नई दिल्ली। भले ही मीडिया का सारा ध्यान कर्नाटक चुनावों पर केंद्रित हो, लेकिन देश में जंतर-मंतर पर बैठी अंतर्राष्ट्रीय महिला कुश्ती पहलवानों का धरना, न चाहते हुए भी देश का ध्यान आकृष्ट कर रहा है। देश में लोग उलझन में हैं कि यदि इतनी ख्यातिप्राप्त महिला खिलाड़ियों की मांग अनसुनी कर दी जा रही है, उन्हें दुबारा अपने लिए न्याय की गुहार के लिए धरने पर बैठना पड़ रहा है, और सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद कहीं दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज करने के लिए तैयार हो रही है, तो 140 करोड़ लोगों के लिए इस राज में न्याय की क्या गुंजाइश बची है।
ऐसे में जंतर-मंतर पर धरने पर बैठी महिला खिलाड़ियों का इस बार का धरना एक बार फिर से 10 साल पहले की तरह राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरने लगा है। शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट में महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह पर दिल्ली पुलिस द्वारा शिकायत के बाद भी एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की, का जवाब दिल्ली पुलिस की ओर से दिए जाना था। मंगलवार के दिन इस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक का समय दिया था।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई की। दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया है कि शाम तक इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी। पहलवानों का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि आरोपी पर 40 आपराधिक मुकदमे हैं। इसलिए महिला पहलवानों को सुरक्षा दी जाए। इसमें एक नाबालिग शिकायतकर्ता भी शामिल है, जिसकी सुरक्षा को लेकर एक मुहरबंद हलफनामा भी कोर्ट को सौंपा। जिस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नाबालिग शिकायतकर्ता को पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया। साथ ही मामले पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 5 मई की मुकर्रर की है।
जबकि शुक्रवार रात की खबर है कि जंतर-मंतर स्थित धरनास्थल पर बैठे खिलाड़ियों को बिजली-पानी के बिना ही रात गुजारनी पड़ी। बजरंग पुनिया ने अपने बयान में कहा है, कि चाहे कुछ भी हो, यह आंदोलन ऐसे ही चलेगा। आपकी भी बेटियां होंगी उनके साथ ऐसा हो तो आप क्या ऐसे ही व्यवहार करते? एसीपी ने कहा “बिजली पानी नहीं मिलेगा। ऐसे ही रहेगा, जो करना है कर लो।” बिजली काट दी गई है, पानी नहीं आने दे रहे हैं।
ऐसा लग रहा है कि बृजभूषण कानून से भी बड़ा हो गया है। महिला खिलाड़ियों के समर्थन में पूरा देश आ रहा है, उसके बावजूद भी कई लोग उसके पक्ष में खड़े हैं। खिलाड़ियों ने रात का खाना फोन की रोशनी के बीच खाया। बजरंग पुनिया, संगीता, विनेश फोगाट, साझी मलिक, सोमदीप सहित सभी खिलाड़ी बिना बिजली के खाना खा रहे थे, इसका वीडियो सोशल मीडिया में चल रहा है। इस घटना को वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम और मंदीप पुनिया ने अपने यूट्यूब चैनल पर साझा किया है। पुनिया के मुताबिक “सभी पहलवान मोबाइल की रोशनी में खाना खा रहे हैं। लाइट नहीं है। पुलिस का दबाव है कि अब इस जगह को खाली करो। जबकि खिलाड़ियों का कहना है कि बृज भूषण शरण सिंह की जब तक गिरफ्तारी नहीं होती, हम नहीं हटेंगे।”
बता दें कि खिलाड़ियों ने धरने के दौरान घर जैसा खाना खाने के लिए हरियाणा से एक खानसामा मंगाया था, जिसे धरनास्थल पर भोजन बनाने की अनुमति नहीं दी गई। लिहाजा उसे रोज तीन टाइम का खाना बनाकर धरनास्थल पर लाना पड़ता है। इस बारे में आज के इंडियन एक्सप्रेस में विस्तार से स्पोर्ट्स सेक्शन में कवरेज दी गई है।
धरनास्थल पर भाजपा सांसद बृज भूषण के आपराधिक इतिहास को दर्शाता हुआ एक विशाल पोस्टर लगाया गया है। इसमें कुल 38 आपराधिक मामलों को दर्शाया गया है। धारा 307, 302, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मामलों का जिक्र है। जो खूब सुर्खियां बटोर रहा है। यह दर्शाता है कि इस बार खिलाड़ी पूरी तैयारी से आये हैं।
