जनरल इंश्योरेंस इंप्लाइज आल इंडिया एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री के एक वेबिनार के जवाब में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्पष्ट रूप से सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की नीति का विरोध किया है। एसोसिएशन ने कहा कि भारत के पूंजीपतियों और विदेशी ब्रांड को राष्ट्रीय संपत्ति सौंपना हमारे लोगों और हमारे देश के हितों के खिलाफ है।
एसोसिएशन ने कहा कि देश के लोग भलीभांति जानते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्रों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बहुत ही अच्छे ढंग से हरित और श्वेत क्रांतियों का संचालन करते हुए विशाल रोजगार सृजन किया, जिसके बल पर देश में निजी क्षेत्र का विकास हुआ है। बीमा और बैंकिंग क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद और अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचे तथा अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का निर्माण हुआ। जेएफटीयू के साथ जीआईएआईए साधारण बीमा क्षेत्र में निजीकरण और विनिवेश के विरुद्ध संघर्षरत रहेगा।
संगठन ने कहा कि पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने खुद स्वीकार किया था कि वैश्विक मंदी के दौरान, देश में मजबूत सार्वजनिक अर्थव्यवस्था के कारण ही भारतीय अर्थव्यवस्था बच गई थी। प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री ने कल एक वेबिनार को संबोधित करते हुए, ‘मुद्रीकरण और आधुनिकीकरण’ के तथाकथित मंत्र के तहत अपनी नीति के बारे में खुले तौर पर स्वीकार किया है।
एक बार फिर वर्तमान शासन व्यवस्था की विचारधारा, 1950 के दशक में अपने पहले अवतार ‘जनसंघ’ के दिनों के समान स्पष्ट हो गई है, जब स्वतंत्र भारत की सरकार अन्वेषण और अनुसंधान, अपने प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार और भारी उघोगों के निर्माण के आधार पर राष्ट्रीय विकास और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के निर्माण की नीति को आगे बढ़ा रही थी, तब जनसंघ ने संसद में इस नीति का विरोध किया था और उनके नेताओं ने इस शब्दावली का उपयोग किया था कि ‘व्यापार करना सरकार का काम नहीं है।’
जनरल इंश्योरेंस इम्पलाइज आल इंडिया एसोसिएशन के सचिव त्रिलोक सिंह ने कहा कि कल, प्रधान मंत्री ने विनिवेश के पक्ष में तर्क देते हुए इन्हीं शब्दों को दोहराया, “व्यापार करना सरकार का काम नहीं है।” रणनीतिक या गैर-रणनीतिक क्षेत्र के 100 के लगभग सार्वजनिक उपक्रम उनकी हिट लिस्ट में हैं।
जनरल इंश्योरेंस इम्पलाइज आल इंडिया एसोसिएशन के सचिव त्रिलोक सिंह ने कहा कि परिवार की चांदी बेचना और फिर इसे कमाई या लाभ कहना मोदी सरकार की खोखली और खतरनाक समझ है। यह कदम भारत की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाएगा, उसकी आत्मनिर्भरता को खत्म कर देगा और वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय वित्त व्यवस्था में भारतीय आर्थिक हित को गिरवी रख देगा। प्रधानमंत्री ने अंबानी और अडानी जैसे स्वयं के विकास में लिप्त पूंजीपतियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
जनरल इंश्योरेंस इम्पलाइज आल इंडिया एसोसिएशन देश के पूरे मज़दूर वर्ग और आम जनता से मोदी सरकार की इन राष्ट्र विरोधी नीतियों से लड़ने की अपील करता है।