देगी।” 

एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में गांधी से संबंधित जिन मुख्य बातों को हटाया गया है उनमें पहली बात यह कि गांधी की नजर में यह देश जितना हिंदुओं का है उतना ही मुसलमानों का है। देश पर दोनों का समान हक है। वे भारत को हिंदुओं के देश के रूप में नहीं देखते थे। इसके साथ उनका यह भी कहना था कि जो लोग इस देश को हिंदुओं का देश बनाना चाहते हैं, वे लोग इस देश को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी बात यह कि गांधी हिंदुओं द्वारा मुसलमानों से बदला लेने के किसी भी भाव और विचार के सख्त विरोधी थे। तीसरी बात वे हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए अपनी जान की बाजी लगाने को भी तैयार थे। 

गांधी के इन विचारों से वे लोग सख्त नफरत करते थे और हैं, जो इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे और चाहते हैं। इसी तरह की सोच रखने वाले एक चरमपंथी नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या कर दी थी। आज की तारीख में आरएसएस-भाजपा मुसलमानों से बदला लेने का अभियान चला रहे हैं। वे हिंदुओं को मुसलमानों का लिंचिंग करने, हत्या करने, बलात्कार करने और उनके घरों को जलाने के लिए हिंदूवादी संगठनों और व्यक्तियों को उकसा रहे हैं। रामनवमी पर मुसलमानों के खिलाफ जो कुछ हुआ वह इसी सोच और नीति का नतीजा है। जिसके तहत जगह-जगह मस्जिदों को निशाना बनाया गया, मुसलमानों पर जानलेवा हमले किये गए और बिहार शरीफ के पुस्तकालय को जला दिया गया। ऐसे समय में गांधी के हिंदू-मुसलमान संबंधी विचार आरएसएस-भाजपा के खिलाफ जाते हैं। जिसके चलते उन्होंने उन विचारों को पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला लिया है।

( सिद्धार्थ )

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