नई दिल्ली। मंगलवार को लोकसभा सदन में अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत करते हुए कांग्रेस पार्टी के सांसद, गौरव गोगोई ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी को चौतरफा घेरा। करीब 35 मिनट के अपने भाषण में गौरव गोगोई ने हर उस बात को सामने रखा जिससे मणिपुर और राज्य की जनता पिछले 3 माह से गुजर रही है। अपने भाषण की शुरुआत में गौरव गोगोई मणिपुर के लिए इंसाफ की मांग करते हुए कहते हैं ‘ये अविश्वास प्रस्ताव हम INDIA अलायंस की ओर से मणिपुर के इंसाफ के लिए लाये हैं क्योंकि मणिपुर आज इंसाफ मांग रहा है। मणिपुर की जनता इंसाफ की गुहार लगा रही है, मणिपुर की बेटी इंसाफ मांग रही है, वहां के युवा, किसान, छात्र इंसाफ की मांग कर रहे हैं।’
इंसाफ की बात करते हुए गौरव गोगोई ने अपने भाषण में मार्टिन लूथर किंग को याद करते हुए उनके एक कथन को सामने रखा- ‘Injustice anywhere is a threat to justice everywhere’ ‘कहीं भी अन्याय होता है तो यह हर स्थान पर न्याय के लिए खतरा बन सकता है’ का उद्धरण देते हुए गोगोई ने कहा कि मणिपुर के साथ हो रही नाइंसाफी, पूरे देश के इंसाफ के लिए खतरा बन सकता है। गौरव गोगोई ने कहा कि हमें अपनी सोच को बदलना होगा।
गोगोई के अनुसार, “मणिपुर जल रहा है तो ये ना समझें कि पूर्वोत्तर का एक कोना जल रहा है, ये भारत में हो रहा है। मणिपुर जल रहा है तो भारत जल रहा है, मणिपुर विभाजित हो रहा है तो भारत विभाजित हो रहा है। हम सिर्फ मणिपुर के लिए इंसाफ नहीं मांग रहे है, पूरे भारत के लिए इंसाफ मांग रहे हैं।”
गौरव गोगोई अपने भाषण में आगे कहते हैं “हमारी मांग हमेशा से स्पष्ट थी कि देश का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री मोदी सदन में आकर अपनी संवेदना व्यक्त करें…अपनी बात रखें ताकि मणिपुर प्रदेश और वहां की जनता तक ये संदेश जाए कि इस दुःख की घड़ी में देश की संसद मणिपुर के साथ है। ये हमारी प्रधानमंत्री से अपेक्षा थी…अफसोस ऐसा नहीं हो पाया बल्कि इसके उलट उन्होंने मौन व्रत धारण कर लिया है….कि किसी भी सदन में नहीं बोलेंगे चाहे वो लोक सभा हो या राज्य सभा।”
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गौरव गोगोई का कहना था, ‘अविश्वास प्रस्ताव हमारी मजबूरी है क्योंकि इससे समूचे मंत्री परिषद पर विश्वास का अभाव व्यक्त होता है। ऐसी नौबत इसलिए आई क्योंकि इस अविश्वास प्रस्ताव के सहारे ही हम प्रधानमंत्री जी का मौन व्रत तोड़ना चाहते है।’
अपने भाषण के माध्यम से गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री मोदी से तीन सवाल किये हैं, जो ये बताने के लिए काफी है कि देश के मुखिया की चुप्पी का देश पर कितना बुरा असर पड़ता है। ये तीन प्रश्न इस तरह से हैं:
1.आजतक प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर क्या नहीं गए? राहुल गांधी गए, INDIA अलायंस के सांसद गए, गृह मंत्री गए लेकिन देश का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री मोदी जी क्यों नहीं गए?