बता दें कि साक्षी मालिक ने इससे पहले एक वीडियो को सार्वजनिक करते हुए देश के सभी नागरिकों और विशेषकर खिलाड़ियों और युवा पीढ़ी से उनके विरोध का समर्थन करने की अपील की थी, साक्षी ने कहा, “नमस्कार मैं साक्षी मालिक, जबसे हमने यह लड़ाई शुरू की है, हमें डराया धमकाया जा रहा है। हमारा सबकुछ दांव पर है। जो लडकियां इतनी चुनौतियां झेलकर आगे आती हैं और वे सुरक्षित नहीं हैं तो वे कैसे आगे आएंगी। हमारी मांग है कि बृज भूषण सिंह को हटाया जाए और उस पर एफआईआर दर्ज हो। मेरी इस देश की सभी यूनिवर्सिटी और कालेजों से अपील है कि आप सब लोग इस न्याय की लड़ाई में हमारा साथ दें और समर्थन में आगे आयें और ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां पर आकर हमारा समर्थन करें।”
और शाम तक देश की कई नामचीन हस्तियों, खिलाड़ियों और विभिन्न पार्टियों के नेताओं की ओर से खिलाड़ियों के समर्थन में आये बयानों ने भी अब इस आंदोलन को नई ऊंचाई पर पहुंचाने में मदद पहुंचाई है। उत्तर प्रदेश सहित बिहार और दिल्ली से कई जगहों से छात्रों के प्रदर्शन और लखनऊ विश्वविद्यालय में बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर किये गये प्रदर्शन में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी प्रमुख है।
विश्वप्रसिद्ध क्रिकेटर कपिल देव, ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, मनोज तिवारी सहित दर्जनों अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी इनके समर्थन में आगे आ रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पहुंचकर खिलाड़ियों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली ये सभी महिला खिलाड़ी हमारी बेटियां हैं, इन्हें इंसाफ़ मिलना ही चाहिए। आरोपी चाहे जितना भी शक्तिशाली हो, उसे सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए। इसके पहले आप नेता और मंत्री आतिशी मर्लेना भी धरनास्थल पर आकर खिलाड़ियों के समर्थन में बोलीं, और दिल्ली सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन का भरोसा जताया।
पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए बड़े ही कड़े शब्दों में सरकार को लताड़ा है और अपने ट्वीट में कहा है, “बेहद दुःख होता है जब मैं अपने देश के सबसे होनहार खिलाड़ियों को न्याय पाने के लिए सड़कों पर गुहार लगाते देखता हूं। ये सभी लोग राष्ट्र के गौरव हैं और हम सभी को मिलकर इस संघर्ष में इनका साथ देना चाहिए। जय हिन्द। हमें न्याय चाहिए।
वहीं आजतक की स्टार एंकर श्वेता सिंह भी धरना स्थल पर पहुंची थीं, जिनका लोगों ने नारे लगाकर विरोध किया। “गोदी मीडिया मुर्दाबाद-मुर्दाबाद” के बीच श्वेता सिंह कुछ पल बाईट बनाकर वहां से चली गईं।
शनिवार का दिन कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा गांधी के नाम रहा, जिन्होंने धरनास्थल पर पहुंचकर महिला खिलाड़ियों के साथ मुलाक़ात की और उनके साथ व्यक्तिगत रूप से कुछ पल बिताये और हालचाल जाना।
पत्रकारों से अपनी बातचीत में प्रियंका गांधी ने कहा, कि “प्रधानमंत्री से मेरी कोई उम्मीद नहीं है। क्योंकि अगर प्रधनमंत्री जी को इतनी भी परवाह होती तो वे कम से कम बात तो करते। इन लोगों को बुलाते। जब यही लोग ओलिंपिक मेडल लेकर आये थे तो इन्हें बुलाया था। चाय पिलाया था। तो बुलाइए, चाय पिलाइए। बच्चियां हैं। ये हम सबकी बच्चियां हैं।”
पत्रकारों द्वारा यह सवाल किये जाने पर कि पीएम ऐसा क्यों कर रहे हैं, क्या 2024 का चुनाव इसकी वजह है, पर प्रियंका ने तपाक से जवाब दिया, कि “भगवान जाने, मैं आपसे पूछती हूं कि इस आदमी को बचाने के लिए इतना सारा क्यों किया जा रहा है? जब इतनी सारी लडकियों हैं जिन्होंने देश के लिए इतना किया है, अपने परिवारों, अपने प्रदेश और देश के लिए इतना किया है, देश के लिये किया है। और इतना निजी संघर्ष झेला है इन्होंने अपने जीवन में। जिसे आप देख सकते हैं, फिर क्यों आप उसको बचा रहे हैं? यदि हम अपनी बच्चियों तक को नहीं बचा सकते, तो क्या कर सकते हैं?”
