Saturday, April 1, 2023

झारखंडः बजट में आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों का नहीं रखा गया ध्यान- बलराम

विशद कुमार
Follow us:

ज़रूर पढ़े

रांची। झारखंड के 2021-22 बजट में आदिवासी, दलित व अल्पसंख्यक समुदायों के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं में कटौती की गयी है, हालांकि झारखंड बजट में पिछले वर्ष की अपेक्षा 5.68 प्रतिशत बढ़ोतरी, जो एक अच्छा संकेत है। मगर यह बढ़ती महंगाई और कोरोना के कारण उत्पन्न संकट को देखते हुए काफी कम है और झारखंड के आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के अनुरूप बजट नहीं के बराबर है।

उक्त बातें आज रांची स्थित एचआरडीसी, में दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन और भोजन के अधिकार अभियान द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहीं। वरिष्ठ सामाजिक कार्याकर्ता बलराम ने कहा कि झारखंड के 2021-22 बजट में स्वास्थ्य, भोजन और पोषण तथा शिक्षा को केन्द्रित कर बजट होना चाहिए था, मगर इस बजट में आदिवासी व दलित समुदाय की मुख्य समस्या स्वास्थ्य, भोजन व पोषण को केंद्रित नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता को वर्तमान सरकार से आशा थी कि बजट में आदिवासी दलित व अल्पसंख्यकों के विकास को केंद्रित किया जायेगा, परंतु आदिवासी दलित व अल्पसंख्यकों की योजनाओं में इस वर्ष कटौती कर दी गई है, जबकि इसे बढ़ाया जाना चाहिए था।

JHARKHAND 1

प्रेस कांफ्रेंस में दलित आधिकार आंदोलन-एनसीडीएचआर के राज्य समन्वय मिथिलेश कुमार ने बताया कि झारखंड 2021-22 के बजट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के लिए पिछले वर्ष 124.41 करोड़ रुपयों का आवंटन था, जो कि इस बार घटकर 123.71 करोड़ रुपये आवंटित हुआ है, जो काफी कम है।

वहीं अगर शिक्षा की बात करें तो हम देखते हैं कि छात्रों के लिए महत्वपूर्ण योजना पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशीप के लिए 2021-22 के बजट में अनुसूचित जाति के 25 करोड़ रुपयों का आवंटन हुआ है तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 7 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि पिछले बजट 2020-21 में अनुसूचित जाति के लिए 27 करोड़ और अनुसूचित जनजाति के 11 करोड़ का आवंटन था, जो इस वर्ष काफी कम है।

दलित सामाजिक कार्याकर्ता रामदेव विश्वबंधु ने कहा कि झारखंड बने हुए लगभग 20 वर्ष हो गये, मगर आदिवासी उपयोजन और दलित उपयोजन को लेकर झारखंड में कोई सशक्त कानून नहीं बन पाया है, जिसके कारण आदिवासी व दलित समुदाय के बजटीय आवंटन में लगतार 20 वर्षों से विचलण होता रहा है और गैर योजना मद में ज्यादा खर्च किया जा रहा है, जो आदिवासी व दलित के विकास से जुड़ा नहीं है।

वहीं यूनाइटेड मिल्ली फोरम के अफजल अनीस ने कहा कि आदिवासी, दलित व अल्संख्यक समुदाय के लिए 2021-22 के बजट में कोई खास आवंटन नहीं है। भोजन अधिकार अभियान के राज्य संयोजक अशर्फीनंद प्रसाद ने कहा कि सरकार ने पेंशन योजना को यूनिवर्सल किया है, जो सराहनीय कदम है, मगर बच्चों के कुपोषण और पोषण के साथ महिलाओं और बच्चों के लिए कुछ खास प्रावधान नहीं के बराबर हैं। प्रेस वर्ता में मनोज कुमार भुइयां, अमेरिका उरांव, उदय सिंह, सहित कई आदिवासी व दलित नेताओं ने भाग लिया।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

आईपी कॉलेज फॉर वीमेन: “जय श्री राम” के नारे के साथ हमला

28 मार्च को मंगलवार के दिन आईपी कॉलेज फॉर वीमेन (इंद्रप्रस्थ कॉलेज) में हुए वार्षिक फेस्टिवल श्रुति फेस्ट के...

सम्बंधित ख़बरें