Thursday, April 18, 2024

बीजापुर: सीआरपीएफ कैंप की स्थापना के विरोध में उतरे आदिवासी ग्रामीणों के साथ जवानों की तीखी झड़प

बस्तर। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के गंगालूर क्षेत्र के आदिवासी एक बार फिर नए सुरक्षा बल कैंप की स्थापना के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। विरोध-प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों की सुरक्षा बल के जवानों के साथ जमकर झड़प हो गयी। जवानों ने आदिवासियों की बेहद बेरहमी से पिटाई की और जिसमें उनकी महिलाओं तक को नहीं बख्शा गया। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण आदिवासियों का कहना था कि इलाके में पुलिस कैम्प नहीं बल्कि स्कूल और अस्पताल की जरूरत है। 

ग्रामीण विभिन्न क्षेत्रों से निकलकर गंगालूर क्षेत्र पहुंचे जहां पुसनार, गोगला, बुर्जी, मेटापाल से जुड़ी ग्राम पंचायतों के लोगों ने इकट्ठा होकर नए पुलिस कैंप की स्थापना का विरोध किया।

ग्रामीणों ने राज्यपाल के नाम से ज्ञापन में साफ तौर पर लिखा है कि नए कैंप की स्थापना के बाद फोर्स के द्वारा आदिवासी ग्रामीणों के साथ मारपीट, लूटपाट, डराने -धमकाने जैसे कृत्य किए जाते हैं। क्षेत्र की जनता काफी डरी हुई है। इसके साथ ही ज्ञापन में यह भी लिखा हुआ था कि क्षेत्र में अस्पताल और स्कूल की आवश्यकता है। पुलिस कैंप की नहीं।

ज्ञापन में 6 सूत्री मांग लिखी गई है। 1. क्षेत्र में नया कैंप और सीसी सड़क का निर्माण बंद किया जाए। 2. आदिवासी भाई, बहन और बुजुर्गों पर पुलिस प्रशासन का अत्याचार बंद हो। 3. बीजापुर जिले की कई पंचायतों में पुलिस कैंप की मौजूदगी के चलते स्थानीय ग्रामीणों की जिंदगी तबाह हो रही है लिहाजा उन्हें हटाया जाए। 4.फोर्स ने सैकड़ों निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। लिहाजा गोली चलाकर उन्हें डराना, फर्जी मुठभेड़ों में उनकी हत्या करना आदि हरकतें बंद की जाएं। 5 .पुलिस जवानों की मौत के बाद ग्रामीणों के साथ किया जाने वाला अत्याचार बंद हो। 

प्रशासन रोड निर्माण के लिए कई हजार किसानों की उपजाऊ जमीन और जंगल को हड़प रहा है। लिहाजा भविष्य में कैंप की स्थापना के लिए भी इसी तरह से हजारों एकड़ जमीन को न छीना जाएगा। उस संभावना की जड़ को ही खत्म करना उचित होगा। इन सारी मांगों के साथ ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय के तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। वहीं मौखिक रूप से क्षेत्र के हजारों की संख्या में आए हुए ग्रामीणों ने अपनी और भी समस्याओं को तहसीलदार के सामने रखा।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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