Saturday, April 1, 2023

दुगली कांड पर जांच रिपोर्ट: आगजनी, सामाजिक बहिष्कार और न्याय का अंतहीन इंतजार

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

धमतरी जिले के नगरी विकास खंड के दुगली ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम बिरनपुर में 13 अक्तूबर, 2020 को की गई आगजनी में 20 नहीं, 35 घर जलाए गए हैं। इस हमले का नेतृत्व कांग्रेस नेता शंकर नेताम कर रहा था, जो दुगली वन प्रबंधन समिति का अध्यक्ष भी है और जिसने मीडिया को दिए अपने बयान में स्वीकार किया है कि उसने इन घरों को हटाया है। पिछले पांच वर्षों में तीन बार इन आदिवासियों पर हमला करके उनके घरों को जलाया गया है, फसल को नष्ट किया गया है और पीड़ितों का सामाजिक बहिष्कार जारी है। इन हमलों में वन विभाग की भी स्पष्ट संलिप्तता सामने आई है, जिसने हमलावरों के साथ मिलकर पीड़ितों पर ही झूठे मुक़दमे दर्ज किए हैं और उन्हें जेलों में भेजा गया है। 

cpm2

पीड़ित पुरुषों को उच्च न्यायालय से ही जमानत मिल पाई है। इन पांच वर्षों में पीड़ितों को 2 करोड़ रुपयों का नुकसान पहुंचा है। पीड़ितों द्वारा बार-बार स्थानीय थाने, एसपी और कलेक्टर को शिकायत किए जाने के बावजूद हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़ितों के वनाधिकार के आवेदन बिना कोई कारण बताये चार बार निरस्त किए गए हैं। इस जघन्य आगजनी कांड के 15 दिनों बाद और राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद भी प्रशासन का कोई अधिकारी पीड़ितों की सुध लेने उनके गांव नहीं पहुंचा है।

cpm3

ये वे तथ्य हैं, जो दुगली में हुए आगजनी कांड की जांच के लिए गठित माकपा जांच दल को मिले हैं। इस दल में पार्टी के धमतरी जिला सचिव समीर कुरैशी, जिला समिति सदस्य मनीराम देवांगन, महेश शांडिल्य और स्थानीय नेता तेजराम चक्रधारी शामिल थे। उन्होंने 26-27 अक्तूबर, 2020 को क्षेत्र का दौरा किया, पीड़ित परिवारों और अन्य ग्रामीणों से बातचीत की, घटनास्थल का दौरा किया और आवश्यक तथ्य, दस्तावेज और जानकारियां एकत्रित की। रिपोर्ट का शीर्षक है : “विस्थापन के लिए आगजनी व सामाजिक बहिष्कार और न्याय के लिए अंतहीन इंतज़ार की कहानी”।

cpm4

3000 शब्दों से ज्यादा की 5 पेजी जांच रिपोर्ट को मीडिया के लिए जारी करते हुए माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने मांग की है कि हमलावरों को गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए, सभी पीड़ित परिवारों को उनको हुए आर्थिक नुकसान और सामाजिक बहिष्कार के कारण उनकी प्रतिष्ठा को पहुंची ठेस की भरपाई के लिए दस-दस लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और उन पर लादे गए फर्जी मुक़दमे वापस लिए जाएं, सभी पीड़ित आदिवासी परिवारों को वनाधिकार पट्टे दिए जाएं, हमलावरों को बचाने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए, इन पीड़ित परिवारों को एक साल तक मनरेगा में 300 दिन काम और ग्राम पंचायत के जरिये मुफ्त राशन देना सुनिश्चित किया जाए तथा वन विभाग की सूची में शामिल बिरनपुर गांव के सभी लोगों को आवासीय पट्टे दिए जाएं। 

cpm5

इस रिपोर्ट के साथ ही माकपा ने घटना स्थल की तस्वीरों, पीड़ितों के बयानों के वीडियो तथा कुछ दस्तावेजों को भी मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया है, जिससे वन भूमि पर पीड़ितों का दावा पुख्ता होता है और उन्हें भगाने के लिए उनके घरों में आगजनी करना प्रमाणित होता है। इस जांच रिपोर्ट को आज ही माकपा जिला सचिव समीर कुरैशी के नेतृत्व में धमतरी कलेक्टर और एसपी को भी सौंपा गया है। प्रतिनिधिमंडल में जांच दल के सदस्यों के अलावा पीड़ित परिवारों से राकेश परते, बीरबल सोनवानी, सुखवती परते और सुरेखा कोर्राम शामिल थीं। इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को भी भेजकर पीड़ितों को न्याय देने और हमलावर अपराधियों को सजा देने की मांग माकपा ने की है।

cpm6

माकपा ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया है कि पिछले पांच वर्षों में पीड़ितों पर तीन बार हमला किया गया है और तीनों बार इसका नेतृत्व कांग्रेस के स्थानीय नेता शंकर नेताम ने किया है। यही कारण है कि इसके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 13 अक्तूबर की आगजनी के बाद भी पीड़ितों की एफआईआर दर्ज करने के बजाए उन्हें न्यायालय जाने के लिए कहा गया। पार्टी ने पीड़ितों के साथ बातचीत के बाद गणना की है कि इन हमलों के कारण हर पीड़ित परिवार को औसतन 6 लाख रुपयों का नुकसान हुआ है। सामाजिक बहिष्कार के कारण उनकी प्रतिष्ठा को जो ठेस पहुंची है, वह अलग है!

माकपा ने आरोप लगाया है कि आगजनी जैसी जघन्य वारदात के 15 दिनों बाद भी हमलावर अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। इससे साबित होता है कि प्रशासन की अपराधियों के साथ खुली मिलीभगत है और वह उन्हें बचाने का प्रयास कर रहा है। यही कारण है कि कलेक्टर द्वारा इस घटना की जांच के निर्देश दिए जाने के बावजूद नगरी एसडीएम 20 किमी दूर दुगली तक नहीं पहुंच पाए हैं। 

जांच रिपोर्ट जिलाधीश को सौंपने के बाद धमतरी में माकपा नेता समीर कुरैशी ने कहा है कि पीड़ितों ने न्याय मिलने के आश्वासन पर अपना धरना समाप्त किया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर पीड़ित आदिवासी परिवार राजधानी रायपुर तक पदयात्रा करके मुख्यमंत्री के दरवाजे तक पहुंचकर न्याय की गुहार लगाने का हौसला रखते हैं और अब इस संघर्ष की अगुआई माकपा करेगी।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

पीएम मोदी की डिग्री मांगने पर केजरीवाल पर 25 हजार का जुर्माना

गुजरात हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें विश्वविद्यालय को पीएम...

सम्बंधित ख़बरें