ग्राउंड स्टोरी: नौजवानों के भविष्य के साथ बीपीएससी कर रहा है खिलवाड़

Estimated read time 1 min read

पटना। “इस व्यवस्था से भरोसा क्यों नहीं उठेगा? अगर इसको अभ्यर्थियों के प्रति संवेदनशील होना कहते हैं तो फिर ज्यादती क्या होती हैं! जो लोग कड़कड़ाती ठंड में अपनी देह नापे बैठे हैं, उनकी मजबूरियां कैसी होंगी! कभी कोई ‘सर’ तो कभी ‘जी’ माहौल लूट ले जाते हैं और ये नौजवान लुटते-पिटते रहते हैं, क्या दुर्भाग्य है।” पुलिस की लाठी का चोट अपने शरीर पर दिखाते हुए राणा बताते है। 

“बिहार का छात्र आंदोलन इंदिरा गांधी को चलता कर गया था। जेपी क्रांति की चिंगारी वहीं भड़की थी। साल दर साल ठगे जाने, परीक्षा माफिया के हाथों लूटे जाने और बार-बार नाउम्मीद होने, जमीन के नीचे धधकते कोयला सा, हालात बना दिए हैं। नौजवानों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ किसी भी सरकार के लिए खतरनाक है” यह आवाज बिहार के छात्र पल्लव की है। 

दिसंबर महीने में बीपीएससी यानी बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षार्थियों पर तीन बार लाठीचार्ज हो चुका है। रविवार 29 दिसंबर को भी राजधानी पटना में छात्र और सरकार आमने-सामने थी। दरअसल, बीते 18 दिसंबर से सभी 912 केंद्रों की दोबारा प्रारंभिक परीक्षा की मांग को लेकर बीपीएससी परीक्षार्थी पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर आंदोलन कर रहे हैं। इसी सिलसिले में 29 सितंबर यानी रविवार को जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के नेतृत्व में गांधी मैदान में छात्र जुटने लगे थे। 

जिसके बाद गेट नंबर 5 को छोड़कर गांधी मैदान के सारे दरवाजे बंद कर दिये गये। शाम 7 बजे से कुछ देर पहले प्रशासन ने छात्रों के प्रतिनिधियों को मुख्य सचिव से मिलने का ऑफर दिया। इसके बाद प्रशांत किशोर ने कहा आपको मिल लेना चाहिए और वे वापस चले गए।

फिर भी छात्र प्रदर्शन करते रहे। 7.30 बजे पुलिस ने पहले छात्रों को भगाना शुरू किया। कुछ देर बाद लाठीचार्ज किया और फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। कुछ छात्रों को पकड़कर पुलिस अपने साथ ले गई। पुलिस ने छात्र और जनसुराज नेता समेत 21 लोगों को नामजद और 600 बेनामी लोगों के खिलाफ अनाधिकृति रूप से भीड़ इकट्ठा करने, लोगों को उकसाने और विधि व्यवस्था में समस्या उत्पन्न करने की प्राथमिकी दर्ज की है।

ये सब उस राज्य में हो रहा जिसको आंदोलन और अहिंसा की जननी माना जाता

इस घटना के बाद कई राजनीतिक पार्टी प्रशांत किशोर को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस सबके बावजूद सबसे बड़ा सवाल सरकार पर उठ रहा है। युवा हल्ला बोल के संस्थापक और कांग्रेस नेता अनुपम युवा के मुद्दे पर हमेशा अग्रिम पंक्ति में नजर आते है।

वह बताते हैं कि, “कभी पटना के जिलाधिकारी अमर्यादित ढंग से छात्र को थप्पड़ जड़ देते हैं, कभी हाथ जोड़ रहे युवाओं पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया जाता है तो कभी शांतिपूर्ण मार्च पर वाटर कैनन और लाठी डंडे बरसाया जाता है। BPSC का यह मामला डबल इंजन सरकार की बर्बरता और संवेदनहीनता का ताजा उदाहरण बन गया है। दुख की बात है कि ये सब उस राज्य में हो रहा जिसको आंदोलन और अहिंसा की जननी माना जाता है, जो बुद्ध महावीर और गांधी की कर्मभूमि रही है। मैंने इस विषय पर राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।”

भइया क्या स्टूडेंट लाठियां खाने के लिए ही बना है?

