Tuesday, March 19, 2024

चुनावी घोषणा पत्र और संविदा संवाद के वादों को जल्द पूरा करे हेमंत सरकार: महासंघ

झारखण्ड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें झारखण्ड की हेमंत सरकार के 2 वर्ष के कार्यकाल की समीक्षा कर, महासंघ ने एक स्वर में मुख्यमंत्री से चुनावी घोषणा पत्र और संविदा संवाद के अनुसार मांग पूर्ति का अनुरोध किया । आज की बैठक में निर्णय लिया गया कि आसन्न मॉनसून सत्र में पक्ष-विपक्ष के विधायकों को अपनी मांगें सौंप कर उनसे उन्हें सदन में उठाने का अनुरोध किया जाएगा।

बैठक में बताया गया कि झारखण्ड की हेमंत सरकार के चुनावी घोषणा पत्र /प्रतिज्ञा पत्र /संविदा संवाद /चुनावी सभा के दौरान किये वादे को लागू करने में विलंब से नाराज राज्य के 40 से अधिक छोटे बड़े संघठनों के 7 लाख से अधिक संविदाकर्मियों ने जोरदार आंदोलन का मूड बनाया है। यदि समय पर इनके साथ हुए वादे पूरे नहीं हुए तो राज्य में आसन्न पंचायत, नगरनिगम, नगर निकाय के चुनाव, कोविड -19 के टीका करण, सरकार आपके द्वार का संविदाकर्मी बहिष्कार करेंगे। बिजली, पानी स्वस्थ्य, शिक्षा सहित अन्य सभी काम जो अनुबंध कर्मियों के भरोसे होता है। इन सबको पूर्णतः ठप्प कर देंगे। पंचायत सचिवालय से राज्य मुख्यालय तक काम काज ठप्प करेंगे।

बैठक में कहा गया कि सामूहिक हड़ताल और संयुक्त आंदोलन की रूप रेखा जल्द तैयार किया जाएगा। हम अभी भी सरकार से वार्तालाप के दरवाजे खुले रखे हैं। हमने पूरी ईमानदारी से सरकार को सत्ता सौंपा मगर सरकार किसी भी वायदे को पूरा करने में विगत 2 वर्षों में असमर्थ दिखी ।

बताते चलें कि सरकार से सबसे ज्यादा नाराज पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी के कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विभाग brp, crp, drda कर्मी, kgvb झारखंड अंशकालिक सह कर्मी संघ के स्वास्थ्य सहित तमाम nhm nrhm संविदा कर्मी, बाल संरक्षण, sbm 14वें वित्त , 332 ई ब्लाक मैनेजर, पोषण सखी, ग्राम पंचायत स्वयं सेवक kgvb कर्मी, संविदा प्राध्यापक मनरेगाकर्मियों सहित वैसे सारे कर्मी हैं जिन्होंने कोविड -19 में जान जोखिम में डाल कर पूरी ईमानदारी से सरकारी सेवा की है। लेकिन उनका कहना है कि 2 वर्षों में कार्य दबाव तो बढ़ाया गया, मगर मानदेय में एक फूटी कौड़ी की भी वृद्धि नहीं की, जिसके कारण संविदाकर्मियों में काफी रोष है।

वित्त विभाग के संकल्प 1965, दिनांक 02/06/17 के अनुसार 26300/मासिक, श्रम नियोजन मंत्रालय भारत सरकार के गजट संख्या 2459, दिनांक 29/08/2017 के अनुसार 24000/न्यूनतम वेतन तथा वित्त विभाग के पत्रांक 2176 दिनांक 28/07/2015 द्वारा 113%महंगाई भत्ता देने सम्बन्धी पत्र का अनुपालन गिने चुने संविदाकर्मियों के लिए किया जा रहा है, जबकि राज्य के बड़े समूह को इस लाभ से वंचित रखा गया है। इस आदेश के जारी और प्रभावी होने की तिथि से सभी संविदा कर्मियों को लागू किया जाना चाहिए और इसमें होने वाले अंतर राशि को ब्याज सहित सभी वंचित संविदाकर्मियों को भुगतान किया जाना चाहिए ।

