वाराणसी। आईआईटी बीएचयू प्रशासन ने पीएचडी के छात्र-छात्राओं को हॉस्टल जल्द से जल्द खाली करने के निर्देश दे दिए हैं। यह बात एसएफसी की सचिव वंदना ने एक प्रेस बयान जारी कर बताई है। उन्होंने कहा कि देश में कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और सभी से कम से कम बाहर निकलने के निर्देश सरकार दे रही है। इन परिस्थितियों के बावजूद छात्र-छात्राओं से जबरन हॉस्टल खाली कराया जा रहा है।
हॉस्टल में रह रहे पीएचडी के कुछ छात्र-छात्राओं ने प्रशासन के इस फैसले के विरुद्ध हॉस्टल के अंदर ही आंदोलन शुरू कर दिया है और हॉस्टल खाली करने से इनकार कर दिया है। ज्यादातर छात्र-छात्राएं पीएचडी के आखिरी साल में हैं और यह समय उनके लिए बहुत ही अहम साल है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन की तानाशाही और असंवेदनशीलता का एक और प्रमाण यह है कि हॉस्टल में मेस, लाइट, पानी और वाईफाई बंद करने की धमकी दी गई है। हॉस्टल मेस तो बंद भी कर भी दिया गया है।
IIT में पढ़ने वाले बहुत से छात्र-छात्रा दूरदराज के गांव और शहरों से आते हैं, जिसमें बहुत से छात्र-छात्रा महाराष्ट्र, साउथ इंडिया के अन्य राज्यों से भी हैं। कोरोना जितनी तेजी से बढ़ रहा, उससे यह साफ है कि ऐसे में अगर कोई भी छात्र यात्रा कर के घर जाता है तो उसका कोरोना से संक्रमित होने के बहुत ज्यादा आसार हैं। कुछ छात्रों के मामले सामने आ भी चुके हैं, जिनको घर पहुंचने पर कोरोना की जांच पॉजिटिव आई है और उनके कारण परिवार के भी लोगों को कोरोना हो गया है। इससे यह साफ होता है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने के लिए छात्रों को मौत के मुंह में भी धकेल रहा है।
उन्होंने बताया कि इन पीएचडी स्टूडेंट्स के गाइड भी इनको फ़ोन कर के होस्टल खाली करने का दबाव बना रहे हैं, जो कि इन प्रोफेसर के नौकरशाही रवैये को दिखाता है। कैंपस में जहां छात्रों को कोरोना के नाम पर हॉस्टल खाली करने को कहा जा रहा है, वहीं प्रोफेसर अपने अपार्टमेंट में रह रहे हैं। जिस तरह प्रोफेसर को उनके घर से जाने को प्रशासन नहीं कह रहा है तो फिर छात्रों को उनके हॉस्टल क्यों निकाला जा रहा है?
एसएफसी की सचिव ने एसएफसी IIT BHU प्रशासन के इस छात्र विरोधी और तानाशाहीपूर्ण फरमान की निंदा की और इसे वापस लेने की मांग की है। साथ ही जो भी छात्र हॉस्टल में रहना चाहते हैं, उनको इंस्टीटूट के जरूरी सुविधा जैसे मेस, लाइट, पानी, वाईफाई आदि मुहैय्या करने की मांग की है।
(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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