Friday, April 19, 2024

मोदी सरकार ने नहीं तो किसने कराई पेगासस जासूसी, अमेरिका, चीन या किसी भूत ने?

मोदी सरकार ने लोकसभा में दावा किया है कि संसद के मानसून सत्र से पहले जासूसी से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है और संसद के सत्र से ठीक एक दिन पहले ये रिपोर्ट आना कोई संयोग नहीं है। यह पूरी तरह निराधार है। तो सरकार को यह भी बताना चाहिए राहुल गांधी की जासूसी अंकल सैम यानि अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प, प्रशांत किशोर की जासूसी पुतिन तथा पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक ल्वासा की जासूसी चीन ने करायी होगी। इसी तरह अन्य लोगों के जासूसी उनकी पत्नियों ने या किसी अंतर्राष्ट्रीय साजिश के तहत चंगेज खान या तैमूर लंग के भूत ने करायी होगी। इस सरकार ने हर मुद्दे पर गलतबयानी करके लोकतंत्र और संविधान का मजाक बनाकर रख दिया है।

आरोप है कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्‍पाईवेयर के जरिये इन लोगों की जासूसी कराई गई। दुनियाभर के 17 मीडिया संस्‍थानों के कंसोर्टियम ने रविवार को इस बारे में रिपोर्ट छापी थी। पेगासस फोन हैकिंग विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। मामले में फिर एक बड़ा दावा हुआ है। इसमें कहा गया है कि फोन हैकर्स के निशाने पर राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, अभिषेक बनर्जी, रंजन गोगई पर आरोप लगाने वाली महिला और अन्य लोग, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक ल्वासा के साथ केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम थे।

पेगासस सॉफ़्टवेयर से जासूसी के निशाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी थे। फ्रांसीसी ग़ैरसरकारी संगठन फ़ोरबिडेन स्टोरीज़ ने जो लीक डाटाबेस हासिल किया है, उसमें गांधी परिवार के इस सदस्य का फ़ोन नंबर भी था। इस सूची में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के पाँच मित्र भी थे, जिनका राजनीति से कोई सरोकार नहीं था, वे बस राहुल के निजी दोस्त थे। ‘द वायर’ ने यह दावा किया है कि पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ के ग्राहकों के डाटाबेस में राहुल का नंबर था। लेकिन उस नंबर की फोरेंसिक जाँच नहीं कराई गई है। राहुल गांधी फिलहाल उस फ़ोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, वे उसका प्रयोग 2018-19 में करते थे।

राहुल गांधी को संभावित जासूसी की सूची में उस समय डाला गया था जब 2019 का आम चुनाव होने को था, राहुल कांग्रेस अध्यक्ष थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर लगातार हमले कर रहे थे।

राहुल गांधी के अलावा अलंकार सवाई और सचिन राव के भी नाम संभावित जासूसी की सूची में हैं। सवाई राहुल गांधी के निजी सचिव के रूप में काम करते हैं और उनके तमाम ई-मेल भेजने, फ़ोन करने या रिसीव करने या चिट्ठी या मैसेज भेजने का काम वे ही करते हैं। राव कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य हैं और उनकी ज़िम्मेदारी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना है। सवाई के फ़ोन की चोरी 2019 में हो गई और राव का फ़ोन ‘फ्राइड’ हो गया, यानी उससे अब फ़ोन नहीं किया जा सकता है।

पेगासस से जिन लोगों की जासूसी की जानी थी, उस सूची में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का नाम भी था। प्रशांत किशोर ने एक के बाद कई चुनावों में विपक्षी दलों के लिए काम किया था, उनके लिए रणनीति बनाई थी, योजना बनाई थी, पार्टी को सलाह दी थी। कुछ दलों को कामयाबी भी मिली। लेकिन प्रशांत किशोर ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई थी, उनकी कोशिशों के बाद ही बीजेपी पहली बार स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई थी।

तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का भी फ़ोन नंबर भी इस सूची में था। लवासा ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के ख़िलाफ़ शिकायतों पर चुनाव आयोग के फ़ैसले पर असहमतिपूर्ण जताई थी।

अप्रैल 2019 में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारी से संबंधित तीन फोन नंबर इज़राइल स्थित एनएसओ समूह की ग्राहक- एक अज्ञात भारतीय एजेंसी द्वारा निगरानी के उद्देश्य से संभावित हैक के लिए लक्ष्य के रूप में चुने गए थे। द वायर इस तथ्य की पुष्टि कर सकता है।

