ग्राउंड रिपोर्ट : स्वास्थ्य सेवाओं का चरमराता ढांचा और कालीन नगरी में बढ़ता किडनी रोग

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भदोही, उत्तर प्रदेश। भारत का भदोही जिला पूरे विश्व में कार्पेट सिटी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां के कालीन की देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी काफी डिमांड होती है। आज से 30 वर्ष पहले 1994 में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में भदोही शहर को वाराणसी जिले से विभाजित कर एक नया जिला बनाया गया था।

भदोही जिला चार शहरों वाराणसी, मिर्जापुर, जौनपुर, प्रयागराज की सीमा को स्पर्श करता है। बावजूद इसके आज भी इस जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकारी महकमा उदास दिखाई देता है। किसी भी दुर्घटना या बड़ी बीमारी के होने पर यहां के मरीजों को वाराणसी-प्रयागराज या मिर्जापुर रेफर किया जाता है।

कालीन नगरी भदोही में देशी-विदेशी बायरों का आना-जाना लगा रहता है। वर्ष में एक बार यहां कालीन मेला भी लगता है जिसमें दूर देशों के विदेशी मेहमानों का यहां जमावड़ा लगता है और करोड़ों का कारोबार भी होता है।

कालीन मेले के दौरान शासन सत्ता से जुड़े हुए लोगों द्वारा तमाम दावे और घोषणाएं भी किए जाते हैं, लेकिन वह कालीन मेला समाप्त होते ही ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं।

इन व्यवस्थाओं में स्वास्थ्य सेवाएं सबसे महत्वपूर्ण बताई जाती है। वह इसलिए कि यदि किसी दूर देश से आये कालीन कारोबारी की तबीयत  बिगड़ी गई तो वह यहां की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल देख कर उसके दिल की धड़कने भी बढ़ जाएगीं।

सौगात मिली, सुविधाएं नहीं

भदोही जिले को भले ही वाराणसी से अलग होकर जनपद का दर्जा मिले हुए तीन दशक का समय बीतने को है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं सहित कई अन्य सुविधाएं यहां के लोगों को अभी भी उपेक्षित किए हुए है।

सरपतहां स्थित भदोही जिला मुख्यालय पर 100 सैय्या का जिला अस्पताल होने के बावजूद लोगों के जुबां पर एक शब्द आ जाता है कि आखिरकार जिला अस्पताल का क्या लाभ जब लोगों को रेफ़र ही होना है? 

भदोही के ज्ञानपुर में पहले से ही दो राजकीय अस्पताल महाराजा चेत सिंह अस्पताल एवं महाराजा बलवंत सिंह अस्पताल मौजूद है, जिसे जिले की बढ़ती हुई आबादी की जरूरतों को देखते हुए नाकाफी बताया जाता है। यहां जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं, इसलिए स्थानीय जनता की मांग लंबे समय से चली आ रही थी कि यहां अधिक सुविधायुक्त अस्पताल बनाया जाय।

इसके लिए लोगों ने एक लंबी मुहिम चलाई और परिणाम स्वरूप जिला मुख्यालय पर सौ सैय्या के जिला अस्पताल की सौगात मिली लेकिन सुविधाएं अभी भी नहीं बढ़ी हैं।

ऐसी स्थिति में जिला अस्पताल बन जाने से क्या बदला? के सवाल पर स्थानीय निवासी उमेश कुमार यादव कहते हैं कि “जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं नाकाफी हैं, सबसे पहले तो यहां चिकित्सकों की बराबर उपस्थिति होनी चाहिए, ताकि लोगों को सुलभ त्वरित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिले।”

वह बताते हैं कि यदि कोई घटना दुर्घटना हों जाए तो यहां मरहम-पट्टी कर उसे जल्द से जल्द रेफ़र कर पिंड छुड़ा लिया जाता है, यही कारण है कि लोग जिला अस्पताल आने के बजाए निजी चिकित्सालयों का रुख कर लेते हैं।”

बढ़ रहें किडनी के मरीज

कालीन नगरी भदोही जिले में किडनी की बीमारी से पीड़ित रोगियों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। बीते एक माह में ही 6 न‌‌ए किडनी के मरीज मिले हैं। जिनका त्वरित इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू करा दिया गया है। बढ़ते किडनी रोग के मरीजों को अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरुक भी किया जा रहा है।

जिला मुख्यालय के पास स्थित सौ शैय्या अस्पताल परिसर में बने डायलिसिस यूनिट केंद्र में 81 मरीजों का उपचार चल रहा है। एक माह पूर्व 75 मरीज थे 6 बढ़ने पर कुल 81 हो ग‌ए है। 66 मरीज भदोही जिले के तो 15 रोगी प्रयागराज और जौनपुर जनपद के भी शामिल हैं।

डायलिसिस यूनिट में मरीजों का इलाज संग बीमारी का लक्षण व बचाव की भी जानकारी दी जा रही है। अभी भी गंभीर बीमारी या बड़ी घटना-दुर्घटना के बाद मरीजों को प्रयागराज, वाराणसी या फिर मिर्ज़ापुर के लिए रेफर कर दिया जाता। ऐसे में भदोही जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बेहतरी की जरूरत है।

डायलिसिस विभाग के वरिष्ठ टेक्निशियन विनय कुमार ने बताया कि कुल 81 किडनी रोगियों का उपचार चल रहा है। 66 भदोही तो 16 मरीज प्रयागराज और जौनपुर शामिल हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि किडनी इंफेक्शन होने की शुरुआत लक्षण दिखते ही मरीज का उचित इलाज कराया जाय। अभी डायलिसिस यूनिट में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।  

