मुगलसराय, उत्तर प्रदेश। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं मायावती की महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल रही कांशीराम आवासीय कॉलोनी, योगी सरकार में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
मुगलसराय नगर पालिका के मैनीताली में स्थित कांशीराम आवासीय कॉलोनी अव्यवस्थाओं और गंदगी से अटा पड़ा है। कॉलोनी की सड़कों पर जलजमाव और गंदगी स्वच्छता अभियान की पोल खोल रहा है, तो वहीं यहां के निवासियों को साफ पेयजल, सड़क, रास्ता, स्ट्रीट लाइट, जल निकासी, सीवर निकासी, जरूरी हरियाली, वृद्धा पेंशन समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है।
जबकि, मुगलसराय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटा हुआ 5-7 किमी की दूरी पर स्थित है।
उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद में स्थित कांशीराम आवासीय कॉलोनी व इसके बाशिंदों की बदहाली राज्य और केंद्र सरकार के जनकल्याणकारी मुहीम की पोल खोल रही है। मौजूदा वक्त में आवास योजना में नागरिक भेड़-बकरियों की तरह रहने को विवश हैं।
यहां की गंदगी, जल जमाव, जानलेवा मच्छर और जहरीले जंतुओं के बीच लगभग हजार-बारह सौ नागरिकों को रहने के लिए शायद इसलिए छोड़ दिया गया है, इसलिए कि ये दलित, पसमांदा मुस्लिम, बुनकर, ठठेरा, धोबी, मुसहर, डोम, तेली, लाला, भंगी, मल्लाह, नोनिया, भटियारा समेत कई और हासिए पर सिमटी जातियों के लोग रहते आ रहे हैं।
इनकी न कोई आवाज है और न ही संगठन, जो कांशीराम आवास योजना के बाशिंदों के मुश्किलातों और बेबसी के सवालों से शासन, जिलाप्रशासन और मंत्री, सांसद-विधायकों से अवगत कराये। ताकि इन जिम्मेदारों को अपनी कमियों-नाकामियों का मुसलसल एहसास हो।
वो भी ऐसे दौर दीर्घा में जब सत्तारूढ़ राज्य-केंद्र सरकार ‘सबका साथ -सबका विकास’, स्वच्छता अभियान और गरीबी- शोषण उन्मूलन के प्रयासों से रामराज्य के आने का दावा करती है। सार्वजनिक मामलों के प्रति स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की लापरवाही, सत्तारूढ़ सरकार के मंसूबे को उजागर कर रही है।
कांशीराम आवासीय कॉलोनी परिसर में अस्सी साल की मैमूना बेगम अपने को संभालते हुए धीरे-धीरे बढ़ी चली आ रही थी। पास आकर एक बिजली के पोल के सहारे ठिठक गई और रोने लगी। वह अपनी पीड़ा “जनचौक” से बताती हुई कहती हैं “मेरी उम्र अस्सी साल हो गई है, यहां रहने के बुरे हालात किसी से छिपे नहीं है।
हमें आजतक वृद्धा पेंशन नहीं मिला। कई बार आवेदन किया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जीवन के इस पड़वा में एक-एक पैसे और अनाज, राशन के लिए मोहताज हैं। तबियत भी कई सालों से साथ नहीं दे रही है। अब तो दस-पांच कदम चलने पर लाल-पीला दिखने लगता है।
सांस ऐसे फूलती है, मानो छाती फट जायेगी। बुजुर्ग शौहर भी अब को काम-मजदूरी नहीं कर पाते हैं। हमलोगों का ख्याल रखने वाला बेटा, हमलोगों के जीते जी ही एक दुर्घटना में मर गया।
दूसरे बेटे को नशाखोरी ने अपना गुलाम बना लिया है। वह रहता तो हमलोगों के साथ ही, लेकिन वह कभी होश में नहीं रहता। अब इतनी उम्र हो कि, किसी से क्या शिकवा-शिकायत करें ? जीवन के कुछ साल और बचे है, इन्हें भी काट ही लेंगे मर-जी के।
वृद्ध मैमूना आगे बताती है “मच्छर के आतंक से रात के साथ-साथ दिन में भी सोना मुहाल है। महीने भर से बुखार से परेशान हूं। अब इलाज के लिए एक रुपए भी नहीं बचे हैं और बुखार है की छोड़ ही नहीं रहा है।
सीवर और अवरुद्ध नाली में सड़ते पानी की निकासी के लिए बांस लेकर खुद ही सफाई करने उतरे प्रमोद कुमार कांशीराम आवासीय कॉलोनी के निवासियों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार से दुःखी हैं।
प्रमोद कहते हैं “नालियों की सफाई अब तक नहीं हो सकी है। नगरीय निकायों की तरफ से 15 जून तक बारिश शुरू होने से पहले नालियों की सफाई कर मच्छर रोधी दवाओं का छिड़काव कर देना होता है।