लॉक डाउन के समय संविदाकर्मियों ने अभूतपूर्व कार्य कर पीड़ित मानवता को राहत दिया। सरकारी सेवा के अंतर्गत सूखा राशन, पानी, मास्क सेनिटाइजर, मजदूरों को घर पहुंचाने से लेकर कोरोना मरीज के लिए विशेष कैंपों अस्पताल आदि में ड्यूटी तो किया ही बल्कि कोरोना टीकाकरण का प्रथम और द्वितीय डोज दिलाने में जी जान से लगा रहा। सरकार के आपके द्वार को भी सफल बनाने में अनुबंध कर्मियों की भूमिका सराहनीय रही है।
यदि नाराज होकर अनुबंध कर्मियों ने कार्य ठप्प किया तो मैट्रिक इंटर परीक्षा संचालन, पंचायत, नगर निकाय चुनावों और मार्च के पूर्व बजट राशि का खर्च करना सरकार के लिए संकट पैदा कर सकता है ।

कोविड काल में नौकरी संकट और झारखंड में 332 ई-गोवर्नमेंट कर्मी, 1800 14वें वित्त कर्मी, 10 हजार सहायक पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी हुई।
500 sbm कर्मी और 400 drda कर्मियों की सेवा भी मार्च 22 में समाप्त हो जाएगी। इस नियुक्ति वर्ष में इतनी अधिक संख्या में बर्ख़ास्तगी का होना सरकारी मंशा पर सवाल खड़ा करता है।
14वें वित्त, सहायक पुलिसकर्मियों और jpsc अभ्यर्थियों पर बेरहमी से लाठी चार्ज से भी राज्य की तमाम जनता नाखुश है।
आसन्न नियुक्तियों में वर्षों से संविदा पर कार्यरत कर्मियों के हितों, उम्र सीमा में छूट, पदों का आरक्षण और अन्य तरह के वेटेज दिए बिना धड़ाधड़ संसोधन के चलते भी संविदा कर्मियों का मोह सरकार से भंग हो गया है।
एक तरफ संविदाकर्मियों का मानदेय बहुत ही कम है, उस पर स्वास्थ्य विभाग के सहिया, बाल संरक्षण कर्मियों, पोषण सखियों, drda कर्मियों का 6-7 माह विलम्ब से मानदेय मिलना इन मेहनतकशों की नाराजगी का अन्य कारण भी है ।

राज्य की स्थापना के साथ झारखण्ड राज्य में संविदा (अनुबंध) पर रोजगार देने की प्रथा शुरू की गयी। संविदा का अर्थ ही होता है ‘वेतन कम काम ज्यादा’। राज्य के सभी विभागों मे स्थाई नियुक्ति के स्थान पर अनुबंध पर राज्य के युवा वर्ग, शिक्षित लोगों को रखा गया, जो राज्य के युवा वर्ग के लिए अभिशाप से कम नहीं है।अनुबंध को प्रतिभा, योग्यता और क्षमता का बलिदान कहा जा सकता है। राज्य में आज विभिन्न विभागों में लगभग सात लाख से ज्यादा झारखण्डी युवा अनुबंध पर कार्यरत हैं।

कहना ना होगा कि इन प्रतिभाओं को सरकारी नौकरी की आस में मजबूरन अनुबंध पर नौकरी करनी पड़ रही है। यह शोषण से भरी राह है जहां पर अधिकारी अपनी मनमानी अनुबंध कर्मियों पर करते हैं। मनरेगा कर्मियों से 12 से 18 घण्टे काम लिया जाता है, अवकाश के दिन भी बैल की तरह काम लिया जाता है, वे इसलिए लगे रहते हैं क्योकिं इन्हें नौकरी से हटाये जाने का भय बना रहता है। इनके कार्य में अवकाश नाम की कोई चीज नहीं है। गर्भवती महिला कर्मियों से भी अन्तिम समय तक काम लेना और नो वर्क नो पे पर रखा जाता है। मानदेय इतना कम कि परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल है, इसी मानदेय पर बच्चों को अच्छी शिक्षा देना सम्भव नहीं है।

आज की बैठक में विनय कुमार सिंह कोषाध्यक्ष nrhm महासंघ, संजय कुमार, केंद्रीय सँयुक्त सचिव brp crp, शेख सिद्दीकी प्रदेश अध्यक्ष झारखण्ड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ, धरनी कुमारी, प्रदेश अध्यक्ष anm ngm, रितेश कुमार सिंह, अंशकालिक शिक्षक संघ kgvb, संजय कुमार सिह jhewa, कमलाकांत मेहता, brp crp महासंघ सहित कई संघठनों जे अनुबंध कर्मी मौजूद थे। बैठक की जानकारी झारखण्ड राज्य अनुबन्ध कर्मचारी महासंघ के केंद्रीय समिति सदस्य महेश सोरेन ने दी।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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