इफ्को ने कराया नैनो फर्टिलाइजर का पेटेंट, कृषि सुधार में मिलेगी बड़ी मदद

Estimated read time 1 min read

इफ्को अप्रैल 2021 से, गुजरात स्थित अपने कलोल संयंत्र से और अक्तूबर से आंवला बरेली और फूलपुर प्रयागराज संयंत्र से नैनो नाइट्रोजन और नैनो बोरान का उत्पादन शुरू कर देगा। इससे किसानों की फसल लागत में कमी आएगी। इससे केंद्र सरकार को 28 हजार करोड़ से 30 हजार करोड़ की भारी बचत होगी और जमीन को रसायनिक खादों से हो रही क्षति को रोक कर उन्हें बंजर बनने से रोका जा सकेगा। यह जानकारी देते हुए इफ्को के प्रबंध निदेशक डॉक्टर उदय शंकर अवस्थी ने जनचौक को बताया कि इफ्को ने नैनो नाइट्रोजन का पेटेंट करा लिया है और विश्व में यह तकनीक केवल इफ्को के पास है। इफ्को डीएपी उर्वरक के नैनो वर्जन पर भी शोध कर रही है और जल्दी ही इसमें भी सफलता मिलेगी।

डॉक्टर अवस्थी ने दुनिया में बढ़ते हुए ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से आगाह करते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी समस्या पूरे विश्व के लिए बन गई है, जिस का एक प्रमुख कारण वैज्ञानिकों ने नाइट्रोजन का अधिक से अधिक प्रयोग होना बताया है, इसलिए यूरिया का प्रयोग कम से कम करने के लिए विश्व के अनेक देशों में कदम उठाए गए हैं। चीन ने अपने देश में किसानों को यूरिया की कम खपत के लिए कुछ प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। अमेरिका और यूरोप के अनेक देश नाइट्रोजन की खपत कम करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इफ्को संस्था भी यूरिया के प्रयोग में कमी करने के लिए एक बहुत बड़ी महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है। उसे लगभग सफलता भी मिल गई है। रमेश कालिया के नेतृत्व में नैनो नाइट्रोजन का आविष्कार किया गया है। इफ्को नैनो नाइट्रोजन 500 मिलीलीटर, एक बैग यूरिया को रिप्लेस करेगा। इस नैनो यूरिया के छिड़काव से किसानों को बहुत बड़ा लाभ होने के अलावा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिलेगी। यह एक बोरी यूरिया से 10% सस्ते दर पर उपलब्ध होगी।

ग्लोबल वार्मिंग के खतरों के बारे में उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि उसके कारण ही कोरोना वायरस और अनेक खतरनाक वायरस संबंधी बीमारियां जानलेवा साबित हो रही हैं और आगे भी अगर वातावरण नहीं सुधरा तो यह मानव जीवन के लिए बहुत खतरनाक साबित होगा, जिस को ध्यान में रखते हुए हमने नैनो फर्टिलाइजर काफी दिनों और मेहनत के बाद खोज निकाला। इसके लिए हमने किसानों के खेतों में तथा अन्य जगहों  में 9000 परीक्षण किए और हर जगह इसका लाभ नजर आया। भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में भी टेस्ट करने के बाद इसे पास किया गया और उनकी 20 से 25 शर्तों को भी हमने पालन करते हुए इसको बाजार में ले आने के लिए कंट्रोल ऑर्डर की अनुमति प्राप्त की।

उन्होंने कहा कि ‌इसके लिए हमने नैनो फर्टिलाइजर के तीन प्लांट लगाने का इस वर्ष निर्णय कर लिया है, जो कलोल, आंवला और फूलपुर में लगेगा। एक वर्ष बाद तीन प्लांट और लगाए जाएंगे। नैनो फर्टिलाइजर लगने से जहां सरकार और किसानों को बहुत बड़ा लाभ होगा, वहीं ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते हुए खतरे पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने और वातावरण को शुद्ध करने के लिए हमने नीम की सात किस्म की वैरायटी पर रिसर्च किया है, जिसकी भारत सरकार से अनुमति लेने के लिए भेज दिया है।

आशा है कि उसमें दो या तीन किस्म की प्रजाति उत्पन्न करने के लिए अनुमति मिल जाएगी। इस नीम की उन्नत प्रजाति से हमें एक तरफ निमोली का फायदा होगा, दूसरे नीम के पेड़ की गुणवत्ता से वातावरण को शुद्ध ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड को कम करके शुद्ध ऑक्सीजन का वातावरण वायुमंडल को सुरक्षित करने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया कि नैनो फर्टिलाइजर का प्रयोग अभी 50 फीसद तक करने के लिए किसानों से हमारी संस्था ने अपील की है और 50 फीसद यूरिया का प्रयोग करने के लिए सुझाव है, लेकिन यदि किसान चाहेंगे तो वह 100 फीसद भी अपने खेतों में इसका उपयोग कर सकते हैं। नैनो फर्टिलाइजर की विशेषता को बताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि 12 घंटे में पौधों द्वारा यह सोख लिया जाता है। 90% नाइट्रोजन को वह समय-समय पर पौधों को खुराक देता रहता है और वातावरण को कोई नुकसान अमोनिया से नहीं हो पाता।

‌डॉक्टर अवस्थी ने कहा कि कोरोना वायरस काल में हमारे लोगों ने जिस धैर्य साहस और खतरे का जोखिम उठाकर अपना योगदान दिया और किसानों के कृषि कार्य में कोई समस्या नहीं पैदा होने पाई। जब देश की अर्थव्यवस्था कोरोना से संकट में पड़ गई थी, वैसे समय में कृषि क्षेत्र में कोई गिरावट नहीं हुई, बल्कि कृष क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और सुधरी। ‌

इफ्को द्वारा अविष्कृत नैनो नाइट्रोजन फर्टिलाइजर से भारत सरकार के जहां 28 हजार करोड़ से 30 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी का लाभ होगा, वहीं 4.5 मिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। यही नहीं 28 हजार करोड़ का लाभ किसानों को भी होगा, इसलिए नैनो, देश और किसानों के लिए वरदान साबित होगी।

इससे 12000000 मेट्रिक टन विदेशों से इंपोर्ट होने वाली खाद बंद हो जाएगी, जिससे साढे 4.5 मिलियन डालर विदेशी मुद्रा की बचत होगी। यह यूरिया से 10 फीसदी कम दाम पर 500 मिलीलीटर की बोतल मिलेगी, जो एक बैग यूरिया के बराबर काम करेगी। यूरिया की 7000000 मेट्रिक टन खाद को नैनो फर्टिलाइजर रिप्लेस करेगा। यह सभी फसलों में उपयोगी सिद्ध होगा और उसका प्रयोग गेहूं, धान या फल, सब्जी, गन्ने जैसे समस्त फसलों में किया जा सकता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author