जिससे बारिश के दौरान मच्छर न पनप पाते, लेकिन नपा प्रशासन की लापरवाही के कारण अब तक नालियों की सफाई पूरी नहीं हो सकी है और ना ही दवाओं का छिड़काव किया गया है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।”
वह आगे कहते हैं “जमादार एसएन पांडेय कामचोर और जातिवादी मानसिकता से भरा घटिया किस्म का आदमी है। उसे किसी की प्रकार के पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। यहां सफाई को महीने भर से अधिक हो गया है। हर जगह जल जमाव-गन्दगी का साम्राज्य है।
लोग एक के बाद एक बीमार हो रहे हैं। किसी को कोई फ़िक्र नहीं है। मैं अपने दिहाड़ी के पैसे जोड़कर कांशीराम आवास योजना की बदहाली को लेकर तहसील दिवस में कई बार आवेदन दिया। कुछ नहीं हुआ। एक-दो कर्मचारी आते भी हैं तो इतने बड़े परिसर को देखकर भाग खड़े होते हैं।
सरकार या प्रशासन कोई स्थाई निदान नहीं कर रही है। मुगलसराय नगर पालिका और गोधना ग्रामसभा भी हमलोगों की बदहाली के लिए कम जिम्मेदार नहीं है।”
मच्छरों के आतंक से जीना मुहाल
नागरिकों के अनुसार मानसूनी बारिश में तो आवास योजना का परिसर तालाब जैसे तो जाता है। बारिश सीजन के गुजरे डेढ़-दो महीने हो रहे हैं, लेकिन परिसर में जमा पानी अभी भी सड़ रहा है। गंदा पानी जगह-जगह गड्ढों और नालों में जमा है। इससे बदबू उठती है।
ऐसे माहौल में मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। यहां कभी भी मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए फॉगिंग और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं किया गया है। जुलाई महीने से लेकर अक्टूबर गुजर गया। तब से लेकर अब तक मच्छरों के आतंक से नागरिकों का जीवन मुश्किल में हैं।
मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों से बचने के लिए अब तक मुगलसराय नगर पालिका ने ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं किया है। नालियों व आसपास परिसर की सफाई पूरी तरह से नहीं होने से लोग मच्छरों के प्रकोप से परेशान हैं।
दूसरी ओर, आवास योजना के प्रत्येक घर में कोई न कोई वायरल बीमारी की चपेट में हैं। इसके बावजूद मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए दवा का छिड़काव नहीं कराया जा रहा है।
स्वच्छ भारत अभियान के दायरे से बाहर कांशीराम आवास योजना ?
भारत में स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार-प्रसार की धूम है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता को अपनाने की बात करते हैं। ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी स्वच्छता जैसी बुनियादी मुद्दे पर गंभीरता से अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
इतना ही नहीं करोड़ों रुपए स्वच्छता अभियान पर खर्च भी किए जा रहे हैं, लेकिन मुगलसराय में कांशीराम आवासीय कालोनी स्वच्छता की बाट जोह रही है। कॉलोनी की जमीनी बदहाली देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कांशीराम कालोनी स्वच्छ भारत अभियान के दायरे से बाहर है।
मुगलसराय के कांशीराम आवासीय कालोनी परिसर में चारों तरफ गंदगी का लगा अंबार, बजबजाती नालियां, टूटे चैंबर, कूड़े का ढेर और खंभों के बीच जर्जर तार इस कालोनी की मानो पहचान बन गए है। इस कालोनी में कहने को तो हजारों लोग रहते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं की बात करें तो रोना आता है।
कोई सुनने वाला नहीं
कॉलोनी में रहने वाली ज्योति का कहना है कि “आज से लगभग 13-14 साल पहले हमलोगों को कांशीराम आवासीय कॉलोनी आवंटित हुई थी, तब यहां की गालियां चमचमा रही थी, हैंडपंप से पानी आता था, साफ़-सफाई थी, कर्मचारी नियमित सफाई करते थे, अधिकारियों के दौरे भी होते रहते थे, लेकिन जब से योगी की सरकार आई है।
