Thursday, April 18, 2024

नीतीश के ‘सुशासन’ में महिला ने जने 13 महीने में आठ बच्चे!

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां 65 वर्षीया एक वृद्ध महिला को 13 महीने में छह बार जचगी दिखाकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1400 रुपये की राशि छह बार भेजी गई है। ऐसा ही एक अन्य मामला भी सामने आया है। खास बात यह कि इन महिलाओं को पैसे का लाभ नहीं मिला। पैसा खाते में आने के अगले ही दिन निकाल भी लिए गए।

राजधानी पटना से लगभग 75 किमी दूर और मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से मात्र सात किलोमीटर दूर है मुशहरी प्रखंड। इस प्रखंड से ढाई किलोमीटर की दूरी पर छोटी कोठिया गांव है। इस गांव की 65 वर्षीया वृद्ध महिला शांति देवी के खाते में पिछले 13 महीने में छह बार 1400 रुपये भेजे गए हैं। इसी तरह से लीला देवी के खाते में पिछले 13 महीने में आठ बार 1400 रुपये की रकम भेजी गई है। यह राशि इनके खाते में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भेजी गई है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गर्भवती महिलाओं को बच्चे को जन्म देने पर 1400 रुपये और आशा कार्यकर्ता को छह सौ रुपये देने का प्रावधान है। मजे की बात तो यह है कि आशा कार्यकर्ता को इन महिलाओं के गर्भवती होने की जानकारी तक नहीं है। दूसरी तरफ ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन्हें बच्चे हुए मगर उनके खाते में एक भी पैसा नहीं गया। आथर अंशुमन गांव जो मुशहरी प्रखंड में ही आता है, की आशा देवी पति बसंत साहनी को दो साल पहले प्रसव हुआ था, मगर अभी तक उनके खाते में पैसा नहीं आया।

चुनचुन देवी, पति मुकेश कुमार साहनी भी इसी गांव की हैं। उनका भी प्रसव दो साल पहले हुआ था, मगर मुशहरी पीएससी द्वारा अभी तक 1400 रुपये का भुगतान नहीं हो पाया है। इसी गांव की अंजली कुमारी पति देवव्रत साहनी को तीन साल पहले बेटा हुआ था, जो कृष्ण एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में एवं पिछले वर्ष पीएससी में एक पुत्री का जन्म हुआ, मगर अभी तक इसकी राशि उन्हें नहीं मिली है।

मुशहरी एसबीआई के शाखा प्रबंधक चन्द्रजीत कुमार भी इस तरह बार-बार एक ही योजना का पैसा एक ही खाते में आने पर हैरान हैं। वे खाता धारकों द्वारा किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर जांच की बात कह रहे हैं। यह क्षेत्र बोचहा विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है। यहां के पूर्व विधायक तथा पूर्व मंत्री रमई राम कहते हैं, ”मेरे कार्यकाल में इस तरह का कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ। यह फर्जीवाड़ा नीतीश बाबू के सुशासन का एक अंग है।”

वे आगे कहते हैं कि नीतीश बाबू ने सवर्णों का एक ग्रुप बना रखा है, जो उनकी दलाली में दिन रात लगा रहता है। योजनाओं की लूट खसोट करने की उन्हें पूरी छूट है। उन्हें राज्य के दलितों को लूटने की पूरी छूट है, क्योंकि यही लोग सुशासन बाबू को वोट दिलवाते हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान के नाम पर जो लूट हुई है, अगर इसकी जांच हो जाए तो नीतीश सरकार के सुशासन का सारा पोल खुल जाएगा।

रमई राम का दावा है, ”अगर राज्य में चल रही तमाम योजनाओं की जांच हो जाए तो एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा, लेकिन सवाल है कि यह जांच करेगा कौन? जब खुद घोटालेबाजों की सरकार हो।” वहीं भाजपा की वर्तमान विधायक बेबी कुमारी कहती हैं, ”फर्जीवाड़ा तो हुआ है, जो सरासर गलत है। इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच के बाद दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।”

यह पूछे जाने पर कि इसका खुलासा लगातार खाते में जा रहे पैसों के कारण हो सका है, लेकिन कई ऐसे भी खाते होंगे जिसका उपयोग एकाध बार हो रहा होगा, ऐसे में यह मामला क्या एक बड़े घोटाले की ओर इशारा नहीं कर रहा है? जवाब में बेबी कुमारी ने कहा कि बेशक ऐसा हो सकता है, जो जांच के बाद ही सामने आएगा।