2. 80 दिन क्यों लग गये प्रधानमंत्री मोदी जी को मणिपुर पर कुछ बोलने में? और जब बोले तो 30 सेकंड के लिए बोले, उस एक बयान को छोड़ दें तो आज तक प्रधानमंत्री मोदी ने न कोई संवेदना का एक शब्द बोला और न ही शांति कि अपील ही की है। ट्रेजरी बेंच की ओर इशारा करते हुए गोगोई ने कहा, “मंत्रिमंडल के सदस्य बोल रहे हैं कि हम बोलेंगे..हम बोलेंगे। आप बोलिए…कौन रोक रहा है? लेकिन देश का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री के शब्दों का जो महत्व है वह किसी मंत्री की बात में नहीं हो सकता है।”
3. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया? त्रिपुरा, गुजरात और उत्तराखंड में आपने अपने राजनीतिक वर्चस्व को बनाये रखने के लिए निर्वाचन से पहले मुख्यमंत्री बदल दिए गये…कहीं पर एक बार, कहीं पर दो बार और कहीं पर चार बार, तो मणिपुर के मुख्यमंत्री में ऐसा खास क्या है कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार उनके ऊपर अपना आशीर्वाद बनाए हुए हैं।
चूंकि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आये ही नहीं, इसलिए इन सवालों का जवाब भी गौरव गोगोई ने खुद दे दिया, और इन सवालों के जवाब प्रखर तौर पर ये बताने के लिए काफी था कि केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार ने देश को विध्वंस के हवाले कर दिया है।
पहले प्रश्न का जवाब देते हुए गौरव गोगोई का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी को इस बात को स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में उनकी डबल इंजन की सरकार व्यर्थ रही है। 150 लोगों की मृत्यु, 5000 घरों में आगजनी, 60,000 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और 5,000 से अधिक एफआईआर दर्ज हुए हैं। प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते एन. बीरेन सिंह को शांति, अमन और सद्भावना पर काम करना चाहिए था। लेकिन पिछले 2-3 सालों में राज्य में कुछ ऐसे भड़काऊ कदम उठाए गए हैं कि आज लोगों के बीच में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
ऐसा नहीं है कि आज से पहले उत्तर-पूर्व में हिंसा की घटना नहीं हुई, लेकिन ऐसी हिंसा जिससे दो समुदाय के लोगों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति नफरत भर जाए…गुस्सा जगह ले ले, ऐसा आज से पहले कभी नहीं हुआ था। जो सरकार एक भारत की बात करती है, आज उसने ही दो मणिपुर बना दिए हैं। समय आ गया है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी के राजधर्म की बात को याद करें। वाजपेयी कहा करते थे कि ‘राजा या शासक के लिए प्रजा में भेदभाव नहीं हो सकता, न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर और न ही समुदाय के आधार पर।’ इस हिंसक माहौल में सबसे ज्यादा कष्ट यदि किसी को हुआ है तो वो महिलाएं और बच्चे हैं।
दूसरे सवाल का जवाब देते हुए गौरव गोगोई कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री मोदी के लिए छवि बेहद मायने रखती है, इसीलिए वे मौन हैं ताकि उनकी राज्य सरकार की छवि धूमिल ना हो।’
केंद्र सरकार का गृह विभाग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विफल रहे हैं। आज 5,000 से भी ज्यादा हथियार लोगों के हाथों में हैं। करीब 35 पुलिस स्टेशनों और पुलिस ट्रेनिंग कैंपों से हथियारों की चोरी और लूट की गई है। क्या आज से पहले किसी ने इंसास, एके 47, सीएमजी, सेल्फ लोडिंग राइफल, एसएमसी, मोर्टार और 6 लाख गोलियों की चोरी होते हुए देखी? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला नहीं हैं?
ये गोलियां किस पर चलेंगी… देश की सेना पर, पुलिस पर और निहत्थे लोगों पर। ये हथियार सिर्फ मणिपुर तक ही सीमित नहीं रहने वाला है, बल्कि ये हथियार देश के अलग-अलग कोने में जाकर समाज में अशांति फैलाने का काम करेंगी। राज्य में ऐसी परिस्थिति बन गई है कि असम राइफल्स के जवान और मणिपुर पुलिस एक दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं। ये बनाया है इक्कीसवीं सदी के भारत को? 3 महीने से ऐसे समाधान कर रहे हैं मणिपुर की अशांति का? प्रधानमंत्री इसलिए भी मौन हैं क्योंकि वे अपनी इस भूल को कबूल नहीं करना चाहते।