इधर कोई झांकने तक नहीं आया है। बीजेपी की योगी सरकार के बाद कॉलोनी की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। जिसका कोई भी पुरसाहाल नहीं है। कालोनी की साफ-सफाई व्यवस्था से लेकर कीटनाशक दवाओं के छिड़काव, लटकते जर्जर बिजली के तारों को भी बदलें जाने की गुहार लगाई गई थी, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।”
दावे हकीकत से दूर, गंदगी से घिरा स्कूल
तरन्नुम बताती हैं “स्वच्छता अभियान के तहत विभिन्न इलाकों में एक ओर सफाई में सुधार के दावे किए जाते हैं, लेकिन असलियत में ये दावे कांशीराम आवास योजना से सटे मैनीताली प्राथमिक स्कूल में सच्चाई से कोसों दूर हैं। प्राथमिक विद्यालय के आसपास फैली गंदगी इसी सच्चाई को बयां कर रही है।
स्कूल गेट के अंदर तो परिसर साफ है, लेकिन गेट से बाहर बड़ी-बड़ी घास उगी है। जिनमें जहां दीवार के चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। गंदगी के प्रभाव व बदबू के कारण स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं का बुरा हाल है। दूषित माहौल से उनकी शिक्षा भी प्रभावित हो रही है।
इसकी सफाई के लिए स्कूल प्रशासन से लेकर संबंधित विभाग भी उदासीन है। इसका परिणाम गरीब छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता है। मौसम चाहे कोई भी हो, दीवार के एक छोर से दूसरे छोर तक फैली गंदगी पर इसका असर नहीं होता।
बारिश में इसकी सड़न से तो हालात और बिगड़ जाते हैं। दरअसल, स्कूल के पास जमी गंदगी और कूड़े से मच्छरों का आतंक व बदबू से सभी परेशान हैं।”
कांशीराम आवास योजना का हाल बदहाल
रामवती ने बताया कि “कांशीराम आवासों में न तो साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था है और न ही शुद्ध पेयजल आपूर्ति है। बिजली के ख़राब हो जाने पर पानी के लिए कॉलोनी में हाहाकार मच जाता है। आवास योजना के लोग गंदगी के बीच रहने को मजबूर हैं।
यहां रह रहे एक हजार से ज्यादा परिवार विपरीत परिस्थितियों में रह रहे हैं। कॉलोनी परिसर में कई हैंडपंप लगे हैं, जो कई सालों से खराब है। शिकायत के बाद भी जिनके मरम्मत की जहमत जिम्मेदार उठाने को तैयार नहीं हैं। मायावती सरकार में यह आवास मिला था। उस वक्त कॉलोनी की सारी सुविधाएं बढ़िया थीं।
सरकार बदलने के बाद सब बदहाल-बेनूर हो गया। यहां न तो साफ-सफाई के लिए नगरपालिका की तरफ से कोई सफाईकर्मी आता है, न ही पीने का शुद्ध पानी मिल रहा है, जबकि पहले जब मायावती सरकार थी, तो रोजाना इन कॉलोनियों में साफ-सफाई होती थी। अब कॉलोनियों में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है।”
लोगों ने बताया कि इस कॉलोनी में आने-जाने वाले प्रमुख संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बारिश में जलभराव व कीचड़ की वजह से चलना दूभर हो जाता है। उखड़ गई है, ऑटो-टोटो, रिक्शा और पैदल बच्चों-बुजुर्गों का आना-जाना खतरे से खाली नहीं है। कभी-कभी लोग गिरकर घायल भी हो जा रहे हैं।
कांशीराम आवास योजना में अव्यवस्थाओं की भरमार
काशीराम कॉलोनी की सुनीता के पति पप्पू फेरी कर सामान बेचते हैं। वह बताती हैं कि “मेरे पति कई बार अपना काम बंद कर कॉलोनी की समस्याओं को लेकर अधिकारियों के यहां जाते हैं। इसके बाद जो कर्मचारी साफ-सफाई के लिए आते हैं, तो पैसे मंगाते हैं।
यहां सबसे ज्यादा गंदगी हैं। गली से लेकर आवास की दीवार तक पानी जमकर सड़ रहा है। कई बार अधिकारियों को इसके बारे में सूचना दी गई लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है। जब से मायावती दीदी की सरकार गई है, उसके बाद से यहां साफ सफाई नहीं हो रही है। यहां दलित-अति पिछड़ी जाति के लोग हैं, इस वजह से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।”
कांशीराम आवासीय कॉलोनी की अव्यवस्था के सम्बन्ध में मुगलसराय ईओ से जवाब लेने का प्रयास किया गया तो फोन नहीं लगा।
(पवन कुमार मौर्य चंदौली-बनारस के पत्रकार हैं। मुगलसराय से उनकी ग्राउंड रिपोर्ट।)
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