इमरान खान को 14 दिनों की अंतरिम जमानत, आपातकाल की सुगबुगाहट

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खबर आ रही है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 14 दिनों के लिए अंतरिम जमानत मिल गई है। यह भी खबर आ रही है कि पाकिस्तान सरकार के मन्त्रिमंडल के सदस्यों ने पीएम शाहबाज शरीफ को देश में आपातकाल लगाने की सलाह दी है। अभी तक वे लंदन में थे, और वहीं से दो दिन पहले उन्होंने इमरान खान की गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए इसका स्वागत किया था। 

पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से अराजकता की स्थिति बनी हुई है। इमरान खान को हिरासत में लिए जाने के बाद से अब तक आधिकारिक तौर पर 10 लोगों के हताहत होने की खबर है। जबकि सोशल मीडिया पर लोग इसे 40 तक बता रहे हैं। सरकार द्वारा पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) के कई केंद्रीय नेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर संघर्ष को दिशाहीन करने की कोशिशों को तगड़ा झटका कल तब लगा, जब पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने इस गिरफ्तारी को अवैधानिक बताते हुए फैसला दिया कि एनएबी के तहत पूछताछ नहीं होगी। उसने इमरान खान को पुलिस की निगरानी में बतौर मेहमान के रूप में रखने और शुक्रवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करने का फैसला किया था।

उसी के तहत आज इमरान खान की पेशी इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में हुई और उन्हें हाईकोर्ट ने 14 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी। 14 दिनों की अंतरिम जमानत एक बड़ी राहत है। इसे पीटीआई समर्थक लोकतंत्र की बड़ी जीत बता रहे हैं। पाकिस्तान सरकार और आर्मी के लिए इसे बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है। 

पाकिस्तान में जगह-जगह पर इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी इस मोर्चे पर डटी हैं। प्रदर्शनकारियों ने आर्मी में कोर कमांडर स्तर के एक अधिकारी के घर का सामान लूट लिया। इसमें भी महिलाओं की भागीदारी बढ़-चढ़ कर देखी गई है। 

अभी-अभी खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने 4 बजे कैबिनेट की मीटिंग रखी है। 

पाकिस्तान में बड़ी तेजी से हालात बदल रहे हैं, ऐसे में लोकतंत्र की बहाली होगी या आने वाले दिनों में सैन्य शासन की ओर पाकिस्तान बढ़ेगा, इस बारे में यकीनी तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय और पाकिस्तानी अवाम की जीत का अर्थ है आर्मी और मौजूदा सरकार की नैतिक हार। यह सेना और पाकिस्तान के अभिजात्य वर्ग सहित अमेरिकी मंसूबे के लिए बेहद नुकसानदेह है, जिसे आसानी से हासिल कर लेना संभव नहीं है। 

इमरान खान को आर्मी की एक टुकड़ी ने बड़ी तादाद में आकर जिस प्रकार से कोर्ट परिसर के भीतर खिड़कियों और दरवाजों को तोड़कर हिरासत में लिया था, उस पर सख्त आपत्ति जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने न सिर्फ संवैधानिक मूल्यों बल्कि पाकिस्तानी अवाम की भावनाओं को तरजीह दी। दो दिनों के भीतर ही इमरान खान की रिहाई उनकी लोकप्रियता को आसमान की ऊंचाई पर ले गई है। शायद इसके बाद सेना और मौजूदा सरकार के लिए आम चुनावों को रोकने या पीटीआई को प्रतिबंधित करने की योजना खटाई में पड़ सकती है। 

( रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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