एक भारतीय रक्षा एजेंसी इजरायल स्थित एक स्पाईवेयर कंपनी से उपकरण खरीद रही है जिसे पेगासस का विकल्प माना जा रहा है। ‘द हिंदू’ व्यापार डाटा के परीक्षण के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है। हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में पूछे गए प्रश्नों का जवाब देने से इंकार कर दिया। फर्म का नाम कॉग्नाइट सॉफ्टवेयर लिमिटेड है जिसके खिलाफ अमेरिका में निवेशकों ने मुकदमा कर रखा है।
अमेरिकी लॉ फर्म केसलर टॉपेज मेल्टजर एंड चेक एलएलपी ने ‘सर्विलांस फॉर हायर’ इंडस्ट्री के मसले पर फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा प्लेटफार्म्स द्वारा जारी एक खतरे संबंधी रिपोर्ट की तरफ इंगित करते हुए कहा कि “कॉग्नाइट नियमित तौर पर पत्रकारों, विरोधियों, तानाशाह सरकारों के आलोचकों, विपक्षी दलों के परिवारों और दुनिया में मानवाधिकार संगठनों के एक्टिविस्टों को उनसे संबंधित जानकारियों को देने के लिए उनको मैनिपुलेट करने या फिर उनके डिवाइसेज और एकाउंट से जुड़कर उनके बारे में बगैर उनकी जानकारी के खुफिया सूचनाएं एकत्रित करती है।”
पिछले तीन सालों से कॉग्नाइट और उसकी तब की पैरेंट कंपनी वेरिंट सिस्टम्स इंक डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) के तहत आने वाली सिग्नल इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट (एसआईडी) कंप्यूटर गियर सप्लाई करने का काम करती है। पिछले कुछ सालों से एसआईडी की ओर से किसी भी तरह के आयात या किसी और तरह की रिपोर्ट कस्टम डाटा में नहीं दी गयी है। फर्म का एक उत्पाद इस साल के जनवरी महीने में खरीदा गया है।
आयात पर भेजे गए हिंदू की ओर से सवालों का कॉग्नाइट ने कोई जवाब नहीं दिया। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर के प्रतिद्वंदी से स्पाईवेयर खरीदने के लिए नीलामी की तैयारी कर रही है। और बताया जा रहा है कि काग्नाइट उनमें से एक समूह है जिसके बारे में सरकार विचार कर रही है।
कहा जाता है कि पेगासस स्पाईवेयर का भारतीय एक्टिविस्टों, पत्रकारों और राजनेताओं के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था। और इस मामले को कंसोर्टियम फॉर जर्नलिस्ट्स ने रिपोर्ट किया था। जबकि भारत सरकार ने न तो साफ-साफ स्पाईवेयर खरीदने की बात से इंकार किया था और न ही माना था। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने बताया था कि वह ट्रेड डाटा का परीक्षण करने में सक्षम था जो इस बात की पुष्टि करता है कि आईबी ने एनएसओ ग्रुप से 2017 में गियर आयात किया था। द हिंदू ने अलग से इस आयात की बात की पुष्टि की है।
द वीक ने 2019 में एक अज्ञात एसआईडी अधिकारी के हवाले से कहा था कि पुलवामा आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मुदैसिर अहमद खान को पकड़ने के लिए उसने ह्वाट्सएप के जरिये भेजे गए एक गंदे लिंक का इस्तेमाल किया था। गौरतलब है कि इस हमले में 40 सीआरपीएफ के जवानों की मौत हो गयी थी।
( आजाद शेखर जनचौक में सब एडिटर हैं।)