अपनी पहचान जाहिर करने की अनिच्छुक सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि साल 2018 में सीजेआई गोगोई द्वारा उनका यौन उत्पीड़न किया था और इस घटना के कुछ हफ़्तों बाद ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। अप्रैल 2019 में उन्होंने एक हलफनामे में अपना बयान दर्ज कर सर्वोच्च अदालत के 22 जजों को भेजा था। फ्रांस की मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज़ द्वारा लीक हुए फोन नंबरों की सूची का विश्लेषण बताता है कि इसके कुछ ही दिनों बाद उन्हें संभावित हैकिंग के निशाने के तौर पर चुना गया था। इन लीक रिकॉर्ड्स के अनुसार, जिस हफ्ते उनके सीजेआई पर लगाए गए आरोपों की खबर आई थी, उसी सप्ताह उनके पति और दो देवरों से जुड़े आठ नंबरों को भी टारगेट के तौर पर चुना गया।

उस महिला का इस सूची में होना और उन्हें चुने जाने का समय यह संकेत देते हैं कि वे उस अज्ञात भारतीय एजेंसी की दिलचस्पी के दायरे में इसलिए आए क्योंकि उन्होंने तत्कालीन सीजेआई पर सार्वजनिक तौर पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका चुना जाना उस बिंदु को भी विस्तार देता है, जिसकी पैरवी निजता के अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता लंबे समय से करते आए हैं- वह यह कि सर्विलांस के अनाधिकृत और अवैध साधनों का उपयोग उन स्थितियों में लगातार हो रहा है, जहां दूर-दूर तक किसी तरह की ‘इमरजेंसी’ या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई बहाना भी नहीं है।

जब सुप्रीमकोर्ट की आंतरिक समिति ने गोगोई को क्लीन चित दे दी उसके बाद जून 2019 में महिला के पति और देवर को दिल्ली पुलिस ने बहाल कर दिया था। इसके बाद जनवरी 2020 में इन महिला कर्मचारी की भी नौकरी बहाल कर दी गई थी। शिकायतकर्ता को जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में वापस नौकरी की पेशकश भी की गई थी, लेकिन उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया। यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद नवंबर 2019 अपने पद से रिटायर होने के बाद जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया था, जिस कदम की काफी आलोचना हुई थी।

गौरतलब है कि एनएसओ ग्रुप को पेगासस स्पायवेयर के लिए जाना जाता है, जिसका दावा है कि वह इसे केवल ‘प्रमाणित सरकारों’ को बेचता है। हालांकि उसने यह नहीं बताया है कि अपने इस विवादित उत्पाद को उसने किस सरकार को बेचा है। मोदी सरकार ने भी इस बात पर चुप्पी साध रखी है कि उसने पेगासस स्पायवेयर एनएसओ ग्रुप से ख़रीदा है अथवा नहीं। 

दुनियाभर के 17 मीडिया संस्‍थानों के कंसोर्टियम ने रविवार को एक रिपोर्ट छापी थी। इसके बाद हलचल मच गई थी। दावा किया गया है कि भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्‍यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्‍य ऐक्टिविस्‍ट्स की जासूसी कराई। इसके लिए इजरायल के एनएसओ ग्रुप के ‘पेगासस’ स्‍पाईवेयर का इस्‍तेमाल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की गई।

इजरायल की कंपनी एनएसओ का दावा है कि उन्होंने पेगासस स्पाईवेयर को आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बनाया है। लेकिन कई मीडिया संगठनों की साझा पड़ताल में यह बात सामने आई है कि इसका भारत सहित 36 देशों में बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरी लिस्ट सामने आने पर से दुनिया में खलबली मच सकती है।

इस पड़ताल में करीब 50 हजार से ज्यादा लोगों के नंबरों की लिस्ट सामने आई है। ऐसा कहा जा रहा है कि साल 2016 से ही इन नंबरों की निगरानी एनएसओ के क्लाइंट द्वारा की जा रही है। हालांकि लिस्ट में नंबर की मौजूदगी से यह नहीं पता चल जाता है कि इनकी कोई डिवाइस पेगासस से हैक थी या नहीं। फोरेंसिक एक्सपर्ट ने लिस्ट में नजर आ रहे नंबरों में से कुछ नंबरों की जांच की तो हैरान करने वाले नतीजे आए, ज्यादातर नंबर पेगासस स्पाईवेयर के शिकार हो चुके थे।

अंतराष्ट्रीय मीडिया संगठनों का दावा है कि आने वाले दिनों में वह उस लिस्ट को उजागर करेंगी जिसमें दुनिया के सैकड़ों बिजनेस एग्जीक्यूटिव, दुनिया भर की धार्मिक हस्तियां, शिक्षाविद, एनजीओ कर्मी, सरकारी अधिकारी शामिल हैं, इसके अलावा कुछ देशों के कैबिनेट मंत्री, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक शामिल हैं। लिस्ट में एक देश के शासकों के परिवार वालों का नाम भी शामिल हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि शासक ने खुद ही अपने परिवार वालों के मोबाइल पर निगाह रखने के लिए खुफिया एजेंसी को कहा था। इसमें भारत के कई लोग शामिल हैं।


(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं)

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