जांच कमेटी पर प्रियंका गांधी ने कहा, “आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं कि कमेटियां क्या होती हैं। बात को टालने का काम इनमें होता है। कह दिया जाता है कि हम कमेटी बना रहे हैं, आप कमेटी के साथ बात कर लो और बात खत्म हो जाती है। यही चाहती है न सरकार? आखिर क्यों? आप यूपी के किसी गांव में देखिये या कहीं भी देख लीजिये यदि किसी महिला का शोषण होता है तो सरकार मौन हो जाती है। उस बेचारी महिला की हर जगह एफआईआर तक दर्ज नहीं होती, यदि दर्ज भी हो जाये तो उसकी कॉपी नहीं मिलती। ये कोई नई कहानी नहीं है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि इन लड़कियों में इतना दम है, इतना आत्मविश्वास है और इतना साहस है कि ये लोग खड़ी हैं, और कह रही हैं कि यह सब हम होने नहीं देंगे। प्रधानमंत्री इन्हें पहचाने या न पहचाने, उनकी पार्टी इन्हें पहचाने, चाहे न पहचाने, लेकिन पूरा देश इनके साथ खड़ा है। और यह सरकार सिर्फ उस आदमी को बचाना चाहती है। इन्हें सबसे पहले उस आदमी को उस पद से हटाना चाहिए।”
उधर दूसरी तरफ आरोपी बृज भूषण सिंह ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में अपना तर्क दिया है, कि दिल्ली पुलिस सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर जो भी कर रही है, वह करती रहे, उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। पोस्को जैसी गंभीर धारा पर बृजभूषण का कहना था कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है, और इस बारे में उन्हें अलग से कुछ नहीं कहना है। यह पूछे जाने पर कि फेडरेशन से इस्तीफे से जांच निष्पक्ष हो सकती है, पर बृज भूषण का कहना था कि इन खिलाड़ियों की मांगों का कोई अंत नहीं नजर आता है।
बृजभूषण सिंह के अनुसार, जनवरी में इनकी मांग थी कि कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया जाये। लेकिन मेरा कार्यकाल पूरा होने को है। जबतक नई बॉडी नहीं बन जाती है, जो 45 दिनों के भीतर बन जायेगी। लेकिन इनकी मांगें अब एक के बाद एक नई सामने आती जा रही हैं।
उन्होंने दावा किया कि वे इस्तीफे के लिए तैयार हैं, लेकिन अपराधी बनकर नहीं। इनकी डिमांड लगातार बढती जा रही है। रोज-रोज ये लोग कोई न कोई नया मुद्दा लेकर आ जाते हैं। इनकी मांग पर जांच कमेटी बन जाती है। एक सदस्य जिसे इस कमेटी में नहीं होना चाहिए था, जिसको लेकर मुझे आपत्ति करनी चाहिए थी। इनके पास कमेटी की रिपोर्ट रोज पहुंच रही थी। जब इन्हें लगा कि कमेटी में इनके मन-मुताबिक रिपोर्ट नहीं आ रही है तो ये लोग सर्वोच्च न्यायालय चले गये, एक नया मामला लेकर।
बृजभूषण सिंह ने कहा कि पहले इन्होने जो रिपोर्ट की थी उसमें कोई नाबालिग नहीं थी। मैंने एक ऑडियो कमेटी को सौंपा है, जिसमें इनमें से एक पुरुष खिलाड़ी महिला खिलाड़ियों से कह रहा है कि किसी नई लड़की को लेकर आओ। मेरा सवाल है कि उस नाबालिग को क्यों जांच कमेटी के पास नहीं पेश कर रहे हैं? 4-4 महीने तक मेरे खिलाफ भड़काएंगे फिर किसी एक लडकी को पेश कर देंगे। इन्हें कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था, फिर संतुष्ट नहीं होते तो धरने पर बैठ जाते। पहले एफआईआर, फिर जेल और अब सारे पदों से इन्हें इस्तीफ़ा चाहिए।
