Friday, March 29, 2024

बिलासपुर में फँसे हैं विभिन्न राज्यों के 100 से ज़्यादा मजदूर

रायपुर। नागपुर और अलग-अलग फैक्ट्रियों में काम करने वाले 100 से भी ज़्यादा गरीब मजदूर लोग कल सुबह से बिलासपुर रेलवे स्टेशन में फंसे हुए हैं। यातायात के सभी साधन बन्द हैं इसलिए ये लोग अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। स्टेशन पर फंसे असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा के मजदूर भी फंसे हुए थे लेकिन जिला प्रशासन ने दो अलग कैम्पों में उन्हें रखा है और उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।

बता दे कि “कोरोना” वायरस के चलते पूरे देश में लॉक डाउन है। ऐसे हालात में रोजी-रोटी के तलाश में देश के अन्य राज्यों में गए मजदूर अपने-अपने घरों की ओर लौट रहें हैं। देश में ट्रेन सेवा रद्द हो जाने के कारण जो जहां है वहीं फंस गया है। ऐसी ही स्थिति कल बिलासपुर में निर्मित हुई जब रात में एर्नाकुलम एक्सप्रेस से लगभग 250 मजदूर बिलासपुर पहुंचे, इनमें 147 मजदूर झारखंड के थे, बाकी मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के थे। अपने घर लौटने के लिए इन मजदूरों के पास ना कोई साधन था और ना ही भोजन।

मजदूरों के फंसे होने की जानकारी सीएम भूपेश बघेल को मिलते ही सीएम बघेल ने बिलासपुर कलेक्टर डाॅ. संजय अलंग को इन मजदूरों के खाने-पीने तथा उनको अपने घरों तक पहुंचाने के निर्देश दिए। सोमवार की रात से फंसे झारखंड के 147 मजदूरों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश के बाद जिला-प्रशासन और जोनल रेल प्रबंधन ने दो बसों में उनके गृह राज्य के लिए मंगलवार की शाम को पूरे चिकित्सकीय परीक्षण के बाद रवाना किया लेकिन गया लेकिन अभी भी ओडिशा, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के करीब 141 मजदूरों को जिला प्रशासन ने अपनी देख-रेख में दो अन्य स्थानों में ठहराया गया है। 

सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला ने जानकारी दी है कि झारखंड के मुख्यमंत्री जी ने यहां के मुख्यमंत्री महोदय से बात करके, मामला संज्ञान में लिया था, तो झारखंड के मजदूर निकल पाए, पर अभी भी लगभग 100 के आस-पास मजदूर फंसे हुए हैं। पश्चिम बंगाल से 50, आसाम से 8, बिहार से 17, मध्यप्रदेश से 4 , नेपाल से 1 उत्तर प्रदेश से लगभग 3 थे।

बिलासपुर के त्रिवेणी भवन में इनकी व्यवस्था हो गयी है फिलहाल। लगातार हाल खबर, खाना-पानी आदि का इंतजाम किया जा रहा है। अभी एक मजदूर ने फोन करके बताया कि रात भर सो नहीं पाए हैं, मच्छर बहुत थे, हमको भी घर पहुँचवा दो दीदी। राज्य सरकार भी अगर संज्ञान में लेती , तो शायद ये काम और भी तेज़ी से हो जाता। फिलहाल तो कोई विकल्प नहीं है इनका घर वापस जाने का, सरकार से बातचीत हो रही है कि आखिर इनको कैसे भेजा जा सके।।

(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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