Thursday, April 25, 2024

क.रा.बी. योजना श्रम चिकित्सा सेवाओं में समाप्त पदों पर प्रोन्नति

जब से केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकारें आई हैं, तब से नौकरशाहों ने जन शिकायतों और सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारियों को दबाने के लिए नया हथकंडा निकाल लिया है।यदि जन शिकायत पोर्टल पर शिकायत की जाती है, तो वह शिकायत उसी अधिकारी या विभाग के पास कार्रवाई के लिए भेज दी जाती है, जिस विभाग की शिकायत होती है और वहां इस पर लीपापोती कर दी जाती है। यही नहीं इससे शिकायतकर्ता का नाम भी उजागर हो जाता है। इसी तरह केंद्रीय जन सूचना आयोग में तो शिकायतों का निपटारा ठीक से होता है लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में जब कोई शिकायत भेजी जाती है तो उसे वहां से उसी विभाग को भेज दिया जाता है, जहां की शिकायत होती है और मामले को निपटा दिया गया कहकर शिकायतकर्ता को उत्तर भेज दिया जाता है।

ऐसा ही एक मामला है 2011में समाप्त पदों पर , 28 अधिकारियों की प्रोन्नति का कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें का मामला है जहां सूचना आयोग से मांगी गई जानकारियों को उन्हीं अधिकारियों को संदर्भित कर दिया गया, जिनके खिलाफ सूचना मांगी गई थी। लेकिन उत्तर प्रदेश कर्मचारी राज्य बीमा स्वयं चिकित्सा सेवाएं के चिकित्सा अधिकारियों के संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर एमबी सिंह ने अपनी लड़ाई नहीं छोड़ी और मुख्य सूचना आयुक्त को सूचना आयोग के खिलाफ शिकायत भेजी।

मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह ने शिकायत की गंभीरता को समझा और नोट किया की आवेदक द्वारा मूल आवेदन पत्र दिनांक 27 मई 2020 में उल्लिखित पूर्व पत्र दिनांक 2 दिसंबर 2019 पर कृत कार्रवाई एवं श्रम अनुभाग 6 उत्तरप्रदेश शासन के के पत्र दिनांक 4 नवंबर 2019 के द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा योजना एवं चिकित्सा सेवाएं उत्तर प्रदेश के क्रमशः 42 और 22 एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को क्रमशः सहायक निदेशक चिकित्सा अधीक्षक एवं विशेषज्ञ पदनाम के पद पर प्रोन्नत किया गया है, जबकि महामहिम राज्यपाल द्वारा यह पद समाप्त कर दिया गया है कि शिकायत के संबंध में सूचना मांगी गई है, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा उन्हीं को अंतरित कर दिया गया है, जो उनके विभाग द्वारा जांच करना न्याय उचित नहीं है ।

आयोग द्वारा श्री अरविंद कुमार समीक्षा अधिकारी के माध्यम से जन सूचना अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय लोक शिकायत अनुभाग 3 उत्तर प्रदेश शासन को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रश्न का प्रकरण को नियुक्ति विभाग को अंतरित करें ताकि प्रकरण में न्यायोचित कार्यवाही की जा सके तथा आयोग को भी इस संबंध में आगामी तिथि पर उपस्थित होकर अवगत कराएं।

मुख्य सूचना आयुक्त ने उत्तर प्रदेश शासन के जन सूचना अधिकारी कार्यालय प्रमुख नियुक्त अनुभाग 1 को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि आवेदक द्वारा अधिनियम की धारा 19/ 3 के तहत आयोग में दायर द्वितीय अपील दिनांक 23 सितंबर 2020 की प्रति तथा इस आदेश की प्रतिलिपि संलग्न कर प्रेषित की जाए।

मुख्य सूचना आयुक्त में जन सूचना अधिकारी कार्यालय प्रमुख नियुक्त अनुभाग 1 उत्तर प्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि वह अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदन पत्र दिनांक 27 जून 2020 में उल्लिखित पूर्व शिकायती प्रार्थना पत्र दिनांक 2दिसम्बर 2019 के अनुक्रम में एक माह के अंदर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराएं। यही नहीं आवेदक को इस आदेश की प्रति संलग्न कर नोटिस जारी की जाए तथा संबंधित सूचना अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि आवेदक की आपत्ति प्राप्त होने पर आपत्ति का यथोचित निस्तारण सुनिश्चित करते हुए संबंधित सूचना एक माह के अंदर आवेदक को उपलब्ध कराएं। कुल कार्रवाई की आख्या आगामी सुनवाई तिथि 29 दिसंबर 2021 को राज्य सूचना आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें।

गौरतलब है कि जो पद वर्ष 2011 में  समाप्त कर दिए गये थे  उनपर वर्ष 2019 में लगभग ढाई दर्ज़न अधिकारियों की प्रोन्नति का  कारनामा उत्तरप्रदेश सरकार के श्रम विभाग के कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें में किया गया है।प्रमुख सचिव द्वारा श्रम कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवा,उ.प्र.  के 28 चिकित्साधिकारियों की पदोन्नति वर्ष 2011 में समाप्त कर दिये गये प्रथम श्रेणी प्रमुख सचिव के पदों पर कर दिया गया है !

