Saturday, April 20, 2024

अन्नदाता को बदनाम करने की जगह कानून वापस ले सरकारः एआईपीएफ

लखनऊ। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने कहा है कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसके दमन पर उतर आई है। राष्ट्रीय समिति के प्रस्ताव में मोदी सरकार की सख्त आलोचना की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि अन्नदाता को बदनाम करने में लगी सरकार को बताना चाहिए कि आखिर उसके ऊपर किसका दबाव है जो वह इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने के लिए तैयार नहीं है।

उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर झारखंड जैसे खेती-किसानी पर निर्भर राज्यों में यदि खेती को ठेके पर दे दिया जाएगा तो यहां के छोटे-मझोले किसान जो इस पर ही निर्भर रहकर अपनी जीविका चलाते हैं, उनकी जिंदगी का क्या होगा। कॉरपोरेट के हवाले खेती-किसानी पर अमादा सरकार पूरे खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल कर गरीबों से सस्ता राशन भी छीनने में लगी है।

एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि देश ने देखा है कि कैसे शिक्षा जगत को निजी क्षेत्र के हवाले कर बर्बाद कर दिया गया। यही हाल स्वास्थ्य व्यवस्था का भी है। कोरोना महामारी में ही निजी क्षेत्र ने आम आदमी का इलाज तक करने से हाथ खड़े कर दिए। एआईपीएफ की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही लोगों को उत्तर प्रदेश में इलाज मिल सका।

प्रस्ताव में किसानों के कल आयोजित राष्ट्रीय विरोध दिवस का सक्रिय समर्थन करते हुए कहा गया कि तीनों किसान विरोधी कानूनों की वापसी, एमएसपी पर कानून, विद्युत संशोधन विधेयक को रद्द करने समेत काम के घंटे बारह करने वाले लेबर कोड, राजद्रोह, यूएपीए, एनएसए जैसे काले कानूनों को खत्म करने की मांग पर एआईपीएफ जनता से बड़े पैमाने पर संवाद कायम कर रहा है और इन सवालों पर राष्ट्रीय स्तर पर लड़ रही हर ताकत के साथ एकताबद्ध होगा।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि उत्तर प्रदेश में हर मोर्चे पर असफल रहे सीएम योगी महज वोट बैंक और सामाजिक विभाजन की राजनीति कर रहे हैं। उनका ध्यान हर वक्त ऐसे सवालों पर ही रहता है, जिससे एक समुदाय को निशाना बनाकर दूसरे समुदाय की गोलबंदी की जाए। कभी उनकी सरकार धर्मांतरण पर कानून बनाती है तो कभी बदला लेने के लिए डॉ. कफील की जमानत रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की कार्रवाई करती है।

वहीं प्रदेश में बोरे के अभाव में किसान के धान तक की खरीद नहीं हुई और मजबूरी में उसे बेहद सस्ती दर पर धान बेचना पड़ रहा है। इसलिए प्रदेश की जनता से इनकी विभाजनकारी कार्यवाहियों से सावधान रहने और आपसी एकता बनाए रखने की अपील एआईपीएफ ने की है।

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