ग्राउंड रिपोर्ट: पीएम मोदी की काशी में विकास की भेंट चढ़ी सफाईकर्मियों की बस्ती, ठंड में सैकड़ों हुए बेघर

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र स्मार्ट सिटी वाराणसी में विकास के नाम पर एक और दलित बस्ती को ढहा दिया गया। तकरीबन दो दशक से टिन शेड और झोपड़ी में रह रहे लोग कड़ाके की ठंड में एकाएक बेघर हो गए। घर के गिराए जाने से लगभग 200 से अधिक लोगों को विपरित परिस्थितियों व कड़ाके की ठंड में दिन-रात सड़क के किनारे गुजारनी पड़ रही है।

वाराणसी नगर निगम की इस कार्रवाई से बच्चे, नवजात, महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार नागरिकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इनका कुसूर महज इतना है कि ये दलित-वंचित हैं और वाल्मीकि (हेला), हरिजन (चमार), धोबी और अन्य अनुसूचित जाति में शामिल व साफ-सफाई से जुड़े लोग हैं।

आसमान छूती महंगाई और आधुनिक होते शहर-समाज में ये लोग बड़े ही कठिन परिश्रम से अपने व परिवार को जिलाये हुए थे।

वाराणसी नगर निगम पर प्रदर्शन करती महिलाएं

पीड़ितों ने बताया कि “यह मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन आनन-फानन में नोटिस चस्पा कर हमारे घरों को ढहाकर सैकड़ों लोगों को सड़क पर ला दिया है।

हमें बसने के लिए गंगा के पूर्वी छोर पर राजघाट पुल के पार डोमरी में जमीन दी जा रही है, लेकिन वह तो बाढ़ में हर साल डूब जाती है। ऐसे में अपने बाल-बच्चों को लेकर वहां मरने जाए ?”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विगत माह बुलडोजर कार्रवाई पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मनमानी कार्रवाई पर ब्रेक लगा दिया। सर्वोच्च अदालत ने तय कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमानी बुलडोजर कार्रवाई को कानून विहीनता और अराजकता करार दिया है। आगे कहा कि हमारे संविधान में इस निरंकुश और मनमानी कार्रवाई का कोई स्थान नहीं है।

बस्ती में पहुंचे बुलडोजर का रास्ता रोकती महिलाएं

पूनम तकरीबन एक दशक से कज्जाकपुरा की सफाईबस्ती में रहती आ रही थीं। इनके चार बच्चे हैं। बेटा छह हजार प्रतिमाह की नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण करता है। पूनम ने बताया कि “बड़ी मुश्किल से इतने कम पैसे में गुजारा होता है।

परिवार में एक व्यक्ति कमाने वाला है। मैं बीमार हूं, दवा-इलाज चल रहा है। लेकिन, कहीं कोई सुनवाई नहीं। नगर निगम और प्रशासन ने हमारा घर उजाड़ दिया। अब हमलोग कहां जाएंगे? कुछ समझ नहीं आ रहा। इस सर्दी में छोटे-छोटे बच्चों को कितनी तकलीफ होगी ? क्या खाएंगे ? कैसे रहेंगे ? यही सोचकर भूख-प्यास भी नहीं लग रही है।”

बहरहाल यह समस्या सिर्फ पूनम की अकेली नहीं है। बुलडोजर कार्रवाई की जद में आये दर्जनों परिवार की महिलाएं अपने बच्चों को लेकर चिंतित और दुःख में हैं।

कज्जाकपुरा की सफाईबस्ती में रहने वाली पूनम

सफाई का काम करने वाले शशि का कहना था कि “योगी-मोदी ने आवास नहीं दिया। मेरा परिवार साल 2005 से रह रहा है। हमलोग वोट देते हैं। पानी-बिजली बिल देते हैं। अब नोटिस चस्पा कर घर तोड़ने की बात कहने लगे। हद तो तब हो गई, जब आनन-फानन में जबरदस्ती घर तोड़ दिया गया। ठण्ड में कहां जाएंगे ?”