उन्होंने आगे कहा है कि “यह सांसद का पद मुझे विनेश फोगाट की कृपा से नहीं मिला है, मुझे एक बार नहीं 6-6 बार और एक बार मेरी पत्नी को हासिल हुआ है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष का पद भी उनकी कृपा से नहीं बल्कि चुनाव लड़कर हासिल किया हूं। यहां पर एक ही परिवार और एक ही अखाडा क्यों? हरियाणा के अन्य खिलाड़ी क्यों नहीं हैं? हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल, बंगाल, महराष्ट्र, बंगाल के खिलाड़ी क्यों नहीं हैं?
12 साल से लगातार केवल इनके साथ ही यौन उत्पीड़न होता है, वह यौन उत्पीड़न देश की अन्य खिलाड़ियों के साथ क्यों नहीं होता है? सिर्फ एक अखाड़ा और एक परिवार है, बाकी हरियाणा के 90% खिलाड़ी और अभिभावक बृज भूषण सिंह के साथ हैं।”
उनका कहना है कि “12 साल में एक बार भी ये न तो खेल मंत्रालय, न फेडरेशन के पास गये हैं। ये 15 दिन पहले तक हमारी तारीफ़ कर रहे थे। अपनी शादी में फिर मुझे क्यों बुलाये थे, जोड़े में आशीर्वाद क्यों लिया? मैं संवैधानिक पद पर हूं, इसलिए ज्यादा नहीं बोल सकता। अब मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है, मैं कानून का सम्मान करता हूं। उनका आरोप है कि यह उनके खिलाफ एक षड्यंत्र है, जिसमें एक उद्योगपति और कांग्रेस का हाथ है। आज जब इनकी मांग मान ली गई है, जांच शुरू हो गई है, तब क्यों नहीं धरना खत्म कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि ये लोग पीएम मोदी, खेल मंत्रालय के खिलाफ बोल रहे हैं। इनके मंच पर पप्पू यादव, केजरीवाल और गवर्नर सत्यपाल मलिक को क्यों आमंत्रित किया जा रहा है? प्रियंका गांधी को तथ्य नहीं मालूम, बाद में उन्हें पता चलेगा कि दीपेन्द्र हुड्डा ने उन्हें कहां फंसा दिया। जांच का इंतजार कर लेते, दिल्ली पुलिस का इंतजार कर लेते। ये कुछ षड्यंत्रकारी लोग हैं, जो हमारी पार्टी भाजपा का नुकसान करना चाहते हैं, और इसके लिए निशाना मुझे बना रहे हैं। इनके लिए हम तो बहाना हैं। खेल को बचाने के नाम पर ये लोग ओपन खेल, नेशनल खेल को बंद कर सीधे अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के हकदार बनना चाहते हैं। ये खेल को बचा नहीं बर्बाद कर देंगे।”
मामला अब तूल पकड़ चुका है। साफ़ है कि कथित राष्ट्रीय मीडिया ने शुरू-शुरू में इस मुद्दे को नजरअंदाज किया, लेकिन अब यह एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। ऐसे में तमाम तरह के दबाव केंद्र सरकार पर हैं, और धरना स्थल पर बैठे पहलवानों पर भी इसका असर पड़ रहा है। लेकिन उनके लिए भी 3 माह पहले का यह कड़वा सच मुंह बाए खड़ा है कि धरना हटते ही, सारा मामला एक बार फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा। याद कीजिये वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री, राजनाथ सिंह जी के वे शब्द, “हमारे यहां इस्तीफे नहीं होते।”
(रविंद्र पटवाल लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)