इस सभी विषयों पर हमने कई छात्रों से इस विषय को लेकर बात की। पटना के संजय सिंह बताते हैं कि “13 दिसंबर को बीपीएससी प्रीलिम्स की परीक्षा आयोजित हुई थी। इस दौरान बापू परीक्षा सभागार में पेपर देरी से पहुंचने के बाद हंगामा हुआ था, जिसके बाद बीपीएससी ने बापू परीक्षा सभागार में बैठे अभ्यर्थियों का एग्जाम दोबारा कराने की बात कही थी”।

“अगर कुछ अभ्यर्थियों का एग्जाम दोबारा कराया गया तो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया लागू होगी, इसलिए यह परीक्षा दोबारा सभी के लिए कराई जानी चाहिए। भइया क्या स्टूडेंट लाठियां खाने के लिए ही बना है?”

सीतामढ़ी के रहने वाले विशाल बताते हैं कि बीपीएससी अभ्यर्थियों पर पुलिस का जानलेवा लाठीचार्ज हुआ है। कई दिनों से अनशन पर बैठे युवाओं के साथ जानवरों जैसा व्यवहार, निरंकुश सरकार की तानाशाही का उदाहरण है।

छात्र आंदोलन से उपजे नीतीश जी आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। छात्रों की मांगों का समाधान करो, वरना यही युवा आपको सत्ता से बाहर करेंगे। देश लाठी से नहीं संवाद और संविधान से चलेगा।”

पेशे से शिक्षक सोनू (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि “ऐसी ही एक गलती 2015 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने की थी। जब पेपर लीक होने की वजह से पहली पाली का पेपर रद्द कर दिया गया किंतु दूसरी पाली का नहीं किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने छात्रों के मांग को दरकिनार कर दिया था।

फिर परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों ने 2017 के चुनाव में ऐसी उनकी ऐसी सुध ली कि वे आज तक उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल है। ये युवा है जो सिर पर बैठाना भी जानते है और एक झटके में उतारना भी…नीतीश जी को अखिलेश जी से सबक लेना चाहिए।”

युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से निम्नलिखित सवाल पूछा है। 

• इतने विरोध के बावजूद बार-बार सरकार ऐसी स्थिति क्यों बना रही है जिसमें नॉर्मलाइजेशन करना पड़े?

• क्या सिर्फ एक केंद्र पर दुबारा परीक्षा इसलिए करवाना चाहती है सरकार कि नया प्रश्नपत्र बने और नॉर्मलाइजेशन का बहाना मिल जाए?

• घूम फिर कर आप लोग एक ऐसी प्रक्रिया क्यों लाना चाहते हैं जिसमें पारदर्शिता की घोर कमी के कारण देशभर के छात्रों में गहरा अविश्वास है?

• आखिर वो कौन से नेता, अफसर और कोचिंग संचालक हैं जो बेईमानी और पिछले दरवाजे से अपने लोगों को DSP, SDO बनाना चाहते हैं?

• आखिर किस प्रावधान के अंतर्गत बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा से पहले प्राइवेट कोचिंग वालों और यूट्यूबर्स के साथ चर्चा की थी?

• मामला जब BPSC के परीक्षार्थियों का है तो इसमें निजी कोचिंग की दुकान चलाने वालों को आयोग ने पार्टी क्यों बनाया?

• क्या पर्दे के पीछे से भर्ती में भ्रष्टाचार का कोई बड़ा खेल चल रहा है गरीब मेहनती छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करके उन्हें धोखा देने का?

(बिहार से राहुल की रिपोर्ट)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author