उ. प्र. शासन,श्रम अनुभाग-6 के कार्यालय-आदेश सं.-1777/36-6-2019-6(सा०)/19 दि.04 नवम्बर.2019 के द्वारा कर्मचारी राज्य  बीमा  योजना श्रम चिकित्सा सेवायें,उ.प्र. के क्रमशः 4,2,एवं 22एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को क्रमशः सहायक निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक एवं विशेषज्ञ पदनाम  के पद पर प्रोन्नति किया गया है, जबकि महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति से जारी शासनादेश सं. 973/36-6-2011-4(18)/11 दि. 23 दिसम्बर.2011  द्वारा सहायक निदेशक व चिकित्सा अधीक्षक का पद समाप्त कर दिया गया है और विशेषज्ञ के पद को प्रोन्नति के बजाय सीधी भर्ती का पद रखा गया है।

कर्मचारी राज्य बीमा श्रम चिकित्सा सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली-1996 के द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के प्रोन्नति हेतु प्रथम श्रेणी संवर्ग में सहायक निदेशक के 4,चिकित्सा अधीक्षक के 3 व विशेषज्ञ के कुल 72 पद स्वीकृत थे जिसे संवर्ग संरचना संबंधित उपरोक्त शासनादेश दि.23 दिसम्बर 2011 द्वारा समाप्त/ संशोधित करके प्रथम श्रेणी संवर्ग में वरिष्ट चिकित्सा अधिकारी के 40 व वरिष्ट विशेषज्ञ के 65 पद स्वीकृत किये गये।इसप्रकार पैरवी/ प्रलोभन के बल पर बिना वरिष्ठता को कोई महत्व दिये कुछ विशेष चिकित्सा अधिकारियों को प्रोन्नति देने हेतु उपरोक्त अति-महत्वपूर्ण/ नीतिगत शासनादेश दि. 23 दिसम्बर 2011 की पूर्ण उपेक्षा की गई।

श्रम अनुभाग-6 द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या-862/छत्तीस-6-2017-5(171)/92 टी०सी० दिनांक 29 जून 2017(छायाप्रति संलग्नक-1) के द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें,उ.प्र. के चिकिसा अधिकारीयों कि अधिवर्षता आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई थी।शासनादेश संख्या-2047/36-6-2019-5(171)/92  दि. 17 जनवरी 2020द्वारा  उपरोक्त शासनादेश का स्पष्टीकरण जारी करते हुये अवगत कराया गया कि उक्त अधिवर्षता आयु में बृद्धि को न तो नियमित सेवा में जोड़ा जायेगा और न ही उक्त अतिरिक्त सेवा का लाभ भविष्य में पेंशन आदि के लिये अनुमन्य होगा. साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि सेवानिवृति लाभ 60 वर्ष की अधिवर्षता आयु तक ही देय होगा।इससे यह .\स्पष्ट है कि उक्त अधिवर्षता आयु 60 वर्ष से 62 वर्ष किये जाने का आशय सम्बंधित चिकित्साधिकारियों को मात्र  नियत वेतन पर सेवा विस्तार देना था।सेवानिवृति लाभों हेतु उनकी अधिवर्षता आयु 60 वर्ष ही रहेगी।शासकीय नियमों के तहत विस्तारित सेवा पर कार्यरत कर्मी को नियमित सेवक के भांति प्रोन्नति नहीं दिया जा सकता।.

उपरोक्त नियम/व्यवस्था का उल्लंघन करते हुये प्रमुख सचिव,श्रम ने शासनादेश संख्या-1777/36-6-2019-6(सा०)/19 दि. 4 नव.2019के द्वारा 60 वर्ष कि अधिवर्षता(सेवानिवृति)उम्र पूर्व में ही पार कर चुके क.रा.बी.योजना के निम्न 8 चिकित्साधिकारियों को प्रथम श्रेणी के विभिन्न पदों पर पदोन्नति कर दिया,जिसमें डा.अब्दुल न.सिद्दीकी,डा.जगदीश  ,डा.जे.डी.बोस ,डा.एस.पी.एस.भाटिया,  डा.बलवीर सिंह ,डा.विद्या भा.अग्रवाल  ,डा.अनिल श्रीवास्तव तथा   8-  डा.अतुल च. गुप्ता  का नाम शामिल है।इस सम्बन्ध में  विभाग  को गंभीर अनियमितताओं के बारे में अवगत कराया लेकिन  प्रोन्नति आदेश रद्द नहीं किया गया।

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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