Friday, April 19, 2024

यूपी में मज़दूरों के अधिकारों पर बड़ा हमला; अगले तीन सालों के लिए सभी श्रम क़ानून स्थगित, योगी ने जारी किया अध्यादेश

नई दिल्ली। यूपी की योगी सरकार ने मज़दूरों के अधिकारों पर बड़ा कुठाराघात किया है। सूबे की कैबिनेट ने आज प्रस्ताव पारित कर अगले तीन सालों यानी तक़रीबन 1000 दिनों तक के लिए सभी श्रम क़ानूनों को स्थगित कर दिया है। यानी कोई भी मज़दूर क़ानून के तहत हासिल अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। इसका मतलब है कि उद्योगपति या फिर मज़दूर का मालिक उसका हर तरीक़े से शोषण करने के लिए स्वतंत्र है। 

योगी सरकार ने इसे कोविड 19 की क्षति से उबरने के लिए आवश्यक बताया है। और इस सिलसिले में उसने अध्यादेश भी जारी कर दिया है। उसका कहना है कि जिस तरीक़े से कोरोना के चलते औद्योगिक गतिविधियों से लेकर सारे कामकाज ठप हैं उससे उत्पादन को नई गति देने के लिए यह ज़रूरी हो गया था। कैबिनेट की बैठक के बाद जारी प्रस्ताव में कहा गया है कि “नये औद्योगिक निवेश, नये औद्योगिक प्रतिष्ठान व कारख़ाने स्थापित करने एवं पूर्व से स्थापित पुराने औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारख़ानों आदि के लिए प्रदेश में लागू श्रम विधियों से कुछ अवधि हेतु अस्थाई रूप से उन्हें छूट प्रदान करनी होगी।

अत: आगामी तीन वर्ष की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में अस्थाई छूट प्रदान किया जाना आवश्यक हो गया है। इस हेतु ‘उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थाई छूट अध्यादेश, 2020’ लाया गया है।”

इसमें आगे कहा गया है कि इस अध्यादेश में समस्त कारख़ानों व विनिर्माण अधिष्ठानों को उत्तर प्रदेश में लागू श्रम अधिनियमों से तीन वर्ष की छूट प्रदान किए जाने का प्रावधान है।

हालाँकि इसमें बँधुआ श्रम के साथ ही बच्चों और महिलाओं के नियोजन संबंधी कुछ क्षेत्रों में बने क़ानूनों को इससे अलग रखा गया है।

इस अध्यादेश के पारित हो जाने के साथ ही अब उद्योगपतियों और मालिकानों को मज़दूरों के शोषण की खुली छूट मिल जाएगी। इससे पहले मध्य प्रदेश समेत कुछ सूबों ने भी अपने यहाँ श्रम कानूनों में तब्दीली कर उन्हें पूँजीपतियों के हक़ में तैयार किया था। लेकिन यूपी सरकार तो इन सूबों से 10 कदम आगे खड़ी हो गयी है और उसने सभी श्रम क़ानूनों को बिल्कुल स्थगित ही कर दिया है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।