शशि

शशि आगे बताती हैं “बनारस के कोनिया, चौकाघाट, राजघाट, कज्जाकपुरा व अन्य इलाकों में किराए का कमरा लेने के लिए हमलोग गए तो मकान मालिक पहले जाति पूछ रहे हैं। जब हमलोग अपनी जाति और काम के बारे में जानकारी दे रहे हैं तो, वे लोग कहते हैं, निकल जाओ यहां से, झाड़ू वालों के लिए रूम नहीं है।

आप ही बताइये हमलोग इंसान नहीं है! दुनिया कहां से कहां चली गई। इनके दिमाग में अब भी जाति की गन्दगी भरी हुई है। अरे, रूम नहीं देना है, मत दो, कम से कम हमारे काम और जाति का अपमान तो मत करो।”

रीता देवी

स्थानीय अस्पताल में चादर धोने का काम करने वाली रीता देवी की चार पीढ़ियां यहां रहते हुए गुजर गई और अब पांचवीं पीढ़ी चल रही है। रीता बताती हैं “महीने के ग्यारह हजार रुपए मिलते हैं। इतने पैसे में पूरे परिवार का पालन-पोषण करना होता है।

दाल, चावल, मसाला, गेहूं, तेल समेत सब कुछ खरीद कर खाना पड़ता है। इस महंगाई में कुछ बचता नहीं है। खून-पसीने की कमाई से ईंट-सीमेंट का घर बनाया था, जिसे आंखों के सामने तोड़ दिया गया।

हमलोग कहां जाएंगे ? अभी बेघर हैं। कहीं चले गए तो वहां अपनी रोटी-रोजी कैसे चला पाएंगे? इसकी चिंता सरकार को और अधिकारियों को क्यों नहीं है। हमलोगों ने इसी दिन को देखने के लिए अपने जनप्रतिनिधियों को चुना है ? जो वोट लेने के लिए हाथ-पैर पड़ते हैं, दुःख-परेशानी में झांकने तक नहीं आते !”

राजकुमार भारती वर्ष 2004 से सफाईकर्मियों की बस्ती में रहते आ रहे थे। उनको भी नोटिस मिला और घर को बुलडोजर से गिराया जाना है। राजकुमार और उनकी पत्नी सदमे में और बुझे मन से अपने झोपड़ी से जरूरी सामान निकालने में जुटे हुए थे।

भाजपा नेता राजकुमार वाल्मीकि

राजकुमार भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित मोर्चा के मण्डल अध्यक्ष हैं। इस बात का जिक्र करने पर वह भड़क जाते हैं और कहते हैं कि ‘हमें लगा था कि मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाकर भला हो जाएगा, इसीलिए हम पार्टी से जुड़े और अपने सभी लोगों को पार्टी से जोड़ा, पर आज खुद को ठगा हुआ पा रहा हूं।

समझ में नहीं आ रहा है कि अपने लोगों को क्या जवाब दूं?’ इतना कहते-कहते वह भावुक हो जाते हैं और प्रधानमंत्री से अपील करने लगते हैं और कहते हैं कि ‘प्रधानमंत्रीजी हम कोई मुहाजिर नहीं हैं, हम भी इस देश के नागरिक हैं। हमें भी वह हक मिलना चाहिए, जो देश के दूसरों लोगों को मिलने की बात कही जा रही है।’

राजकुमार बताते हैं “वर्ष 2004 में हमें लिखित तौर पर यहां बसाया गया था। अब यहां से उजाड़ा जा रहा है। कागज होने के बाद भी अधिकारी कह रहे हैं कि आवास व अन्य सुविधाएं नहीं मिलेगी।

अब हम लोग किसपर विश्वास करें! मैं भारतीय जनता पार्टी का अटल जी के ज़माने से कार्यकर्ता हूं। हमलोगों ने स्थानीय विधायक नीलकंठ तिवारी और संसदीय उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को वोट देकर जिताया है। आज वही बीजेपी की सरकार सैकड़ों मजदूर-दलितों को बेघर कर रही है, जबकि इसका मामला कोर्ट में चल रहा है।”

नोटिस दिखाता पीड़ित

“हमारी मांग है कि उचित व वैज्ञानिक पुनर्वास की व्यवस्था कर हमें यहां से हटाइये, लेकिन, गरीबों पर जबरदस्ती की जा रही है। बीजेपी दलितों का इस्तेमाल करना जानती है और हेय (कमतर) समझती है। ये लोग ऐसे ही करते रहे तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2027 में दलित समाज सबक सिखाएगा।

राजकुमार कहते हैं कि ‘कभी सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हमें सड़क से उजाड़ा गया था तबके आयुक्त साहब ने रहमदिली से हमें परिसर में जगह देकर बसाया था और इसका बकायदे उन्होंने लिखित आदेश भी जारी किया था, तब से किसी सरकार ने ना हमें इससे अच्छी जगह देने के बारे में सोचा ना हमें कोई सरकारी आवास ही दिया गया।

जो नहीं मिला, उससे ज्यादा दुख इस बात का है कि जो है भी उसे भी अब हमसे छीना जा रहा है। सड़क से उजड़े थे, तो बस्ती में बसे थे अब बस्ती से उजड़कर कहां जाएंगे? यह चिंता सिर्फ राजकुमार की ही नहीं बल्कि पूरी बस्ती की है।’

