Tuesday, April 23, 2024

60 किसानों की मौतों की जवाबदेही सरकार कीः राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है, “आंदोलन के दौरान अब तक 60 किसानों की जान चा चुकी है। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। सरकार की जवाबदेही बनती है।” बता दें कि अब तक किसान आंदोलन में 60 किसानों की मौत हो चुकी हैं। वहीं पिछले 24 घंटे में चार और किसानों की मौत की ख़बर है।

कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए पंजाब के दो कृषकों बलबीर सिंह गोहाना और निर्भय सिंह की मौत हो गई है। वहीं युधिष्ठर सिंह नामक एक किसान को दिल का दौरान पड़ने के बाद नाजुक हालत में पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया है। पुलिस को आशंका है कि किसानों की मौत सर्दी लगने से हृदयाघात के कारण हुई है। मौत के वास्तविक कारणों की जानकारी पोस्टमार्टम के बाद हो सकेगी। कुंडली बॉर्डर पर रात में खाना खाकर सोए गोहाना के गंगाना के किसान कुलबीर सिंह (52) सुबह टेंट में मृत मिले।

वहीं कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के संगरूर के लिदड़ा निवासी शमेशर पुत्र निर्भय सिंह की हालत बिगड़ गई। उनकी नागरिक अस्पताल में मौत हो गई, जबकि टिकरी बॉर्डर पर पंजाब के बठिंडा के जश्नप्रीत (18) की तबियत बिगड़ने पर शनिवार शाम रोहतक पीजीआई में भर्ती कराया गया। हार्ट अटैक से देर रात मौत हो गई। टिकरी बॉर्डर पर ही जींद के ईटल कलां के जगबीर सिंह (60) शाम को भोजन करने के बाद ट्राली में सोए थे। सुबह मृत मिले।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला ने कहा, “मुख्य एजेंडा तीन कानूनों को वापस लेना और MSP को कानूनी दर्जा देना है। इसमें कोई कानूनी समस्या नहीं है। यह राजनीतिक इच्छा का सवाल है। अगर सरकार कॉरपोरेट के साथ है तो वापस नहीं लेगी और अगर किसान के साथ है तो जरूर वापस लेगी।”

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करके कहा है, “सरकार एक तरफ तो किसानों को बातचीत के लिए बुलाती है, दूसरी तरफ इस कड़कड़ाती ठंड में उन पर आंसू गैस के गोले बरसा रही है। इसी अड़ियल और क्रूर व्यवहार की वजह से अब तक लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है। किसान कैसे विश्वास करे इस क्रूर सरकार पर?”

इससे पहले कल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, “पहली बार केंद्र में ऐसी अहंकारी सरकार बैठी है। इतनी ठंड और बारिश में संघर्ष कर रहे अन्नदाताओं को देखकर दुख होता है। मोदी सरकार को याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र का मतलब जनता और किसानों के हितों की रक्षा करना होता है।” वहीं, राहुल गांधी ने किसान आंदोलन की तुलना चंपारण आंदोलन से की। उन्होंने कहा कि देश एक चंपारण जैसी त्रासदी का सामना करने जा रहा है।

अभिनेता और पूर्व सांसद धर्मेंद्र ने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि वह दिल से दुआ करते हैं कि इन किसानों को आज इंसाफ मिले। भीषण सर्दी और बारिश के बीच हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी से लगी सीमाओं पर करीब एक महीने से केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आज, मेरे किसान भाइयों को इंसाफ मिल जाए। हाथ जोड़कर, जी जान से अरदास करता हूं, हर एक रूह को सुकून मिल जाएगा।”

वहीं किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर आज दिल्ली को गाजियाबाद और नोएडा से जोड़ने वाला गाजीपुर और चिल्ला बॉर्डर बंद है। यातायात पुलिस ने लोगों से आनंद विहार, डीएनडी, भोपुरा और लोनी बॉर्डर से होकर दिल्ली आने का सुझाव दिया है। यातायात पुलिस ने कहा, ‘सिंघू, औचंदी, प्याऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद हैं। कृपया लामपुर, सफियाबाद, पल्ला और सिंघू स्कूल टोल टैक्स बॉर्डर से होकर जाएं। मुकरबा और जीटेके रोड पर भी यातायात परिवर्तित किया गया है। आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से भी बचें।’

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