दूसरी ओर गौर करें तो भदोही जिले के भाजपा सांसद ख़ुद चिकित्सक हैं, सो उनसे यहां कि जनता को काफी उम्मीदें हैं। इस संदर्भ में बात करने पर भदोही के सांसद डॉ विनोद कुमार बिंद कहते हैं कि “जनपद के विकास और अधूरे पड़े विकास कार्यों को पूर्ण करने के साथ-साथ जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए काफी कुछ करना है।

सर्व प्रथम मरीज को कहीं बाहर न जाना पड़े जनपद में ही सुलभ चिकित्सकीय सेवाएं मिले इसके लिए संबंधित को निर्देश भी दिए गए हैं।” वह कहते हैं कि भदोही जिले का अपना एक नाम और पहचान है, ऐसे में यहां की समस्याओं को खासकर स्वास्थ्य सेवाओं में आने वाली अड़चनों को दूर करते हुए लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता है।”

यह हैं किडनी इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण… 

चिकित्साधिकारी बताते हैं कि किडनी इंफेक्शन होने के शुरुआती लक्षण है बार-बार यूरीन पास करने की जरूरत महसूस होना। यूरीन में रक्त या मवाद आना। बुखार आने के साथ पीठ, बाजू व कमर में दर्द होना। कंपकंपी या ठंड का एहसास होने के साथ दर्द व जलन होना भी किडनी इंफेक्शन का शुरुआती लक्षण है।

उन्होंने यह भी बताया कि किडनी में संक्रमण किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। बीमारी का लक्षण दिखते ही डायलिसिस में आकर जांच के बाद उचित इलाज कराएं। इसके साथ ही चिकित्साधिकारी ने किडनी इन्फेक्शन होने पर मरीजों को कुछ सावधानी बताई जो उन्हें ध्यान देनी चाहिए।

मसलन, रोज़ाना काफ़ी पानी पिएं, इससे बैक्टीरिया को बाहर निकलने में मदद मिलती है। 

जब भी पेशाब करने की ज़रूरत हो, तो तुरंत जाएं। पेशाब को रोककर न रखें।  

पेशाब करने के बाद और मल त्यागने के बाद आगे से पीछे की ओर पोंछें, इससे कीटाणुओं को फैलने से रोका जा सकता है। 

जननांगों को हर दिन साफ़ करें, जननांगों पर डियोडरेंट स्प्रे या डौश का इस्तेमाल न करें। 

भरपूर मात्रा में फ़ाइबर खाएं,  इससे कब्ज़ से बचाव होता है। अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें, नियमित रूप से नहाएं।

निजी चिकित्सालयों के मुकाबले सरकारी चिकित्सालयों में दिखती है बदहाली

वर्ष 2008 में शुरू हुए तथा तकरीबन 18 करोड़ की लागत से निर्मित भदोही के जिला अस्पताल में कहने को तो सभी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध है, क़ई प्रकार के आधुनिक जांच की मशीनें हैं, बावजूद इसके जो भीड़ जिले के निजी चिकित्सालयों में दिखाई दे देती है वह जिला अस्पताल में नहीं दिखाई देती है।

विदित हो कि भदोही जनपद का जिला मुख्यालय भदोही नगर से तकरीबन 20 किमी दूर सरपतहां में स्थित है। सरपतहां ज्ञानपुर तहसील क्षेत्र अन्तर्गत आता है यहीं जिले के अमूमन सभी प्रशासनिक कार्यालय और अधिकारियों के आवास भी हैं। यहीं पर 100 शैय्यायुक्त भदोही जिला अस्पताल भी है।

इसके अलावा बड़े सरकारी अस्पताल के तौर पर ज्ञानपुर में महाराजा चेत सिंह अस्पताल एवं महाराजा बलवंत सिंह अस्पताल मौजूद हैं। इसी के साथ-साथ 6 ब्लॉक स्तरीय अस्पताल, 18 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 206 उपकेन्द्र हैं। जिनमें से 185 सक्रिय हैं।

सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है, इतने के बाद भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर सरकारी अस्पतालों की दशा पर गौर फरमाएं तो यह खुद ही बीमार नजर आते हैं।

भदोही के उगापुर गांव निवासी सत्यम मौर्य बताते हैं कि “सरकार घोषणा तो बहुत कुछ करती है, लेकिन उनके जनप्रतिनिधि और जिले में बैठने वाले अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं को करीब से जानने की जरूरत नहीं समझते है, कभी-कभार सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण और दौरा हो भी जाता है, तो उन्हें जो दिखाया जाता है वही उनको भाता भी है।

जबकि कायदे से होना यह चाहिए कि अलग-अलग मरीजों, तिमारदारों की सुनते हुए हकीकत का आकलन किया जा सकता है, तब जाकर व्यवस्था को परखा जा सकता है।”

औराई के रहने वाले महेश कुमार बोलते हैं, “जब कालीन नगरी भदोही में देशी-विदेशी खरीदारों का आना-जाना होता है तो जाहिर सी बात है यहां सुविधाएं भी विश्वस्तरीय होनी चाहिए लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि विश्वस्तरीय होना तो दूर यहां राज्यस्तरीय उपचार की भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाईं हैं।

ज़िले के बदहाल मार्गों की भांति यहां की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का भी बदहाली भरा चेहरा छुपाते नहीं छुप पाता है।

(भदोही से शालिनी जायसवाल की ग्राउंड रिपोर्ट)

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