ठंडी में मासूमों पर आफत

कज्जाकपुरा-आईडीएच की दलित बस्ती को हटाकर वहां एक ‘यूनिटी मॉल’ बनाने की योजना है। बलिया से लेकर भदोही की कालीन और बनारस की साड़ियां इस मॉल में बिक्री के लिए लाई जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार ने बीते 12 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के बनारस, लखनऊ और आगरा में ‘यूनिटी मॉल’ बनाने का ऐलान किया था। ‘यूनिटी मॉल’ में विभिन्न राज्यों द्वारा अपने ओडीओपी, जीआई और हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री की व्यवस्था होगी।

नगर आयुक्त को ज्ञापन देते पीडित

पीड़ितों ने वाराणसी नगर निगम के आयुक्त को ज्ञापन देकर फरियाद की गुहार लगायी है। ज्ञापन में कहा है कि “कज्जाकपुरा सफाई बस्ती को प्रशासन द्वारा उजाड़े जाने के संदर्भ में नोटिस दिए जाने एवं माननीय उच्च न्यालय में लंबित मामले (मुकदमा न० रिक/142704/2023) को बनारस प्रशासन द्वारा अवहेलना किया गया है।”

ज्ञापन में उल्लेख है कि “सभी प्रार्थीगण आई० डी० एच० कज्जाकपुरा, वार्ड नम्बर 15 नगर निगम आदमपुर जोन, पोस्ट-राजघाट थाना आदमपुर, तहसील सदर, जिला-वाराणसी के स्थाई निवासी है। हम सफाईकर्मियों के लगभग 45 घर और 200 के आस पास हमारी संख्या है, हम लोग अनुसूचित जाति के वाल्मीकि (हेला) समुदाय के अन्तर्गत आते है।

हम सभी को सन् 2004 में रोड चौड़ीकरण के समय रोड से अन्दर खाली पड़ी जमीन पर नगर आयुक्त द्वारा यह आश्वासन देकर बसाया गया था की जब तक आप लोगों को कोई नया जगह, नया घर नहीं दिया जाएगा तब तक आप लोगों को इस जगह से नहीं हटाया जायेगा।”

हम लोग इसी आश्वासन को लेकर कई वर्षों से इस जमीन पर अपना घर एवं टूटी-फूटी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। हम सभी लोगों को नगर निगम द्वारा नोटिस 16.11.2023 को देकर हटाने का आदेश 23.11.2023 को दिये थे कि आप लोग यह जगह खाली कर दें वरना बुलडोजर लगाकर इस बस्ती को उजाड़ दिया जायेगा।

इस मामले को लेकर हम लोग हाईकोर्ट इलाहाबाद गये थे और कोर्ट में मुकदमा न० रिक/142704/2023 मामला अभी चल रहा है। नगर निगम 13.12.2024 से लगातार घर खाली कराने के लिए बार-बार नोटिस चस्पा कर रहा है। आप इस जगह को खाली कर दें अन्यथा कभी भी आप लोगों का घर गिरा दिया जायेगा।

इसके बाद हम सभी बस्ती बाले डरे-सहमे हैं कि हम लोगों को कभी भी घर से बेघर कर दिया जायेगा और इस ठंड के समय हम अपने बाल बच्चों को लेकर कहां गुजर-बसर करेंगे और कैसे सफाई करने जाएंगे।

अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि जो नगर निगम द्वारा उजाड़े जाने के लिए बार-बार नोटिस आ रही है, उसे तत्काल रोके जाने का आदेश पारित करें।

उपर्युक्त संदर्भ में हमारी प्रमुख मांगे हैं

1- रिहेबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट 2005 के नियमों के तहत आवास खाली कराने से पूर्व हमें कहीं स्थाई आवास मुहैया करवाया जाए।

2- जबतक मामला उच्च न्यायालय में है प्रशासन नोटिस चस्पा कर के रोज़-रोज हमारा मानसिक प्रताड़ना बंद करे।

3- प्रशासन हमें 6 किलोमीटर दूर खाली ज़मीन पर भेजना चाहती है, जो हमें स्वीकार नहीं है। पीड़ितों को पक्का स्थाई आवास आवंटन किया जाए।

4- एसटी-एसटी सब प्लान के बजट की राशि से सभी सफाई कर्मियों को स्थाई आवास की व्यवस्था की जाए।

मौके पर मौजूद राजस्व विभाग के अधिकारी शोभनाथ यादव ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि उच्चाधिकारियों से संपर्क करें।

(पवन कुमार मौर्य स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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