Friday, March 29, 2024

केजरीवाल ने फिर किया केंद्र के सामने सरेंडर, दिल्ली दंगों की पैरवी करेगा सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता का पैनल

दिल्ली के एलजी के आदेश पर पैरवी के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता समेत छह वकील नियुक्त किये जाने की अधिसूचना दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने जारी कर दी है। दिल्ली सरकार ने इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए वकीलों के नामों को स्वीकार करने से मना कर दिया था। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सरकार के आदेश को ख़ारिज करते हुए पुलिस द्वारा भेजे गए वकीलों के नाम स्वीकार करने को कहा, था।

दिल्ली सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) के विरोध और फरवरी के अंतिम सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के संबंध में दर्ज 85 एफआईआर से उत्पन्न होने वाली अदालती कार्यवाही के संचालन के लिए छह विशेष लोक अभियोजकों को नियुक्त किया है। विशेष लोक अभियोजकों में तुषार मेहता, सॉलिसिटर जनरल; अमन लेखी, एडिशनल सॉलिसीटर जनरल; चेतन शर्मा, एडि. सॉलिसीटर जनरल; एस वी राजू, एडि. सॉलिसीटर जनरल; अमित महाजन, एडवोकेट; रजत नायर, एडवोकेट शामिल हैं।

इस संबंध में एक अधिसूचना जुलाई को दिल्ली सरकार के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गृह विभाग द्वारा जारी की गई थी। दिल्ली सरकार के गृह विभाग के उप सचिव एल के गौतम द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट जनरल की मंजूरी से अधिसूचना जारी की गई। दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में विशेष अभियोजकों की नियुक्ति दिल्ली सरकार और दिल्ली-एलजी के बीच विवाद का कारण रही है। दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट कर रही है जिससे अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई।

दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस।

फरवरी में दिल्ली दंगों की जाँच के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की उपस्थिति से विवाद पैदा हो गया था। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा ने यह कहते हुए इस पर आपत्ति जताई कि अभियोजकों की नियुक्ति दिल्ली सरकार का अधिकार है। आपत्ति इस आधार पर थी कि एलजी दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह पर ही अभियोजकों की नियुक्ति कर सकते हैं। उसके बाद, 27 फरवरी को, दिल्ली के लेफ्टिनेंट जनरल ने हर्ष मंदर द्वारा दायर मामले में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की नियुक्ति का आदेश पारित किया।

दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने सॉलिसीटर जनरल, एएसजी मनिंदर आचार्य, एएसजी अमन लेखी, स्थायी वकील (यूओआई) अमित महाजन और एडवोकेट रजत नायर को दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में विशेष अभियोजक के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी। (अकील हुसैन बनाम स्टेट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली)। इस हफ्ते की शुरुआत में, ऐसी खबरें थीं कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस द्वारा प्रस्तावित विशेष अभियोजकों के एक पैनल को खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि जब से मोदी सरकार केंद्र में आई है तब से तुषार मेहता उसके सबसे बड़े तारण हार बनकर उभरे हैं। चाहे उच्चतम न्यायालय हो या उच्च न्यायालय या फिर अधीनस्थ न्यायालय सभी जगह दीवानी और फौजदारी मामले में सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ही कमान सम्भाल रहे हैं । फिर सम्भालें भी क्यों न गुजराती होने के साथ इनका गृहमंत्री अमित शाह से अत्यंत निकटवर्ती घनिष्ठता है। मोदी सरकार भी तुषार मेहता पर सबसे ज्यादा भरोसा करती है।

दिल्ली दंगों का एक दृश्य।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के एक मामले में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और अन्य को दिल्ली पुलिस का वकील नियुक्त किया है। काफी समय तक इस बात पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच विवाद चला कि दिल्ली पुलिस का दिल्ली हाईकोर्ट में विशेष वकील कौन होगा।यह चुनी हुई सरकार तय करेगी या उपराज्यपाल करेंगे। लेकिन दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा ने दिल्ली हाईकोर्ट को शुक्रवार को सूचना दी कि अब मामला सुलझा लिया गया है। राहुल मेहरा ने कोर्ट को बताया, ‘दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन और दिल्ली पुलिस के डीसीपी राजेश देव के बीच लिखित संवाद हुआ है जिसमें गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और स्पेशल काउंसिल की नियुक्ति को मंजूरी दी है, जिनकी नियुक्ति उपराज्यपाल  चाहते थे’।

दिल्ली सरकार का कहना था कि 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट और 2018 में सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच यह साफ कर चुकी है कि वकील की नियुक्ति चुनी हुई सरकार का अधिकार क्षेत्र है और उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से इस मामले में कोई नियुक्ति नहीं कर सकते। राहुल मेहरा ने कोर्ट को दिल्ली के गृह विभाग की तरफ से दिल्ली पुलिस के डीसीपी को भेजी गई चिट्ठी भी दिखाई जिसमें दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस का पक्ष अदालत में रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अन्य की नियुक्ति कर दी है।

तुषार मेहता 2014 में एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) नियुक्त किए गए थे। 10 अक्टूबर 2018 को एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता को भारत का नया सॉलिसीटर जनरल नियुक्त किया गया था। यह पद 20 अक्टूबर, 2017 से खाली था। इसके पहले भारत के सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार थे। तुषार मेहता का कार्यकाल 30 जून, 2020 या अगले आदेश तक रहेगा। सॉलिसीटर जनरल वह विधि अधिकारी होता है जो अदालतों में केंद्र या राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व करता है।

तुषार मेहता इस समय अनुच्छेद 35ए के मामले में उच्चतम न्यायालय में जम्मू-कश्मीर के वकील हैं। इसके अलावा वे 2जी घोटाला, एयरसेल-मैक्सिस, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए मामला और भीमा कोरेगांव केस के तहत सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2014 में भाजपा की अगुआई में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद तुषार मेहता को एएसजी नियुक्त किया गया था।

तुषार मेहता को अमित शाह का करीबी माना जाता है। इससे पहले तुषार मेहता 2002 के गुजरात दंगों के दौरान और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। तुषार मेहता, गुजरात के जामनगर के रहने वाले हैं और 80 के दशक में उन्होंने वकालत शुरू की। उनके पिता जामनगर तालुका में अधिकारी थे। मेहता बहुत छोटे थे तभी उनके पिता की मौत एक सड़क हादसे में हो गई थी। करियर की शुरुआत तुषार मेहता ने कृष्णकांत वखारिया के साथ जूनियर वकील के तौर पर की। कृष्णकांत वखारिया गुजरात में कांग्रेस के बड़े नेता थे, और कई डेयरी और बैंक कोऑपरेटिव केस में अदालत में मुकदमा लड़ा था। अमित शाह उस वक्त गुजरात में कोऑपरेटिव बैंक का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्हीं दिनों तुषार मेहता की मुलाकात अमित शाह से हुई थी।

इसके बाद जब गुजरात में पहली बार नरेन्द्र मोदी की सरकार आई, तब तक तुषार मेहता खुद को नामी वकील के तौर पर साबित कर चुके थे, जिनको सिविल और कोऑपरेटिव केस लड़ने में महारत हासिल थी। 2007 में इनको गुजरात हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया और इसके एक साल के भीतर ही उन्हें एडिशनल एडवोकेट जनरल बना दिया गया। एडिशनल एडवोकेट जनरल के तौर पर तुषार मेहता ने मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार का कई बड़े मामलों में प्रतिनिधित्व किया जिनमें सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस शामिल है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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