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता देवव्रत साहनी कहते हैं, ”बिहार में सुशासन का सिर्फ नारा लगाया जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि बिहार घोटालों का एक उदाहरण बन गया है। यहां की स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा की व्यवस्था बिल्कुल रसातल में चली गई है। सृजन घोटाला, स्वास्थ्य घोटाला, शिक्षा घोटाला, नल-जल घोटाला यानी घोटाला ही घोटाला बिहार का पर्याय बन गया है, लेकिन सरकार सुशासन का नारा लगाती नहीं थक रही है।”

वे कहते हैं कि संपूर्ण प्रदेश में दलितों-पिछड़ों का जबरदस्त शोषण हो रहा है, जिन्हें वास्तविक लाभ मिलना चाहिए उन्हें इससे दूर रखा जाता है। नाजायज रूप से इस प्रकार की राशि का बंदरबांट हो रहा है, जिसकी जांच पूरे बिहार में होनी चाहिए। वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मुशहरी के प्रभारी डॉक्टर उपेंद्र चौधरी क्लर्क की छुट्टी का बहाना बनाकर फिलहाल मामले को टालने में लगे हैं।

बताते चलें कि वर्ष 2018 से इस योजना में सेंधमारी की गई है और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और बैंक के सीएसपी (कस्टमर सर्विस प्रोवाडर यानी ग्राहक सेवा केन्द्र) संचालक की मदद से इस तरह के भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। जिस शांति देवी के खाते में 13 महीने के भीतर छह बार 1400 रुपये की राशि भेजी गई है, उसमें 3 जुलाई 2019 को स्वास्थ्य विभाग ने 1400-1400 रुपये एक ही दिन खाते में भेजा।

इसके बाद यह सिलसिला चलता रहा और हरेक तीन माह पर खाते में 1400 रुपये की राशि आती रही। अंतिम बार इस माह में 3 अगस्त को 11400 रुपये खाते में भेजे गए। हालांकि शांति देवी को एक बार भी रुपये नहीं मिले। इनके खाते से राशि क्रेडिट होने के अगले दिन ही रुपये निकाल भी लिए गए। एक बात जो चौंकाने वाली है वह यह है कि शांति देवी को सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन भी मिल रही है और पिछले 20 सालों में शांति देवी ने किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया है।

छोटी कोठिया की ही लीला देवी की कहानी भी शांति देवी से मिलती जुलती है। लीला देवी के खाते में पिछले 13 माह में आठ बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1400 रुपये की राशि बार-बार भेजी गई। लीला देवी को पिछले 10 साल से कोई बच्चा नहीं हुआ है। लीला ने बच्चा नहीं होने के लिए परिवार नियोजन भी करा लिया है। बावजूद कभी एक ही तारीख में दो बार, तो कभी कुछ माह के अंतराल पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मुशहरी से बच्चे के जन्म के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की 1400 रुपये की राशि लीला देवी के खाते में भेजी जाती रही है।

बताया जा रहा है कि एसबीआई के सीएसपी संचालक सुशील कुमार द्वारा राशि लौटाने का प्रलोभन लीला देवी को दिया जा रहा है। आठ बार खाते में आई कुल राशि 11 हजार दो सौ रुपये को लौटाने की बात सीएसपी संचालक कर रहा है।

दरअसल इलाके में स्टेट बैंक के सीएसपी संचालक सुशील कुमार हैं, जिनके खाते में बार-बार स्वास्थ्य विभाग से 1400 रुपये आ रहे हैं। ये सभी खाताधारी अन्य योजनाओं से आने वाली सरकारी राशि की निकासी के लिए सीएसपी सेंटर पर जाते हैं। सीएसपी सेंटर पर फिंगर प्रिंट मशीन से ही खाते से राशि की निकासी का प्रावधान है, जहां खातेधारियों से फिंगर प्रिंट लेकर राशि की निकासी कर ली जाती है या फिर किसी दूसरे खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाती है।

वैसे फर्जीवाड़े के खेल का खुलासा होने के बाद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 20 अगस्त को इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के ईडी मनोज कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा है। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है, ”जांच में जो लोग भी दोषी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।”

वहीं सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी सिंह ने कहा है, ”मुशहरी पीएचसी के प्रभारी डॉ. उपेंद्र चौधरी से इस मामले में तत्काल जवाब मांगा गया है। चार सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट आते ही दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” अगर सचमुच इस फर्जीवाड़े की ईमानदारी से जांच की जाए तो कई लोगों की गर्दन फंसने की उम्मीद है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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